संकेतकों को फिर से निकालने का खतरा क्या है

तेज बारिश से नदी-नाले उफने, रपटों पर बाढ़ का पानी, 20 रुपए में पार निकाला जा रहा
हरदा. जिलेभर में गुरुवार को दिनभर तेज बारिश का दौर जारी रहा। इस दौरान नदी-नाले उफान पर आ गए। ग्रामीण क्षेत्रों का आवागमन घंटों बंद रहा। हालांकि कुछ लोगों ने जान जोखिम में डालकर बाढ़ के पानी में डूबे रपटे और पुल पार किए। जिन्होंने उनका हाथ पकड़कर रपटे पार कराए उन्होंने इसके एवज में 20 रुपए तक लिए। यहां रोकने-टोकने वाला कोई नहीं था। क्षेत्र के कई नदी-नालों के रपटों के साथ ही ऐसा दृश्य गुरुवार दोपहर नहालखेड़ा से नहाडिय़ा-झाड़पा मार्ग पर सुकनी नदी पर बनी पुलिया पर भी देखा गया। तेज बारिश के कारण पानी का बहाव इतना तेज था कि जरा पैर फिसले और जान के लाले पड़ जाएं। इसके बावजूद कई लोगों ने इसे पार किया। पुलिया पहले से ही क्षतिग्रस्त होने के कारण पैदल निकलने में यहां उभरे गड्ढे और छडिय़ोंं से भी चलने में समस्या हुई। पुलिया के दोनों ओर न तो सुरक्षा के लिए रैलिंग थी, न ही लोगों को बाढ़ में निकलने से रोकने के लिए सूचना या संकेतक बोर्ड। नीलगढ़ निवासी एक व्यक्ति 20 रुपए में यात्रियों की जान हथेली पर रखकर उन्हें पार करा रहा था। वाहनों को भी खतरा झेलकर निकाला गया। हरदा के महात्मा गांधी स्कूल में पढ़ाई कर घर लौट रहे नीलगढ़ निवासी छात्र गौतम, पदम, भवानी हो या नन्हीं बच्ची को लेकर नदी पार करने वाले आकाश कर्मा। सभी को जोखिम उठाकर नदी पार करना पड़ा। पूर्व में हुए हादसों से सबक लेकर लोगों को ऐसा करने से रोका नहीं जा रहा।
सड़कों पर जलभराव हुआ, वाहनों के हेडलाइट जले
शहर में गुरुवार को दिनभर रुक-रुककर जोरदार बारिश हुई। नालियां उफान मारने से सड़कों पर जलभराव हो गया। इस दौरान वाहन चालकों ने बेहद सतर्कता बरती। तेज बारिश के कारण उन्होंने हेडलाइट जलाकर वाहन निकाले।
रास्ते बंद होने से स्कूली बच्चे परेशान रहे
तेज बारिश के कारण कमताड़ा सहित अन्य गांवों में जलभराव की स्थिति रही। पानी निकासी में रुकावट से ऐसा हुआ। कमताड़ा से बीड़ का रास्ता बंद हो गया। स्कूली बच्चों ने खासी फजीहत झेली।
अजनाल नदी का जलस्तर बढ़ा।
वनांचल सहित समूचे क्षेत्र में हो रही जोरदार बारिश से अजनाल नदी उफान पर रही। वहीं माचक और गंजाल नदी में भी बाढ़ की स्थिति रही। अंचल में लगातार बारिश से नर्मदा का जलस्तर भी बढ़ता जा रहा है।
बीते साल से ९.५ इंच ज्यादा हो चुकी औसत बारिश
जिले में बीते साल से २४३.४ मिमी (९.५ इंच) ज्यादा औसत बारिश हो चुकी है। 1 जून से अब तक जिले में 6 36 .3 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। गत वर्ष की इसी अवधि की औसत वर्षा 392.9 मिमीहै। अधीक्षक भू-अभिलेख ने बताया कि अभी तक हरदा में 6 04.7 (गत वर्ष 417.0 मिमी), टिमरनी में 748 .4 (गत वर्ष 421.8 मिमी) व खिरकिया में 556 .0 मिमी (गत वर्ष 340.0 मिमी) औसत वर्षा दर्ज की गई है। पिछले 24 घंटों में (गुरुवार सुबह ८ बजे तक) हरदा में 56 .6 मिमी, टिमरनी में 42.0 मिमी व खिरकिया में 10.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। जिले की सामान्य वर्षा 126 1.7 मिमी है।
लापरवाही ले रही जानें
बूंदी। यह तो बस बानगीभर है। पिकनिक मनाने आने वाले लोगों में से कई के लिए आनंद का यह .
Updated: January 16, 2015 12:10:06 pm
बूंदी। यह तो बस बानगीभर है। पिकनिक मनाने आने वाले लोगों में से कई के लिए आनंद का यह समय बेवक्त मौत की वजह बन रहा है। पिकनिक स्पॉट्स पर सुरक्षा इंतजामों की कमी हादसों का कारण बन रही है।
अपने प्राकृतिक सौंदर्य के मशहूर जिले के कुछ पिकनिक स्पॉट्स पर बूंदी के साथ ही आसपास के जिलों के लोग भी पिकनिक मनाने आते हैं और जानकारी के अभाव में अपनी जान गंवा रहे हंै। रामेश्वर महादेव, भीमलत महादेव, बरधा बांध में ऎसे हादसों की संख्या अधिक है। पुलिस व जिला प्रशासन की ओर से इन स्थानों पर निगरानी के लिए गार्ड की व्यवस्था तो की जाती है, लेकिन वह नाकाफी साबित हो रही है। लोग लापरवाही से खतरे के मुंह में जाकर अपनी जान गंवा रहे हैं।
नशा बन रहा एक वजह
जानकारी के अनुसार पिकनिक मनाने के लिए पहंुच रहे लोगों में अधिकांश लोग नशा करके यहां आते हंै। नशे की स्थिति में वे कुंड व बांधों की गहराई तक पहंुच जाते है और जान का खतरा हो जाता है। यहां नशा करने से रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। लोग चोरी छिपे नशा कर यहां आ रहे हंै। इस तरह की जांच का यहां कोई प्रबंध नहीं है। बरधा बांध पर तो लोग खुलेआम नशा करते हुए देखे जा सकते हैं।
नहीं है कोई संकेतक
रामेश्वर महादेव में बारिश के समय अचानक पानी का बहाव बढ़ जाता है। ऎसे में झरने में नहाने वाले लोग बहाव के साथ कुंड के गहरे स्थान पर पहंुच जाते है। वहीं भीमलत महादेव में बने कुंड में गहराई के साथ ही चट्टानों की कई कराइयां बनी हुई है। जो हादसों का कारण बनती है। इसके साथ ही बरधा बांध में भी अचानक पानी का बहाव आने, काई युक्त चिकने पत्थर होने और फाल के स्थान पर लोहे के सरिए बाहर निकलने के कारण जान गंवा देते हैं। इन स्थानों पर इन खतरों से आगाह करते हुए कोई संकेतक नहीं लगाए गए है। इससे लोग जानकारी के अभाव में बेपरवाह होकर जान का खतरा मोल ले रहे हंै।
हर साल होते हैं हादसे
पिकनिक स्पॉट पर हर साल लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। बरसात शुरू होते ही पिकनिक स्थलों पर लोगों के आने का क्रम शुरू हो जाता है। ऎसे में हर साल यहां जनहानि हो रही है। इस मामले में न तो पुलिस प्रशासन गंभीर है और न ही जिला प्रशासन की ओर से कोई योजना बनाई जा रही है।
यह है पिकनिक स्थल
जिले में एक दर्जन से अधिक पिकनिक स्थल है, जहां हर साल लोग बारिश में पिकनिक मनाने पहंुचते है। इसमें रामेश्वर महादेव, भीमलत महादेव, बरधा बांध प्रमुख पिकनिक स्थल है। इसके अलावा लकडेश्वर महादेव, झरमहादेव, धुंधलेश्वर महादेव, देवझर महादेव आदि स्थानों पर भी लोग पिकनिक मनाने पहंुचते हैं। इनमें से किसी भी स्थान पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए हुए हैं।
पिकनिक स्थलों के आसपास के थाना प्रभारियों को जनसहयोग से चेतावनी बोर्ड लगाने के लिए कहा है। जिन पर हादसे होने के कारणों के बारे में लिखा जाएगा। इसके साथ ही नशा करके आने वाले लोगों के लिए लोग इसकी सूचना थाने पर दे सकते हैं। इस पर कार्रवाई की जाएगी। रामेश्वर महादेव पर बहाव तेज होने के कारण कुछ समय के लिए झरने के पास जाने से लोगों को रोका है। जिससे कोई जनहानि न हो।
पंकज चौधरी, पुलिस अधीक्षक, बूंदी
केस-1
रामेश्वर महादेव में 29 जुलाई 2014 को अपने परिवार के साथ पिकनिक मनाने आए 25 वर्षीय राजेश कुमार की मौत हो गई। अचानक तेज बहाव आने से राजेश झरने से कुंड की गहराई में पहंुच गया, जिसका शव एक दिन बाद निकाला जा सका।
केस-2
बरधा बांध में कोटा रंग तालाब लोको कॉलोनी निवासी शाहरूख खान (20) 15 अगस्त 2013 को अपने दोस्ताें के साथ पिकनिक मनाने आया था, जहां पानी में डूबने से उसकी मौत हो गई।
Delhi Yamuna River: दिल्ली में फिर बढ़ा यमुना का जलस्तर, निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात; सामान लेकर सड़क पर आए लोग
दिल्ली में यमुना नदी के जलस्तर ने एक बार फिर खतरे के निशान को पार कर दिया है। जलस्तर बढ़ने से निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। यहां रहने वाले लोग सामान लेकर सड़क पर आ गए हैं।
दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर एक बार फिर 204.5 मीटर यानी खतरे के निशान को पार कर गया है। अधिकारियों ने बताया कि संकेतकों को फिर से निकालने का खतरा क्या है हरियाणा ने ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश के बीच हथिनीकुंड बैराज से और पानी छोड़ा है। जलस्तर बढ़ने से निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। इससे यहां रहने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है। उनकी झोपड़ियों में पानी भर गया है। लोग अपने जरूरी सामान को लेकर सड़क किनारे आ गए हैं।
इससे पहले 12 अगस्त को नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के बाद 205.33 मीटर के खतरे के निशान को पार कर गई थी, जिसके बाद अधिकारियों ने निचले इलाकों से लगभग 7,000 लोगों को निकाला था। वहीं 15 अगस्त को जलस्तर खतरे के निशान से नीचे चला गया था। 16 अगस्त की शाम 6 बजे नदी का जलस्तर 203.96 मीटर था। हालांकि 16 अगस्त को जलस्तर दोबारा बढ़ गया और खतरे के निशान को पार कर गया।
केंद्रीय जल आयोग द्वारा जारी एक पूर्वानुमान में कहा गया था कि 17 अगस्त को रात नौ बजे तक नदी का जलस्तर 205.25 मीटर तक बढ़ने और उसके बाद स्थिर रहने की संभावना है। दिल्ली के निचले इलाकों में 37,000 लोग रहते हैं। मौसम विभाग का कहना है कि अगले दो-तीन दिन में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 'एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा' होने की संभावना है।
दिल्ली में बाढ़ को लेकर चेतावनी तब घोषित की जाती है जब हरियाणा यमुना में हथिनीकुंड बैराज से एक लाख क्यूसेक की दर से पानी छोड़ता है इससे जलस्तर खतरे के निशान को पार कर जाती है। इसके बाद निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को बाहर निकाला जाता है। पिछले साल 30 जुलाई को यमुना नदी खतरे के निशान को पार कर गई थी। तब पुराने रेलवे ब्रिज का जलस्तर बढ़कर 205.59 मीटर हो गया था।
बिज़नेस समाचार
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क्रिप्टोकरेंसी को उभरते बाजारों के लिए एक चुनौती मानती हैं गीता गोपीनाथ, विनियमन की जरूरत
गोपीनाथ ने क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए एक वैश्विक नीति और समन्वित कार्रवाई का भी सुझाव दिया।
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आरबीआई ने एक बयान में कहा कि उसने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के निगरानी मूल्यांकन को लेकर सांविधिक जांच-पड़ताल की थी।
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क्या टाइप 1 डायबिटीज मरीजों में इंसुलिन से बढ़ सकता है कैंसर का खतरा? जानिये
डायबिटीज की बीमारी कैंसर होने का प्रमुख संकेतक है जिसके कारण मेटोबोलिज्म में परिवर्तन होता है।
डायबिटीज के मरीज नेचुरल तरीके से इंसुलिन का उत्पादन करने वाले फूड्स का सेवन करें।photo-freepik
डायबिटीज एक क्रोनिक स्थिति है। यानी एक बार अगर किसी को हो जाए तो यह आमतौर पर हमेशा उसके साथ रहती है। डायबिटीज बेहद खतरनाक बीमारी है जिसमें कई अन्य बीमारियों के होने का जोखिम बढ़ जाता है। डायबिटीज में पैनक्रियाज से निकलने वाला हार्मोन इंसुलिन बहुत कम बनाता है या फिर बनाता ही नहीं है। इंसुलिन नहीं होने के कारण खून में ब्लड शुगर जमा होने लगती है जिसके कारण किडनी, हार्ट, नसें और आंखों से संबंधित बीमारियों होती है। चूंकि टाइप 1 डायबिटीज में इंसुलिन बनता ही नहीं है, इसलिए इस बीमारी से पीड़ित लोगों को इंसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है। अब सवाल यह है कि क्या इंसुलिन लेने से कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
इंसुलिन लेने वालों में कैंसर का जोखिम बढ़ा:
हाल ही में जामा स्टडी में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन का इंजेक्शन लेने के बाद कैंसर के जोखिम को देखा गया है, जो चिंता का विषय है। दरअसल, स्टडी में डायबिटीज मरीजों के पुराने रिकॉर्ड को खंगाला गया। इसमें टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में कैंसर के साथ संबंधों की पड़ताल की गई। अध्ययन में टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित 1303 लोगों के रिकॉर्ड से 28 साल का लेखा जोखा निकाला गया।
अध्ययन में देखा गया कि 28 सालों के दौरान इन मरीजों को किन-किन परेशानियों से गुजरना पड़ा। इसमें स्मोकिंग, अल्कोहल, दवाई, पारिवारिक इतिहास जैसे 150 जोखिमों पर भी बारीक नजर डाली गई। अध्ययन के नतीजे संकेतकों को फिर से निकालने का खतरा क्या है चौंकाने वाले थे। अध्ययन में पाया गया कि 1303 मरीजों में से 93 ने कैंसर का इलाज किया। इसका मतलब यह हुआ कि टाइप 1 मरीजों में से संकेतकों को फिर से निकालने का खतरा क्या है प्रत्येक एक हजार में प्रत्येक साल 2.8 प्रतिशत को कैंसर हुआ। इन 93 मरीजों में 57 महिलाएं थीं और 36 पुरुष थे। इनमें से 8 लोगों को टाइप 1 डायबिटीज के होने के 10 साल के अंदर कैंसर हुआ। इसके बाद 31 लोगों को 11 से 20 साल के अंदर और 54 लोगों को 21 से 28साल के अंदर कैंसर हुआ।
अभी इसे मानना जल्दबाजी:
तो क्या यह मान लिया जाए कि टाइप 1 डायबिटीज मरीजों को कैंसर होने का जोखिम ज्यादा है। वोकहार्ट्ड अस्पताल मीरा रोड के इंटरनल मेडिसीन के डॉ. अनिकेत मुले कहते हैं, डायबिटीज और कैंसर क्रोनिक स्थिति है। पिछले कुछ सालों से इन दोनों बीमारियों का बोझ भारत में बढ़ा है। उन्होंने कहा कि मोटापा डायबिटीज और कैंसर के प्रमुख कारकों में से एक है।
इसके कारण आज दुनिया में अधिकांश लोगों की मौत होती है। हालांकि यह बात सही है कि डायबिटीज कैंसर के होने का प्रमुख संकेतक है। इसके कारण मेटोबोलिज्म में परिवर्तन होता है जिससे कई सारी शरीर में जटिलताएं आती हैं। लेकिन जैसा कि स्टडी में कहा गया कि इंसुलिन इंजेक्शन के कारण कैंसर का जोखिम बढ़ा है, इसे पूरी तरह से सच मान लेना जल्दबाजी होगी।