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भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार

भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार
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भारत में बंद हो जाएगी क्रिप्टो करेंसी, बिटकॉइन में निवेश किया है तो क्या करें?

सूत्रों की मानें तो डिजिटल करेंसी बिल 2021 भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार लगभग तैयार है और सरकार इसी संसद सत्र में उसे पेश कर देगी।

बिटकॉइन की तेजी ने पूरी दुनिया की आंखें चकाचौंध करी दी है। भारत में भी बिटकॉइन या इसके जैसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वालों की कमी नहीं है। लेकिन अब इन सभी लोगों को बड़ा झटका लग सकता है। सूत्रों की मानें तो डिजिटल करेंसी बिल 2021 लगभग तैयार है और सरकार इसी संसद सत्र में उसे पेश कर देगी। इस बिल में क्रिप्टोकरेंसी को भारत में बैन करने के साथ - साथ इसकी ट्रेडिंग, माइनिंग, ट्रांसफर और होल्डिंग को कानूनन अपराध बनाया जा सकता है। तो क्या होगा अब तक के निवेश का, क्या भारत में किसी भी तरह की डिजिटल करेंसी नहीं चलेगी। इन्ही सब बातों पर आज चर्चा होगी।

भारत में बिटकॉइन होगा बंद?

भारत में बिटकॉइन पर बैन लग सकता है। बजट सत्र में नया बिल पेश होगा। डिजिटल करेंसी बिल 2021 तैयार है। इसके तहत किसी भी तरह की क्रिप्टोकरेंसी बैन होगी। क्रिप्टो की माइनिंग और ट्रांसफर अपराध होगा। सरकार अपनी डिजिटल करेंसी लाएगी। RBI के जरिए ये डिजिटल करेंसी आएगी। फिलहाल बिल फाइनल नहीं हुआ है।

बिटकॉइन निवेश का क्या होगा?

निवेश से निकालने का मौका मिल सकता है। इसके लिए 3-6 महीने का वक्त मिल सकता है। निवेशकों को पेनाल्टी चुकानी पड़ सकती है। क्रिप्टोकरेंसी रखना अपराध होगा। सभी ट्रेडिंग एक्सचेंज बैन होंगे। इसके रखने, बेचने को अपराध बनाया जाएगा। माइनिंग और ट्रांसफर भी दंडनीय अपराध होगा। इस तरह के मामलों में जुर्माना और कैद दोनों का प्रावधान होगा।

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश

इसमें 2020 में 2.4 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ। भारत में 2019 में 50 लाख डॉलर का निवेश हुआ।

बिटकॉइन में रिटर्न

आज का इसका भाव करीब 35 लाख रुपए पर पहुंचा है। 2021 में 35 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मिला है। इसने 2021 में 49,695 डॉलर का लाइफ टाइम हाई बनाया है। पिछले साल अप्रैल से अब तक इसने 800 फीसदी रिटर्न दिया है।

बिटकॉइन की लहर

Tesla इसमें 1.5 बिलियन डॉलर का निवेश करने जा रहा है। Tesla अपने प्रोडक्ट्स का पेमेंट बिटकॉइन में स्वीकार करेगा। इस साल Mastercard क्रिप्टो करेंसी में व्यापारियों को भुगतान स्वीकार करने देगा। डिजिटल करेंसी को सपोर्ट देने की तैयारी है।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी कारोबर

बिल 29 जनवरी को लिस्ट हुआ। डिजिटल करेंसी का विधायी ढांचा बनाने की प्रक्रिया ऑफिशियल हुई। संबंधित मंत्रायलों ने मसौदा बनाने का काम शुरु किया। क्रिप्टो करेंसी में व्यापार की बात करें भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार तो बाजार को प्राइवेट करेंसी की परिभाषा का इंतजार है। क्रिप्टोकरेंसी को पब्लिक ब्लॉकचेन कहा जाता है। डिजिटल करेंसी में भारत का 1 बिलियन डॉलर का निवेश है। 8 मिलियन से ज्यादा निवेशक हैं।

Cryptocurrency सरकार ने कहा- भारत में क्रिप्टोकरेंसी अनियंत्रित, इसके व्यापार के बारे में जानकारी एकत्र नहीं करते

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नयी दिल्ली. सरकार ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी अनियंत्रित है और वह इसके व्यापार के बारे में जानकारी एकत्र नहीं करती है। लोकसभा में डा. थोल तिरूमावलवन के प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि भारतीय रिवर्ज बैंक ने 31 मई 2021 के परिपत्र के माध्यम से अपनी विनियमित संस्थाओं को सलाह दी है कि वे अपने ग्राहक को जाने, धनशोधन निरोधक उपाय अपनाये।

आतंकवाद के वित्त पोषण का मुकाबला करे तथा धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 आदि के तहत दायित्वों के मानकों को नियंत्रित करने वाले नियमों के अनुरूप क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन के लिये उचित प्रक्रियाओं को जारी रखे।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा विदेशी मुद्रा अधिनियम (फेमा) के प्रासंगिक प्रावधान विदेशी मुद्रा से संबंधित लेनदेन पर लागू होते हैं । चौधरी ने बताया कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी अनियंत्रित है और सरकार इसके व्यापार के बारे में जानकारी एकत्र नहीं करती है। (एजेंसी)

सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार की अनुमति प्रदान की, जानें किसने लगाया था प्रतिबंध?

रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार को गैर-कानूनी बताने वाले फैसले पर रोक लगा दी गई है.

Supreme Court allows trade in cryptocurrency in hindi

सुप्रीम कोर्ट ने 04 मार्च 2020 को देश में क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार की अनुमति प्रदान कर दी. अब भारत में वर्चुअल करेंसी का कारोबार किया जा सकेगा. विश्वभर में सबसे मंहगी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की कीमत 0.39 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 8,815 डॉलर के आस-पास रिकॉर्ड की गई.

रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार को गैर-कानूनी बताने वाले फैसले पर रोक लगा दी गई है. इस फैसले से देश भर में बिटकॉइन समेत अन्य क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार और उपयोग पर लगा प्रतिबंध खत्म हो गया है. इसका लेन-देन अब देश के सभी बैंक शुरू कर सकते है.

किसने लगाया था प्रतिबंध?

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने साल 2018 में एक सर्कुलर जारी कर बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी (Crypto currency) में कारोबार करने से मना कर दिया था. आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग से जुड़ी इकाइयों को इससे अलग होने हेतु तीन महीने का समय भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार दिया था. आरबीआई के सर्कुलर को चुनौती देने हेतु इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आईएएमएआई द्वारा कहा गया कि आरबीआई के इस कदम से क्रिप्टोकरेंसी में होने वाली वैध कारोबारी गतिविधियों पर प्रभावी रूप से पाबंदी लग गई है. आरबीआई ने इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. आरबीआई ने कहा कि उसने क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से ‘मनी लांड्रिंग’ और ‘आतंकी वित्त पोषण’ के खतरे के मद्देनजर यह कदम उठाया है.

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में भारत में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-फरोख्त पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिया और इसमें जस्टिस अनिरुद्ध बोस और वी रामसुब्रमण्यन भी शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारतीय भी बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी खरीद और बेच सकेंगे.

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी है. यह करेंसी कंप्यूटर एल्गोरिदम पर आधारित है. इसका उपयोग शॉपिंग या कोई सर्विस खरीदने हेतु किया जा सकता है. इस तकनीक के जरिए करेंसी के लेन-देन का पूरा लेखा-जोखा होता है. यह स्वतंत्र मुद्रा है जिसका कोई मालिक नहीं है. क्रिप्टोकरेंसी की सबसे पहले शुरुआत साल 2009 में हुई थी. बिटकॉइन सबसे पहली क्रिप्टोकरेंसी थी.

पृष्ठभूमि

केंद्र सरकार जुलाई 2019 में संसद में विधेयक लाई थी, जिसमें तय हुआ था कि क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटक्‍वाइन को रखने, बेचने या खरीदने पर 10 साल की जेल हो सकती है. इसे पूरी तरह से अवैध बनाने के अतिरिक्त विधेयक में क्रिप्टोकरेंसी रखने को गैर-जमानती अपराध बनाया गया है.

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भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार

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Vaishali Basu Sharma

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केंद्र सरकार द्वारा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर को हितधारकों ने निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है . इनका मानना है कि आने वाला दौर डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी का है , ऐसे में अगर भारत ने इसके लिए अनुकूल माहौल तैयार नहीं किया तो यह कुछ प्रमुख व्यवसायों और निवेशकों को खो देगा .

भारत में क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन के कर निहितार्थ के बारे में काफी अनिश्चितता के बाद केंद्र सरकार ने अंततः 2022-23 के केंद्रीय बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स ( वीडीए ) से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत के समग्र कर की घोषणा की .

क्रिप्टो रिसर्च एजेंसी क्रेबैको (CREBACO) ने बताया है कि 30% टैक्स लागू होने के बाद पहले दो दिनों में भारतीय एक्सचेंज में इसके वॉल्यूम में लगभग 55% की और डोमेन ट्रैफिक में 40% से अधिक की गिरावट देखी है . यह कई मायनों में इस बात का संकेत है कि भारतीय क्रिप्टो स्पेस नए कर दिशानिर्देशों पर कैसे प्रतिक्रिया दे रहा है .

दूसरी ओर , भारत सरकार ने ग्यारह क्रिप्टो एक्सचेंज से चुकाई नहीं गई जीएसटी के 95.86 करोड़ रुपये (958 मिलियन डॉलर ) की वसूली की है . केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ( सीबीआईसी ) ने कई क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे कॉइन डीसीएक्सम बाई यूकॉइन , कॉइन स्विच कुबेर , अनकॉइन और फ्लिटपे (Coin DCX, Buy Ucoin, Coin Switch Kuber, Unocoin , Flitpay) द्वारा बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी का पता लगाया था . हालांकि , ज़ानमाई लैब्स बड़ी चोरी का पता लगा था , जहां वज़ीरएक्स नाम का एक क्रिप्टो एक्सचेंज संचालित होता था .

जीएसटी की वसूली और क्रिप्टो लेनदेन से होने वाली आय पर 30% कर ने भारत में क्रिप्टो टैक्स पर चल रही बहस को बढ़ाया ही है .

30 प्रतिशत कर का नियम 1 अप्रैल , 2022 से प्रभावी हुआ है , लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष (2021-22 की अवधि ) के लिए क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर भी कर लगाया जाएगा . इसके लिए आयकर अधिनियम , 1961 में एक नई धारा 115 BBH जोड़ी गई है .

वीडीए पर लगे अन्य करों में ट्रांसफर पर एक प्रतिशत टीडीएस , कोई बुनियादी छूट नहीं , किसी नुकसान पर कोई सेट - ऑफ नहीं , होल्डिंग अवधि के बावजूद कोई इंडेक्सेशन लाभ नहीं है और उपहार का लगने वाला टैक्स भी शामिल हैं .

भारत में स्टॉक और इक्विटी फंड से होने वाले लाभ पर 10-15 प्रतिशत और गैर - इक्विटी विकल्प , संपत्ति और सोने पर 20 प्रतिशत या मामूली दर से कर लगाया जाता है . वर्चुअल संपत्तियों पर इतनी ऊंची दर पर टैक्स लगाने को उद्योग के हितधारकों ने आक्रामक कदम माना है .

वीडीए पर लगे नए कर में क्रिप्टो संपत्तियां जैसे बिटकॉइन , डॉगकोइन आदि , नॉन - फंजीबाल टोकन ( एनएफटी ) और ऐसी कोई भी संपत्ति जो भविष्य में विकसित हो सकती है , शामिल हैं . गौर करने वाली बात यह है कि महज क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों पर टैक्स लगाने से वे भारत में वैध नहीं हो जाते हैं . यहां परिभाषा , कराधान और गणना (computation) जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर स्पष्टता का व्यापक अभाव है .

यहां तक कि कुछ समय पहले भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी केंद्र से यह स्पष्ट करने के लिए कहा था कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार या वर्चुअल डिजिटल मुद्रा वैध है या नहीं .

सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत में वीडीए को विनियमित करने वाला एक कानून पेश किया जाएगा – लेकिन तब जब उनके विनियमन पर वैश्विक सहमति बन जाएगी . सरकार क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में कानून पर काम कर रही है , लेकिन इसे तैयार होने में समय लग सकता है .

क्रेबैको के अनुसार , 105 मिलियन से अधिक लोग , जो भारत की कुल आबादी का 7.90 प्रतिशत है , वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी के मालिक हैं , जिनकी कुल संपत्ति 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है . उच्च कर दर बड़े निवेशकों को प्रभावित नहीं करेगी , जो थे पहले से ही 30 प्रतिशत टैक्स ब्रैकेट में थे लेकिन छोटे निवेशक और छात्र , जो अब तक क्रिप्टो निवेश पर टैक्स फ्री रिटर्न का लाभ ले रहे भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार थे , अब प्रभावित होंगे .

देश के प्रमुख डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर ज़ेरोधा के संस्थापक और सीईओ नितिन कामथ का मानना ​​ है कि ‘ अन्य टोकन या कटौती के खिलाफ नुकसान को सेट - ऑफ करने के विकल्प के बिना 30% टैक्स टर्नओवर में गिरावट का कारण बन सकता है .’

1 जुलाई 2022 से नफे या नुकसान की स्थिति में किसी रेजिडेंट सेलर द्वारा वीडीए के ट्रांसफर पर एक प्रतिशत कर कटौती ( टीडीएस ) लागू होगा . हालांकि यह कटौती कुल देयता (liability) के साथ एडजस्ट हो जाती है और टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय बाद में रिफंड का दावा किया जा सकता है . लेकिन हितधारकों की शिकायत है कि प्रावधान लिक्विडिटी को प्रभावित कर रहा है और ऐसे व्यापारी , जो ऐसी संपत्ति की लगातार खरीद - बिक्री में शामिल होते हैं , बड़े पैमाने पर प्रभावित होंगे . उदाहरण के लिए , यदि कोई व्यापारी एक वर्ष में 300 बार ट्रेड कर रहा है , तो उसकी पूरी पूंजी टीडीएस में लॉक हो सकती है .

इस प्रावधान को विभिन्न कारणों से सबसे अधिक समस्याग्रस्त माना जा रहा है . पूंजी का ऐसे लॉक हो जाना और अनावश्यक अनुपालन आवश्यकताओं को बढ़ाने के अलावा यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि ‘ ट्रांसफर ’ के दायरे में क्या - क्या आता है .

उल्लेखनीय है कि क्रिप्टो को न केवल खरीदा और बेचा जाता है , बल्कि एयरड्रॉप , फोर्किंग , स्टेकिंग , पी 2 पी लेंडिंग और वॉलेट ट्रांसफर के माध्यम से भी लेन - देन होता है . इसे वस्तुओं और सेवाओं के बदले भुगतान के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है . ऐसे में सरकार को यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि क्या ट्रांसफर के ये सभी तरीके उन ट्रांसफर जिन पर टीडीएस कटौती लागू होगी , के दायरे में आएंगे .

2022-23 के केंद्रीय बजट में कहा गया है कि टीडीएस काटने और जमा करने की जिम्मेदारी खरीदार पर होगी . हालांकि , खरीदार के पास विक्रेता डेटा जैसे पैन आदि की अनुपलब्धता सरीखी लॉजिस्टिक कठिनाइयों के कारण यह जिम्मेदारी एक्सचेंज पर आ सकती है .

भारत में वीडीए पर टैक्स देते समय अधिग्रहण की लागत को छोड़कर किसी भी व्यय के लिए कोई कटौती की अनुमति नहीं होगी . इसी तरह , ऐसी संपत्ति के ट्रांसफर से लाभ कमाने वाले व्यक्ति

2022 में बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्टमेंट पर मिलेगा जोरदार रिटर्न अगर फॉलो करेंगे ये बुनयादी बातें

इक्विटी के साथ क्रिप्टो निवेशकों के लिए 2021 बहुत अच्छा साबित हुआ है। कुछ क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में तो 5,000 से 7,000% तक की वृद्धि हुई है जिससे निवेशकों को रिकॉर्ड तोड़ रिटर्न मिला। बिटकॉइन और.

2022 में बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्टमेंट पर मिलेगा जोरदार रिटर्न अगर फॉलो करेंगे ये बुनयादी बातें

इक्विटी के साथ क्रिप्टो निवेशकों के लिए 2021 बहुत अच्छा साबित हुआ है। कुछ क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में तो 5,000 से 7,000% तक की वृद्धि हुई है जिससे निवेशकों को रिकॉर्ड तोड़ रिटर्न मिला। बिटकॉइन और एथेरियम जैसे ब्लूचिप क्रिप्टो में 2021 में 35-40% की वृद्धि हुई। बिटकॉइन की कीमतें अप्रैल में 51 लाख रुपये तक पहुंच गई थी लेकिन पर्यावरण पर प्रभाव को लेकर एलन मस्क के ट्वीट और चीन के क्रिप्टो ट्रेडिंग पर नियमों में सकती करने से इसमें तेजी से गिरावट आई थी। अभी बिटकॉइन की कीमत 39.91 लाख रुपए पर है, जो साल की शुरुआत की तुलना में लगभग 32% अधिक है।

2022 में क्या उम्मीद करें
क्रिप्टोकरेंसी को भविष्य बहुत कुछ सरकारी नीतियों पर निर्भर करेगा। क्रिप्टो के लिए दुनिया के सबसे बड़े बाजार चीन ने सितंबर में सभी लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया था। विश्लेषकों का कहना है कि जैसे-जैसे ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग बढ़ेगा, चीन इसमें अलग-थलग पड़ेगा। भारत में, सरकार क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग और व्यापार को रेगुलेट करने के लिए कानून पर काम कर रही है। बिल के तहत भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने का सुझाव है। यह अंतर्निहित प्रौद्योगिकी और इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कुछ चीज़ो को अनुमति देगा।

क्रिप्टो में निवेह से पहले जानने के बुनियादी नियम
कितना भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार निवेश करें- पिछले कुछ महीनों में कई क्रिप्टोकरेंसी में 5,000-6,000% की वृद्धि हुई है। लेकिन आपको पता होना चाहिए निवेश उतना ही करना चाहिए जिसमे नुकसान होने पर भी आप परेशान न हों। आदर्शतौर पर कुल पोर्टफोलियो का 10-15% से अधिक क्रिप्टो में न रखें।

अस्थिरता को सहना सीखें- क्रिप्टो एक हाई रिस्क गेम है और निवेशकों को अस्थिरता को समझना चाहिए। इसमें रातों रात 70-80% की गिरावट की आशंका होती है। बिटकॉइन जैसा ब्लूचिप क्रिप्टो की भी कीमतें अस्थिर रहती हैं। इस बाजार में तभी प्रवेश करें जब आप अत्यधिक अस्थिरता को सहम कर सकते हों।

ट्रेड के लिए प्लेटफॉर्म सही चुनें- भारत भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार में क्रिप्टो रेगुलेटेड नहीं है और हर दिन नए प्लेटफार्म आ जाते हैं ऐसे में भरोसेमंद प्लेटफॉर्म के माध्यम से निवेश करें ताकि कोई झटका लगने या प्रमोटर कंपनी के नीचे जाने पर आपका पैसा न फंसे।

अटकलों के आधार पर निवेश न करें- क्रिप्टो में विश्वनीय डाटा की कमी है। निवेशक काफी हद तक सोशल मीडिया पर असत्यापित जानकारी पर निर्भर हैं। यहाँ वह अक्सर किसी न किसी जाल में फंस जाते हैं।

बड़े क्रिप्टो करेंसी पर ध्यान दें- अस्पष्ट करेंसी केवल इसलिए खरीदने के प्रलोभन में न आएं क्योंकि उनकी कीमत बहुत कम है। बड़ी करेंसी महँगी हों सकती है लेकिन अधिक स्थिर होती है।

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