बाजार तरलता क्या है

वर्ष 1990 में संगठित इस संघटक का प्रयोग बाजार तरलता क्या है वित संस्थानों, गैर बैंकिंग वित्त कंपनियों, मर्चेन्ट बैकों, सहकारी बैंकों एवं म्यूचुअल फंड कंपनियों द्वारा किया जाता है।
Liquidity Risk- लिक्विडिटी रिस्क
क्या होता है लिक्विडिटी रिस्क?
तरलता (Liquidity) किसी फर्म, कंपनी या किसी व्यक्ति विशेष का बिना विनाशकारी नुकसान उठाये अपने ऋणों को भुगतान करने की क्षमता है। इसके विपरीत, लिक्विडिटी रिस्क (Liquidity Risk) बाजार तरलता क्या है किसी निवेश की मार्केटिबिलिटी की कमी से उत्पन्न होता है जिसकी खरीद या बिक्री बिना नुकसान को रोके या उसे कम किये हुए नहीं की जा सकती है। आम तौर पर यह असामान्य रूप से व्यापक बिड-आस्क स्प्रेड्स या लार्ज प्राइस मूवमेंट में प्रदर्शित होता है। निवेशक, मैनेजर या क्रेडिटर लिक्विडिटी माप अनुपात का उपयोग तब करते हैं जब उन्हें किसी संगठन के भीतर जोखिम के स्तर के बारे में निर्णय करना होता है। अगर कोई इंडीविजुअल निवेशक, कंपनी या वित्तीय संस्थान अपनी अल्प अवधि ऋण देनदारियों को पूरा नहीं कर सकता तो इसका अर्थ है वह लिक्विडिटी रिस्क से गुजर रहा है।
वित्तीय बाजार क्या है ? Financial Market meaning in hindi .
बाजार किसी अर्थव्यवस्था का वह अंग है, वचनातिरक (fund surplus) पक्ष और अवाभाव (tund scarce) पक्ष के बीच धन का (transaction) होता है। यह लेन-देन व्याज (intrest)अथवा लाभांश (dividend) के आधार पर सम्पन होता है।
1. इस भौतिक रूप से विद्यमान बाजार में धन का लघु अवधि (short term) या दीर्घ अवधि (Long term) के लिए हो सकता है। प्रत्येक ऐसा लेन देन जिसकी समय सीमा 1 दिन से 364 दिनों की हो सकती है, लघु अवधि का वित्त बाजार है। इसी बजार को मुद्रा बाजार (Money Market) कहा जाता है।
इसी प्रकार एक वर्ष या इससे अधिक अवधि के इस तरह केे धन के लेन-देन को दीर्घावधिक वित्त बाजार तरलता क्या है बाजार का अंग मानते हैं जो पूँजी बाजार (Capital Market) कहलाता हैं।
* प्रत्येक वित्त बाजार के दो अंग होते हैं- मुद्रा बाजार और पूँजी बाजार- पहला लघु अवधि का वित्त बाजार और दूसरा दीर्घ अवधि का वित्त बाजार है।
Components of Money
• M1 = जनता के पास करेंसी नोट एवं सिक्के + बैंकों की मांग जमा (बचत खाता + चालू खाता) + RBI के पास अन्य जमाएँ
अर्थात् M4. द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में उपलब्ध सभी प्रकृति की तरलता (liquidity) वाली मुद्राओं की माप हो जाती है।
जैसे-जैसे हम M1, से M4 की बाजार तरलता क्या है तरफ बढ़ते हैं मुद्रा की तरलता (liquidity) घटती है। अर्थात् इनमें सर्वाधिक तरलता(liquidity) M1 की है तथा बाजार तरलता क्या है न्यूनतम तरलता M4 की है।
* तरलता (liquidity) का तात्पर्य है उनकी लघु एवं दीर्घ अवधि की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षमता। जहाँ किसी मुद्रा की उच्च तरलता (liquidity) उसे लघु अवधि की धन की आवश्यकताओं बाजार तरलता क्या है की पूर्ति के लिए बेहतर बनाता है वहीं उनके द्वारा धन की दीर्घावधिक आवश्यकता की पूर्ति नहीं की जा सकती यह भी पता चलता है।
* M1 जनता को उपलब्ध मुद्रा की मात्रा है। इसे संकीर्ण मुद्रा (बाजार तरलता क्या है Narrow Money) भी कहते हैं, क्योंकि इसकी तरलता सबसे अधिक है और निवेश में इसकी भूमिका नहीं के बराबर है।
Reverse Repo Rate में कटौती से बढ़ेगी बाजार में नकदी की तरलता, यह है RBI का समय पर उठाया गया एक आवश्यक कदम
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कई बड़ी घोषणाएं की है। इसमें रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती की घोषणा, सिस्टम में एलटीआरओ 2.0 के जरिए 50,000 करोड़ रुपये डालने से शुरुआत करने की घोषणा, बैंक क्रेडिट फ्लो में छूट के लिए नए प्रस्ताव पर विचार करने की घोषणा, एनपीए की 90 दिन की अवधि में मोरेटोरियम की अवधि शामिल नहीं करने की घोषणा, बैंकों का लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो (LCR) 100 से घटाकर 80 करने की घोषणा और बैंकों को वित्त वर्ष 2020 के लिए डिवीडेंट का ऐलान नहीं करने देने की घोषणाएं मुख्य हैं।
क्या RBI को वैधानिक तरलता अनुपात को 50 आधार अंकों तक कम करना चाहिए, फिर ______।
Key Points
- क्या RBI को वैधानिक तरलता अनुपात में 50 आधार अंकों की कमी करनी चाहिए, तब अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक अपनी ऋण दरों में कटौती करेगी।
- SLR एक तंत्र है जिसका उपयोग RBI द्वारा परिसंपत्तियों की तरलता को विनियमित करने के लिए किया जाता है और इसके लिए बैंकों को अपनी जमा राशि का एक निश्चित हिस्सा RBI द्वारा अनुमोदित प्रतिभूतियों या सोने में निवेश करना पड़ता है।
- जब SLR कम हो जाता है, तो बैंकों के पास उधार बाजार तरलता क्या है देने के लिए अधिक पैसा होता है जिससे उधार बाजार तरलता क्या है दरों में कमी हो सकती है।
- SLR के स्तर बाजार तरलता क्या है बाजार तरलता क्या है को बदलकर, भारतीय रिजर्व बैंक बैंक क्रेडिट विस्तार को बढ़ा या घटा सकता है।
- वाणिज्यिक बैंकों की सॉल्वेंसी सुनिश्चित करना।
Components of Money
• M1 = जनता के पास करेंसी नोट एवं सिक्के + बैंकों की मांग जमा (बचत खाता + चालू खाता) + RBI के पास अन्य जमाएँ
अर्थात् M4. द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में उपलब्ध सभी प्रकृति की तरलता (liquidity) वाली मुद्राओं की माप हो जाती है।
जैसे-जैसे हम M1, से M4 की तरफ बढ़ते हैं मुद्रा की तरलता (liquidity) घटती है। अर्थात् इनमें सर्वाधिक तरलता(liquidity) M1 की है तथा न्यूनतम तरलता M4 की है।
* तरलता (liquidity) का तात्पर्य है उनकी लघु एवं दीर्घ अवधि की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षमता। जहाँ किसी मुद्रा की उच्च तरलता (liquidity) उसे लघु अवधि की धन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बेहतर बनाता है वहीं उनके द्वारा धन की दीर्घावधिक आवश्यकता की पूर्ति नहीं की जा सकती यह भी पता चलता है।
* M1 जनता को उपलब्ध मुद्रा की मात्रा है। इसे संकीर्ण मुद्रा (Narrow Money) भी कहते हैं, क्योंकि इसकी तरलता सबसे अधिक है और निवेश में इसकी भूमिका नहीं के बराबर है।