विदेशी मुद्रा विश्लेषण

Bitcoin को करेंसी का दर्जा?

Bitcoin को करेंसी का दर्जा?
62 out of 84 votes!History! #Btc. — Nayib Bukele . (@nayibbukele) June 9, 2021

क्रिप्टो बैन: सही कदम या भूल

भारत में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चर्चा Bitcoin को करेंसी का दर्जा? हरेक की जुबान पर है भले ही उसने इसमें कभी निवेश किया हो या नहीं. अब सरकार इस पर कानून लाने वाली है, लेकिन यह काम भी Bitcoin को करेंसी का दर्जा? बड़ा उलझन भरा है. जाानिए क्यों?

भारतीय संसद के इस हफ्ते शुरू हुए शीतकालीन सत्र की खास बात कृषि या विकास संबंधी परियोजनाएं न होकर एक ऐसी करेंसी या मुद्रा रही जो न देखी जा सकती है, न छुई जा सकती है और जिसकी कीमत तेजी से घटती-बढ़ती रहती है. इसे क्रिप्टोकरेंसी या डिजिटल करेंसी कहते हैं, जिस पर सरकार या बैंक का नियंत्रण नहीं होता है. यह करेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर बनी होती है, जो किसी डेटा को डिजिटली सहेजता है.

अब जो करेंसी किसी के नियंत्रण में नहीं है, उस पर सरकार कानून कैसे ला सकती है? इसका जवाब हां और ना दोनों है. भले ही सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई कानून न बनाया हो, लेकिन भारत का आयकर विभाग क्रिप्टो निवेश पर होने वाली इनकम पर टैक्स लेता है. हालांकि क्रिप्टो टैक्स के नियम ज्यादा साफ नहीं हैं, लेकिन अगर किसी निवेश पर टैक्स लिया जा रहा है तो इसका मतलब है कि सरकार उसे आय का स्रोत मान रही है.

दूसरा पक्ष यह है कि सरकार इसे पेमेंट का माध्यम मानने से इनकार कर रही है. हाल ही में संसद की ओर से जारी एक बुलेटिन में कहा गया कि बिटकॉइन या इथेरियम जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है. यानि इनसे कोई भी दूसरा सामान नहीं खरीदा जा सकेगा.

नुकसानदेह हो सकता है सरकार का रवैया

सरकार की यह हिचक लंबे अर्से में नुकसान ही कराएगी क्योंकि कई छोटे-बड़े देशों ने क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट का माध्यम मान लिया है. मसलन, अमेरिका स्थित दुनिया के सबसे बड़े मूवी थिएटर चेन एएमसी ने कुछ क्रिप्टोकरेंसी से पेमेंट किए जाने को मंजूरी दे Bitcoin को करेंसी का दर्जा? दी है. वहीं, कोरोना महामारी से बुरी तरह तबाह हो चुके टूरिज्म बिजनेस को दोबारा खड़ा करने के लिए थाइलैंड ने क्रिप्टो निवेशकों का स्वागत करते हुए कहा Bitcoin को करेंसी का दर्जा? है कि वे उनके यहां आकर क्रिप्टो के जरिए सामान खरीद सकते हैं.

प्राइवेट बैंकों ने तो एटीएम भी लगा रखा हैतस्वीर: Christian Beutler/picture alliance/KEYSTONE/dpa

हालांकि, भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को एसेट क्लास यानि स्टॉक, बॉन्ड जैसा मानने को तैयार दिख रही है. इसका मतलब है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी न मानकर निवेश का माध्यम मानने को तैयार है. संसद की ओर से जारी बुलेटिन की एक अन्य टिप्पणी भी भ्रम पैदा करने वाली है. सरकार ने कहा है कि वह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा देगी. यह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी आखिर है क्या? सरकार ने इसे लेकर कोई व्याख्या नहीं दी है. क्रिप्टो जगत में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी जैसी कोई चीज होती ही नहीं है क्योंकि सारी क्रिप्टोकरेंसी ‘प्राइवेट' ही हैं, ‘पब्लिक' या सरकार के नियंत्रण में तो हैं नहीं.

ब्लॉकचेन तकनीक से परहेज नहीं

एक अन्य मुद्दा जिस पर सरकार का रुख कन्फ्यूज कर रहा है वह है डिजिटल रुपये. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ब्लॉकचेन तकनीक भा गई है क्योंकि इसकी वजह से रिकॉर्ड को सहेजना और करेंसी को जारी करना आसान है. सरकार को भले क्रिप्टोकरेंसी से दिक्कत हो, लेकिन वह खुद रुपये को डिजिटली जारी करना चाहती है. यानि हो सकता है कि भारतीय रुपया जल्द ही बिटकॉइन या डॉजकॉइन की तरह डिजिटल हो जाए.

हाल के दिनों में सरकार के रवैये ने आम भारतीय क्रिप्टो निवेशकों को खूब छकाया. भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे वजीरएक्स और कॉइनडीसीएक्स पर निवेशकों ने जल्दबाजी में अपनी करेंसी बेच डाली. पुराने और मंझे हुए क्रिप्टो निवेशकों ने इसका फायदा उठाया और गिरे हुए भाव पर दाव लगाकर क्रिप्टोकरेंसी को अपनी झोली में डाल लिया. ऐसा ही होता है क्रिप्टोकरेंसी बाजार में, जहां कीमत के गिरने का इंतजार कर रहे निवेशक झट से पैसे लगाकर प्रॉफिट लेकर चले जाते हैं.

कंपनियों को सरकार के फैसले का इंतजार

भारत में स्थित क्रिप्टो कंपनियां फिलहाल सरकार के बिल लाने का इंतजार कर रही हैं. वह कई वर्षों से सरकार के साथ बातचीत कर रही थीं क्योंकि उन्हें मालूम है कि रेगुलेशन और Bitcoin को करेंसी का दर्जा? कानून आने से उन्हीं का फायदा होगा और क्रिप्टो को लेकर आम लोगों में विश्वास जगेगा. यही वजह है कि क्रिप्टो बिल को लेकर तमाम अटकलों के बावजूद अरबों की संपत्ति वाला क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनडीसीएक्स अब अपना आईपीओ शेयर बाजार में लाने वाला है. आईपीओ के जरिए उसे विस्तार मिलेगा और वह आम लोगों में अपने शेयर बेचकर धन की उगाही कर सकेगा.

कई देशों में बिटकॉइन के प्रचार की कोशिशें हो रही हैंतस्वीर: Salvador Melendez/AP Photo/picture alliance

भारत को लेकर बड़ी कंपनिया आश्वस्त हैं कि यहां चीन की तरह क्रिप्टो पर बैन लगाकर तानाशाही नहीं चलेगी. एनालिटिक फर्म चेनएनालिसिस ने भी भारत को क्रिप्टो का हब करार दिया है, जो बिना किसी गाइडलाइंस के देश ने हासिल किया है. यह बड़ी उपलब्धि है और सरकार को इसे गंवाना नहीं चाहिए.

फिलहाल सरकार को ब्लॉकचेन तकनीक से कोई दिक्कत नहीं, न ही क्रिप्टोकरेंसी इनकम पर मिलने वाले टैक्स से. लेकिन विडंबना यह है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने को भी आतुर है. यह वही बात हो गई है कि कमरे में हाथी रखा है और सबने उसकी अपनी तरह से व्याख्या की है. भारत सरकार को क्रिप्टोकरेंसी पर व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. एक ऐसा देश जो आईटी सेक्टर का हब हो, जहां 50 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हो और जिसने डिजिटल इंडिया का ख्बाव देखा हो, वह ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी के उदय के दौर में पिछड़ कर रह जाएगा.

ये भी देखिए: बिटकॉइन कैसे काम करता है और यह किस काम आता है

Bitcoin को अल-सल्वाडोर में लीगल करेंसी का दर्जा, ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बना

अल सल्वाडोर में बिटकॉइन को लीगल करेंसी मान लिए जाने के बाद वहां इस पर कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं लगेगा. वहां की सरकार ने क्रिप्टो एंटरप्रेन्योर्स को स्थायी तौर पर रहने की छूट देने का एलान भी किया है.

Bitcoin को अल-सल्वाडोर में लीगल करेंसी का दर्जा, ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बना

As a nation, we can’t afford to have a scenario where this category of investment exists unregulated.

Bitcoin Declared Legal Currency in El Salvador : अल सल्वाडोर क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन को कानूनी दर्जा देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. अब तक किसी देश ने इसे अपनी वैध करेंसी नहीं घोषित किया था. अल-सल्वाडोर अब आधिकारिक रूप से पहला देश बन गया है कि जहां बिटकॉइन को किसी भी सौदे के लिए कानूनी करेंसी के तौर पर मान्यता मिल गई है. अल-सल्वाडोर की संसद में बिटकॉइन को 62 की तुलना में 84 वोटों से मंजूरी दे दी गई. राष्ट्रपति नायिब बुकेले ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. इस ऐलान के बाद बिटक्वाइन की कीमत 33,98 डॉलर से बढ़ कर 34,398 डॉलर पर पहुंच गई.

अब कीमतों को बिटकॉइन में बताया जा सकेगा

राष्ट्रपति बुकेले ने सोमवार को ऐलान किया था कि देश की कानूनी मुद्रा बन जाने के बाद इस पर कोई कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं लगाया जाएगा. देश में क्रिप्टो एंटरप्रेन्योर को तुरंत स्थायी तौर पर रहने की अनुमति दी जाएगी. राष्ट्रपति के इस ऐलान के बाद अल-सल्वाडोर में प्रॉपर्टी की पूछताछ बढ़ गई. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि बिटकॉइन और अमेरिकी डॉलर के बीच एक्सचेंज रेट अब स्वतंत्र तौर पर स्थापित होने लगेंगे. कीमतों को बिटकॉइन में बताया जा सकेगा. बिटकॉइन में लेन-देन कैपिटल गेन्स टैक्स के दायरे में नहीं आएंगे. डॉलर में किए जाने वाले पेमेंट अब बिटकॉइन में भी किए जा सकेंगे.

The #BitcoinLaw has been approved by a supermajority in the Salvadoran Congress.

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62 out of 84 votes!

History! #Btc.

— Nayib Bukele . (@nayibbukele) June Bitcoin को करेंसी का दर्जा? 9, 2021

कई निवेशकों ने किया फैसले का स्वागत

इस कानून पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सिलिकन वैली के एंजेल इनवेस्टर बालाजी श्रीनिवास ने कहा कि यह अद्भुत फैसला है. अब उन सभी इकोनॉमिक एजेंटों को बिटकॉइन में पेमेंट लेना शुरू कर देना चाहिए, जो टेक्नोलॉजी के तौर पर इसमें सक्षम हैं. हाल में दुनिया भर के क्रिप्टोकरेंसी में काफी तेजी देखी गई है. भारत समेत दुनिया के कई देशों में निवेशकों के बीच इसने काफी दिलचस्पी पैदा की है. भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर Bitcoin को करेंसी का दर्जा? पाबंदी के आरबीआई के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

बिटकॉइन को लीगल टेंडर घोषित करने के पक्ष में 37% लोग

लगभग 37 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे सरकार को पूरा समर्थन करेंगे, अगर सरकार बिटकॉइन या दूसरे किसी एसेट को ऑफिशिअल पेमेंट ऑप्शन के रूप में लागू करती है

बिटकॉइन को लीगल टेंडर घोषित करने के पक्ष में 37% लोग

37 प्रतिशत लोग बिटकॉइन को लीगल टेंडर के रूप में देश में देखना चाहते हैं

खास बातें

  • 3 हजार लोगों किया गया सर्वे
  • 37 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे सरकार को पूरा समर्थन करेंगे
  • 60 प्रतिशत लोगों ने नॉन फंजीबल टोकनों को खरीदने में दिखाई रूचि

Crypto मार्केट की अस्थिरता लोगों का विश्वास इसमें से नहीं डगमगा पा रही है. एक हालिया सर्वे बताता है कि लोग ये रिस्क उठाने के लिए तैयार हैं. एक ब्रिटिश न्यूजपेपर ने हाल ही में एक सर्वे किया, जिसमें पाया गया कि 37 प्रतिशत लोग क्रिप्टोकरेंसी को अपने देश में कानूनी दर्जा दिलवाने के पक्ष में हैं. यानि कि 37 प्रतिशत डिजिटल करेंसी को लीगल टेंडर के रूप में घोषित होते देखना चाहते हैं. इसके अलावा लोग अपने देश की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को भी लॉन्च होते देखना चाहते हैं. सर्वे में पाया गया है कि 37% लोग चाहते हैं कि वहां की सरकार CBDC जैसा फाइनेंशिअल प्रोडक्ट लॉन्च करे.

पॉपुलर ब्रिटिश न्यूजपेपर- The Economist ने 3 हजार लोगों पर एक सर्वे किया. ये सभी लोग विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों में से लिए गए थे जिसमें अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर शामिल थे. इसके साथ ही इसमें कुछ देश ऐसे थी जिनमें विकासशील अर्थव्यवस्था देखने को मिलती है जैसे- ब्राजील, तुर्की, वियतनाम, साउथ अफ्रीका और फिलीपीन्स. ये सर्वे इसलिए किया गया ताकि इन देशों में क्रिप्टोकरेंसी इंडस्ट्री के लिए लोगों की धारणा के बारे में पता लगाया जा सके.

लगभग 37 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे सरकार को पूरा समर्थन करेंगे, अगर सरकार बिटकॉइन या दूसरे किसी एसेट को ऑफिशिअल पेमेंट ऑप्शन के रूप में लागू करती हैं. इस सर्वे में 43 प्रतिशत लोगों ने कोई राय नहीं दी और वे न्यूट्रल बने रहे. जबकि 18 प्रतिशत ने कहा कि वे ऐसे किसी कदम का समर्थन नहीं करेंगे.

देश की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी लॉन्च करने के बारे में भी लोगों का यही प्रतिशत सामने आया. लगभग 37 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार को देश की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी को लॉन्च करना चाहिए. जबकि 19 प्रतिशत लोगों ने इसके विरोध में वोट देते हुए कहा कि यह सरकार की एक गलती Bitcoin को करेंसी का दर्जा? होगी.

सर्वे में नॉन फंजीबल टोकन के बारे में भी राय ली गई. इसके लिए 60 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो नॉन फंजीबल टोकनों को खरीदने में रुचि रखते हैं, उन्हें बेचना चाहते हैं या होल्ड करके रखना चाहत हैं. इसके अलावा 7 प्रतिशत ऐसे लोग थे जो इसके विरोध में थे. यह Bitcoin को करेंसी का दर्जा? कहा जा सकता है कि कोविड 19 महामारी ने पेमेंटे नेटवर्क में काफी बदलाव किया और बहुत से लोग अब कैश की बजाय डिजिटल पेमेंट में शिफ्ट हुए हैं. इस सर्वे के नतीजे बताते हैं कि 18 प्रतिशत लोग अगले एक या दो साल में देश में कैशलेस पेमेंट सिस्टम देखना चाहते हैं.

बड़ी खबर: इस देश में बिटक्वाइन को मिला आधिकारिक करेंसी का दर्जा, लोग वित्तीय लेनदेन के लिए कर सकेंगे इसका इस्तेमाल

अल सल्वाडोर कांग्रेस ने नौ जून को देश में दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन को कानूनी तौर पर मान्यता देने वाले बिल को मंजूरी दी थी।

बिटक्वाइन

मध्य अमेरिकी देश अल सल्वाडोर दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है, जहां बिटक्वाइन को लीगल टेंडर या आधिकारिक करेंसी का दर्जा दे दिया गया है। यानी इस देश के लोग वित्तीय लेन-देन के लिए बिटक्वाइन का इस्तेमाल कर सकते हैं। मामले में क्रिप्टोकरेंसी के एक्सपेरिमेंट का समर्थन करने वालों का कहना है कि इससे अल सल्वाडोर में हर साल विदेश से आने वाले अरबों डॉलर के फंड पर लगने वाला कमीशन कम होगा। वहीं इसका विरोध करने वालों का कहना है कि इससे मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा मिल सकता है।

बचेगा 40 करोड़ डॉलर का कमीशन
अल-सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायिब बुकेले इसे बढ़ावा दे रहे हैं। अमेरिका में रहने वाले हमवतन द्वारा हर साल अरबों डॉलर स्वदेश भेजे जाते हैं। इसके लिए वे 40 करोड़ डॉलर कमीशन के तौर पर खर्च करते हैं। बिटक्वाइन को आधिकारिक करेंसी का दर्जा देने से ये राशि बच जाएगी।

ये होंगे फायदे
अल सल्वाडोर की संसद में राष्ट्रपति के प्रस्ताव पर बिटक्वाइन को 62 की तुलना में 84 वोटों से मंजूरी दी गई थी। तब बिटक्वाइन को वैध मुद्रा बनाने का कानून 90 दिनों में लागू होना था। बुकेले ने एक ट्वीट में कहा था कि, यह हमारे देश के लिए वित्तीय समावेशन, निवेश, पर्यटन, नवाचार और आर्थिक विकास लाएगा। इस कदम से अल सल्वाडोर के लोगों के लिए वित्तीय सेवाएं खुल जाएंगी। विदेशों में काम कर रहे सल्वाडोर के लोग काफी तादाद में करेंसी अपने घर भेजते हैं। विश्व बैंक के डाटा के अनुसार साल 2019 में लोगों ने कुल छह अरब डॉलर, यानी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 23 फीसदी देश में भेजे थे।

अल सल्वाडोर ने की 400 बिटक्वाइन की खरीदारी
मालूम हो कि अल साल्वाडोर ने अपनी करेंसी कोलोन को खत्म करके वर्ष 2001 में उसकी जगह अमेरिकी डॉलर को अपनाया था। सोमवार को ही अल सल्वाडोर ने 400 बिटक्वाइन की खरीदारी की थी। इसकी वजह से क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में 1.49 फीसदी का उछाल आया था और यह बढ़कर 52,680 डॉलर से अधिक हो गई थी। हालांकि यह अप्रैल के 64,000 डॉलर से उच्च स्तर से काफी नीचे है। सरकार पहले ही अपने शिवो डिजिटल वॉलेट के एटीएम लगाने में जुटी थी। इसके जरिए क्रिप्टोकरेंसी को डॉलर में बिना कमीशन के बदला जा सकता है। हालांकि राष्ट्रपति ने नागरिकों से कहा है कि इस पहल के नतीजों को लेकर वे हड़बड़ी न दिखाएं।

विस्तार

मध्य अमेरिकी देश अल सल्वाडोर दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है, जहां बिटक्वाइन को लीगल टेंडर या आधिकारिक करेंसी का दर्जा दे दिया गया है। यानी इस देश के लोग वित्तीय लेन-देन के लिए बिटक्वाइन का इस्तेमाल कर सकते हैं। मामले में क्रिप्टोकरेंसी के एक्सपेरिमेंट का समर्थन करने वालों का कहना है कि इससे अल सल्वाडोर में हर साल विदेश से आने वाले अरबों डॉलर के फंड पर लगने वाला कमीशन कम होगा। वहीं इसका विरोध करने वालों का कहना है कि इससे मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा मिल सकता है।

बचेगा 40 करोड़ डॉलर का कमीशन
अल-सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायिब बुकेले इसे बढ़ावा दे रहे हैं। अमेरिका में रहने वाले हमवतन द्वारा हर साल अरबों डॉलर स्वदेश भेजे जाते हैं। इसके लिए वे 40 करोड़ डॉलर कमीशन के तौर पर खर्च करते हैं। बिटक्वाइन को आधिकारिक करेंसी का दर्जा देने से ये राशि बच जाएगी।

ये होंगे फायदे
अल सल्वाडोर की संसद में राष्ट्रपति के प्रस्ताव पर बिटक्वाइन को 62 की तुलना में 84 वोटों से मंजूरी दी गई थी। तब बिटक्वाइन को वैध मुद्रा बनाने का कानून 90 दिनों में लागू होना था। बुकेले ने एक ट्वीट में कहा था कि, यह हमारे देश के लिए वित्तीय समावेशन, निवेश, पर्यटन, नवाचार और आर्थिक विकास लाएगा। इस कदम से अल सल्वाडोर के लोगों के लिए वित्तीय सेवाएं खुल जाएंगी। विदेशों में काम कर रहे सल्वाडोर के लोग काफी तादाद में करेंसी अपने घर भेजते हैं। विश्व बैंक के डाटा के अनुसार साल 2019 में लोगों ने कुल छह अरब Bitcoin को करेंसी का दर्जा? डॉलर, यानी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 23 फीसदी देश में भेजे थे।

अल सल्वाडोर ने की 400 बिटक्वाइन की खरीदारी
मालूम हो कि अल साल्वाडोर ने अपनी करेंसी कोलोन को खत्म करके वर्ष 2001 में उसकी जगह अमेरिकी डॉलर को अपनाया था। सोमवार को ही अल सल्वाडोर ने 400 बिटक्वाइन की खरीदारी की थी। इसकी वजह से क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में 1.49 फीसदी का उछाल आया था और यह बढ़कर 52,680 डॉलर से अधिक हो गई थी। हालांकि यह अप्रैल के 64,000 डॉलर से उच्च स्तर से काफी नीचे है। सरकार पहले ही अपने शिवो डिजिटल वॉलेट के एटीएम लगाने में जुटी थी। इसके जरिए क्रिप्टोकरेंसी को डॉलर में बिना कमीशन के बदला जा सकता है। हालांकि राष्ट्रपति ने नागरिकों से कहा है कि इस पहल के नतीजों को लेकर वे हड़बड़ी न दिखाएं।

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