एक अच्छा ब्रोकर कैसे खोजें

32 फीसदी प्रीमियम पर सूचीबद्ध हुआ केंस टेक्नोलॉजी
केंस टेक्नोलॉजी (Kaynes Technology) ने शेयर बाजार में अपनी पारी की शुरुआत की। कंपनी का इश्यू प्राइस 587 रुपये प्रति शेयर था। कंपनी का शेयर बीएसई (BSE) पर 775 रुपये प्रति शेयर वही एनएसई (NSE) पर शेयर 778 प्रति शेयर पर सूचीबद्ध (लिस्ट) हुआ।
एनएसई पर कंपनी का शेयर 32.5 फीसदी के प्रीमियम पर लिस्ट हुआ। केन्स टेक्नोलॉजी का IPO 34.16 गुना सब्सक्राइब हुआ था। आईपीओ (IPO) के तहत कंपनी ने 530 करोड़ के नए शेयर जारी किए थे, वहीं 55.84 लाख शेयरों के लिए ऑफर फॉर सेल यानी ओएफएस (OFS) लाया गया था। शेयर के मूल्य का दायरा (प्राइस बैंड) 559-587 रुपये प्रति शेयर तय किया गया था। मैसूर आधारित केन्स टेक्नोलॉजी एक नामी आईओटी यानी Internet of Things (IoT) सॉल्यूशंस मुहैया कराने वाली कंपनी है। यह एक इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है। कंपनी हर क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग सर्विस मुहैया कराने की क्षमता रखती है। कंपनी के पास सैद्धांतिक डिजाइन,प्रोसेस इंजीनियरिंग,इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग के अलावा कई क्षेत्रों में आईओटी आधारित सेवा मुहैया कराती है। इसमें बड़े सेक्टर जैसे ऑटोमोटिव, इंडस्ट्रियल, एयरोस्पेस,रक्षा,आउटर स्पेस, न्यूक्लियर,मेडिकल, रेलवे, आईओटी (IoT), सूचना प्रोद्योगिकी के अलावा दूसरे सेगमेंट्स भी शामिल हैं। कंपनी के अलग-अलग राज्यों में कुल 8 उत्पादन इकाई हैं। इसमें कर्नाटक, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तराखंड शामिल हैं।
केस स्टडी: कैसे एक जोखिम प्रबंधन फर्म ने सुरक्षा ऑडिट के लिए लोकेशन ऑडिट सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया
ग्राहक को ग्राहक की जरूरतों के आधार पर कई विशिष्ट रूपों को बनाने और अपडेट करने, वास्तविक समय में गैर-अनुपालन सुरक्षा मुद्दों को रिकॉर्ड करने, समाधान ट्रैक करने और ग्राहकों के लिए सुरक्षा रुझानों की आसानी से पहचान करने के लिए लचीलेपन की आवश्यकता होती है।
पेपर-आधारित और एक्सेल विधियां बहुत धीमी साबित हो रही थीं और महत्वपूर्ण सुरक्षा मुद्दों पर सुविधाजनक अनुवर्ती कार्रवाई की अनुमति नहीं दे रही थीं। कागज पर एकत्र किए गए डेटा का उपयोग करके सुरक्षा रुझानों पर नज़र रखने और रिपोर्ट करने का प्रयास श्रमसाध्य और समय लेने वाला था। ग्राहक लेखा परीक्षा परिणाम प्राप्त करने के लिए बहुत लंबा इंतजार कर रहे थे।
व्यापार और कार्यात्मक आवश्यकताएं
जोखिम प्रबंधन फर्म अपने स्वयं के क्षेत्र सुरक्षा लेखा परीक्षकों का उपयोग करके एक क्षेत्र-तैयार समाधान को तैनात करने में रुचि रखती थी। डेटा सुरक्षा एक चिंता का विषय था। ग्राहक, फील्ड ऑडिटर और क्लाइंट सभी को डेटा एक्सेस करने की आवश्यकता होती है। उसी समय, गोपनीयता के लिए क्लाइंट डेटा को चुप रहना चाहिए। क्लाइंट को अपने स्वयं के डेटा के लिए रिपोर्ट देखने, बातचीत करने और चलाने में सक्षम होना चाहिए और केवल उनका डेटा।
Bindy टीम ने ग्राहक के साथ परामर्श किया और पुष्टि की कि ग्राहक निम्न कार्य कर सकता है:
- अपने साइट स्थानों, लेखा परीक्षकों और ग्राहकों को अपलोड और प्रबंधित करें। चलते-फिरते सुरक्षा लेखा परीक्षकों के लिए स्थान स्वचालित रूप से भू-कोडित हो जाते हैं
- एक व्यावसायिक दिन के भीतर अपने ग्राहकों और क्षेत्रीय लेखा परीक्षकों का एक पूर्ण राष्ट्रीय पदानुक्रम बनाएं और डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए ग्राहक की दृश्यता को विशिष्ट स्थानों तक सीमित रखें।
- संबद्ध क्षेत्र लेखा परीक्षकों को उनके सुरक्षा विशेषज्ञता के क्षेत्र के आधार पर विशिष्ट रूपों के साथ विशिष्ट स्थानों के लिए
- जैसे-जैसे कार्य पूरा होने की ओर बढ़ता है, प्रपत्रों को प्रत्येक ग्राहक की आवश्यकताओं के अनुसार बनाया, अद्यतन और समायोजित किया जा सकता है
समाधान निष्पादन
विभिन्न परियोजना पूर्णता स्तरों पर एक साथ चल रहे 250 निर्माण स्थलों पर फील्ड लेखा परीक्षकों को तैनात किया गया है। साइट डेटा ब्रोकरेज, फर्म और ग्राहकों के लिए तुरंत उपलब्ध है। सुरक्षा ऑडिटर सुरक्षा नीतियों के अनुपालन/गैर-अनुपालन, आवश्यक साइट की जानकारी पोस्ट करने, प्रमाणपत्र डेटिंग और आवश्यक सुरक्षा उपकरणों की उपस्थिति को सत्यापित करने के लिए सत्यापन फोटो संलग्न करते हैं।
साइट पर्यवेक्षकों को लक्षित समाधान तिथियों के साथ उल्लंघन सौंपे जाते हैं। बिंदी रिपोर्ट का उपयोग करके उल्लंघन समाधान को वास्तविक समय में ट्रैक किया जाता है। साइट ऑडिटर कार्य प्रगति और रुकावटों (मौसम, स्टाफिंग) के कारणों को बेहतर ढंग से समझने के लिए दस्तावेज़ करते हैं कि साइट प्रबंधन प्रगति को कैसे प्रभावित कर रहा था।
सुरक्षा लेखा परीक्षकों ने ऑडिट प्रक्रिया को तेज और समाधान सहज पाया। वे बिंदी की आउट-ऑफ-द-बॉक्स रिपोर्ट का उपयोग करके आसानी से सुरक्षा रुझानों की पहचान कर सकते हैं। ग्राहकों के लिए सूचना टर्न अराउंड में नाटकीय रूप से सुधार किया गया है।
सारांश: एक्सेल या पेपर-आधारित ऑडिट बनाम बिंदी
स्वचालन और श्रम बचत के संयोजन का मतलब है कि एक संगठन बिंदी का उपयोग करके किए गए प्रत्येक फील्ड ऑडिट के लिए 145 मिनट बचाता है।
सुरक्षा लेखा परीक्षकों को लगता है कि ऑडिट प्रक्रिया तेज और समाधान सहज है। वे बिंदी की आउट-ऑफ-द-बॉक्स रिपोर्ट का उपयोग करके आसानी से सुरक्षा रुझानों की पहचान कर सकते हैं।
ग्राहकों को अधिक गहराई से जानकारी प्रदान की जाती है और ऑडिट की सुव्यवस्थित प्रकृति परिणामों को सुपाच्य बनाती है जिसके परिणामस्वरूप बेहतर संचार होता है। ग्राहकों को अब लेखापरीक्षक के कार्यालय में लौटने, परिणाम दर्ज करने और सूचना ईमेल करने के लिए प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, Bindy स्वचालित रूप से परिणामों को तुरंत देखने के लिए एक लिंक के साथ ऑडिट पूरा होने पर ग्राहकों को ईमेल करता है।
अन्य स्वास्थ्य और सुरक्षा संसाधन
को देखें स्वास्थ्य और सुरक्षा श्रेणी स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए चेकलिस्ट, कैसे-करें और सर्वोत्तम प्रथाओं के लिए।
एक और बात.
विजेता ब्रांड ब्रांड मानकों को पूरा करते हैं। इसलिए बिंदी आपके संचालन और ब्रांड मानकों को बढ़ावा देने में मदद करता है।
32 फीसदी प्रीमियम पर सूचीबद्ध हुआ केंस टेक्नोलॉजी
केंस टेक्नोलॉजी (Kaynes Technology) ने शेयर एक अच्छा ब्रोकर कैसे खोजें बाजार में अपनी पारी की शुरुआत की। कंपनी का इश्यू प्राइस 587 रुपये प्रति शेयर था। कंपनी का शेयर बीएसई (BSE) पर 775 रुपये प्रति शेयर वही एनएसई (NSE) पर शेयर 778 प्रति शेयर पर सूचीबद्ध (लिस्ट) हुआ।
एनएसई पर कंपनी का शेयर 32.5 फीसदी के प्रीमियम पर लिस्ट हुआ। केन्स टेक्नोलॉजी का IPO 34.16 गुना सब्सक्राइब हुआ था। आईपीओ (IPO) के तहत कंपनी ने 530 करोड़ के नए शेयर जारी किए थे, वहीं 55.84 लाख शेयरों के लिए ऑफर फॉर सेल यानी ओएफएस (OFS) लाया गया था। शेयर के मूल्य का दायरा (प्राइस बैंड) 559-587 रुपये प्रति शेयर तय किया गया था। मैसूर आधारित केन्स टेक्नोलॉजी एक नामी आईओटी यानी Internet of Things (IoT) सॉल्यूशंस मुहैया कराने वाली कंपनी है। यह एक इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है। कंपनी हर क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग सर्विस मुहैया कराने की क्षमता रखती है। कंपनी के पास सैद्धांतिक डिजाइन,प्रोसेस इंजीनियरिंग,इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग के अलावा कई क्षेत्रों में आईओटी आधारित सेवा मुहैया कराती है। इसमें बड़े सेक्टर जैसे ऑटोमोटिव, इंडस्ट्रियल, एयरोस्पेस,रक्षा,आउटर स्पेस, न्यूक्लियर,मेडिकल, रेलवे, आईओटी (IoT), सूचना प्रोद्योगिकी के अलावा दूसरे सेगमेंट्स भी शामिल हैं। कंपनी के अलग-अलग राज्यों में कुल 8 उत्पादन इकाई हैं। इसमें कर्नाटक, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तराखंड शामिल हैं।
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की आज ED के सामने पेशी, सियासी हलचल तेज, कल बुलाई गई थी विधायकों की आपात बैठक
ईडी ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन समन जारी किया है। आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गुरुवार को ईडी के समक्ष उपस्थित होंगे।
फोटो: Getty Images
नवजीवन डेस्कझारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज ईडी के सामने पेश होंगे। बता दें कि ईडी ने 3 नवंबर को सोरेन से पूछताछ के लिए समन जारी किया था। हालांकि मुख्यमंत्री सोरेन ने ईडी से तीन हफ्ते का समय मांगा था। हालांकि दोबारा समन जारी करके 17 नवंबर को सोरेन के पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
बता दें कि ईडी ने राज्य में अवैध माइनिंग के जरिए एक हजार करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीएम हेमंत सोरेन को एक अच्छा ब्रोकर कैसे खोजें पूछताछ के लिए 17 नवंबर को रांची एयरपोर्ट रोड स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में हाजिर होने को कहा है।
अवैध माइनिंग के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने मुख्यमंत्री के विशेष प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को पहले ही गिरफ्तार किया है। पंकज मिश्रा के खिलाफ दायर चार्जशीट में ईडी ने उसे मिलने वाले राजनीतिक संरक्षण का विस्तार पूर्वक उल्लेख किया है। खनन घोटाले में साहिबगंज में छापेमारी के दौरान ईडी को पंकज मिश्रा के घर से एक लिफाफा मिला था। इसमें मुख्यमंत्री के बैंक खाते से जुड़ा चेकबुक था। इसमें से दो चेक बुक हस्ताक्षरित थे। हालांकि, इसमें राशि का उल्लेख नहीं किया गया था। ईडी की चार्जशीट के मुताबिक मुख्यमंत्री के नाम पर राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए अधिकारियों को कार्रवाई करने से रोका जाता था।
पंकज मिश्रा के अलावा पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश और कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया गया है। इन दोनों ने भी पूछताछ में हेमंत सोरेन से अपने संबंधों के बारे में जानकारी दी है। माना जा रहा है कि इन्हीं तथ्यों के आधार पर मुख्यमंत्री से पूछताछ की जाएगी।
ईडी ने इसके पहले मनरेगा घोटाले के जरिए मनी लांड्रिंग में झारखंड की सीनियर आईएएस खनन सचिव पूजा सिंघल को भी गिरफ्तार किया था। उनसे जुड़े सीए सुमन कुमार के ठिकाने से 17.49 करोड़ नकद मिले एक अच्छा ब्रोकर कैसे खोजें थे। ईडी को जांच के दौरान इस बात की जानकारी मिली थी कि इसमें अवैध खनन से मिली राशि भी शामिल है। पूछताछ के दौरान मुख्यमंत्री से इन सभी मुद्दों से जुड़े सवाल पूछे जा सकते हैं।
जेएमएम ने बुलाई बैठक, सियासी घटनाक्रम पर की चर्चा
इससे पहले रांची स्थित मुख्यमंत्री आवास में बुधवार शाम चार बजे सत्ताधारी गठबंधन जेएमएम ने सभी विधायकों की बैठक बुलाई थी। बताया जा रहा है कि अगर ईडी ने पूछताछ के बाद सीएम के खिलाफ कोई प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की या उन्हें हिरासत में लेने का फैसला लेती है है तो ऐसे में तत्काल उनके सियासी उत्तराधिकारी को सरकार बागडोर सौंपी जा सकती है।उत्तराधिकारी के रूप में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन और पिता शिबू सोरेन के नाम चर्चा में हैं।
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
लिव-इन रिलेशन को शक की निगाह से देखता है भारतीय समाज, श्रद्धा की हत्या ने स्थिति को और खराब किया
श्रद्धा वालकर हत्याकांड ने हर किसी को चौकन्ना कर दिया गया है. अब मकान मालिक और रियल एस्टेट एजेंट अविवाहित जोड़ों को किराए पर घर देने से कतरा रहे हैं.
प्रज्ञा घोष का चित्रण | ThePrint
हां, हम जल्द ही शादी कर लेंगे. हां, वह मेरी मंगेतर है, हां, हमारे माता-पिता इस बारे में जानते हैं… अगर आप एक लिव-इन कपल हैं और यहां किराए के अपार्टमेंट की तलाश में हैं, तो आपने इन शब्दों को सुना या कहा जरूर होगा. लेकिन जघन्य महरौली हत्याकांड ने इन जोड़ों के सामने अब एक और सवाल ला खड़ा किया है- कहीं आप किसी संभावित हत्यारे के साथ तो नहीं रह रहे हैं?
श्रद्धा वालकर की हत्या के बाद से दिल्ली एनसीआर में युवा जोड़ों पर लोगों की निगाहें अब फिर से गड़ गई हैं. एक ऐसा शहर जहां प्यार कंटीली तारों में बंधा हुआ है, कपल्स, दोस्तों और लंबे समय तक लिव-इन पार्टनर के बीच बिना शर्त वाले प्यार की छानबीन की जाती है, उसका दम घोटा जाता है और अक्सर उसे खत्म ही कर दिया जाता है. वॉकर की मौत के बाद से, शक की नजर से देखा जाने वाले इस ‘प्यार’ ने अब सभी को सतर्क कर दिया है. मकान मालिक और रियल एस्टेट एजेंट अविवाहित जोड़ों को उनकी पसंद का घर देने से कतरा रहे हैं.
गुड़गांव की रहने वाली 29 साल की अंकिता घोष पिछले सात साल से अपने पार्टनर के साथ रह रही हैं. कई लोगों को लगता है कि वे शादीशुदा हैं इसलिए उन्हें ज्यादा मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा. लेकिन आफताब पूनावाला के अपने लिव-इन पार्टनर की कथित हत्या ने नई खुसफुसाहट और संदेह को जन्म दे दिया है.
अंकिता कहती हैं, ‘मेरे माता-पिता मेरे साथी के साथ रहने के मेरे फैसले से अभी असहमति से सहमति की ओर आए थे. लेकिन इस हत्या ने हमारे प्रयासों को और कई साल पीछे की ओर धकेल दिया है. अब हर किसी के पास हम जैसे कपल्स के लिए ज्यादा से ज्यादा सवाल होंगे.’
बस एक ही सवाल ‘शादी कब होगी’
जब घर ढूंढने की बात आती है, तो सबसे बेहतर विकल्प ‘परिवारों’ के लिए होता है. इसका मतलब है शादी-शुदा जोड़ा. जिन लोगों के पास अपने रिश्ते को वैध बनाने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट नहीं है, उनके प्रति अविश्वास तो लीज एग्रीमेंट में ही लिखा नजर आ जाता है.
अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक
दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं
हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.
जिन कपल्स को मकान-मालिकों और दलालों की तमाम तरह की छानबीन के बाद जैसे-तैसे घर मिल भी जाता है, तो उनके सामने लगातार एक सवाल मुंह बाए खड़ा रहता है कि आपकी शादी कब होगी?
नोएडा स्थित रियल एस्टेट एजेंट ममता को हाल ही में बड़ी मुश्किल से एक अविवाहित जोड़े के लिए घर मिल पाया है, वो भी मकान-मालिक से उनके बारे में झूठ बोलने के बाद.
ममता कहती हैं, ‘मैंने मकान-मालिक से कहा कि फ्लैट में सिर्फ एक ही व्यक्ति रहेगा. इसके अलावा कोई रास्ता नहीं था. वह एक लिव-इन जोड़े को घर किराए पर देने के लिए सहमत नहीं हो रहे थे. वॉकर की मौत ने उनके पक्षपातपूर्ण रवैये को और मजबूत किया है.’ वह आगे बताती है, ‘आपने समाचार में देखा कि प्रेमी के साथ रहने वाली लड़की के साथ क्या हुआ. मकान मालिकों का डर समझ में आता है.’
उनकी नजर में लिव-इन रिलेशनशिप वैसे भी टिकता नहीं है.
वह सवाल करती हैं, ‘लड़कियां प्रेग्नेंट हो जाती हैं. उनके बीच लड़ाई-झगड़े बढ़ने लगते हैं. सबसे बुरी बात यह है कि वे अपने माता-पिता से झूठ बोलते हैं. अगर भविष्य में कुछ होता है, तो मकान मालिकों को पुलिस केस से क्यों जूझना पड़े?’
ममता ऐसी अकेली ब्रोकर नहीं हैं जिन्हे लैंडलॉर्ड के साथ सहानुभूति है. लगभग सभी लोगों का रवैया लिव-इन कपल्स के साथ ऐसा ही होता है. रोमांटिक रिश्ते में खटास आने की संभावना उनके लिए सहज नहीं है. उन्होंने इसका सबसे बुरा नतीजा हाल ही में देखा है. इसका सीधा सा मतलब है कि उनके पास जोड़ों के लिए सवाल ज्यादा हैं लेकिन घर कम.
ब्रोकर या आम लोगों को क्या कहें. भारतीय न्यायपालिका का रुख भी लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर साफ नहीं है. ऐसे जोड़ों के अधिकारों की रक्षा करने वाला कोई कानून नहीं है. लेकिन प्रगतिशील व्याख्याओं और मौजूदा कानून के संशोधनों के कारण उन्हें एक साथ रहने का कानूनी अधिकार जरूर है. न्यायाधीशों ने रिश्तों को नैतिक रूप से अनुचित, माता-पिता एक अच्छा ब्रोकर कैसे खोजें को दुख का एक संभावित कारण और सांस्कृतिक रूप से अस्वीकार्य कहा है.
लिव इन सिर्फ रोमांस के लिए नहीं
29 साल की पूजा मानेक ने अपने बॉयफ्रेंड के साथ तीन साल तक लिव-इन रिलेशन में रहने के बाद हाल ही में उससे शादी की है. शादी से पहले साथ रहने के फैसले के पीछे ‘रोमांस’ ही एकमात्र कारण नहीं था. इसके पीछे ‘व्यावहारिक और तार्किक कारण भी रहे. वह कहती हैं, ‘इस तरह से आप न सिर्फ अपने साथी को जान पाते हैं बल्कि आपको यह भी पता चल जाता है कि आप एक साथ घर कैसे चलाएंगे.’ शादी से पहले अपने साथी के साथ रहकर, उसने पैसे का प्रबंधन करने और चार दीवारों को घर बनाने के तरीके खोजे. मानेक अब बीते उन तीन सालों को अपने रिश्ते की सच्ची परीक्षा बताती हैं.
तीन साल पहले जब मानेक और उनका साथी बेंगलुरु में एक साथ रहने के लिए अपना पहला घर तलाशने गए, तो उनके ब्रोकर ने उनकी सगाई के बारे में झूठ बोला था. जबकि तब तक तो उन्होंने शादी के बारे में गंभीरता से सोचना भी शुरू नहीं किया था.
मानेक कहती हैं, ‘जब ब्रोकर मालिकों से कह रहा था कि हमारी सगाई हो चुकी है और हम जल्द ही शादी करने वाले हैं, तो ऐसा लगा कि मानों हम अपने ही अधिकारों को छीन रहे हैं. लेकिन एक जगह रहने के लिए हमें यह करना पड़ा.’ मकान मालिक उनसे अक्सर उनकी शादी की तारीख के बारे में पूछताछ करते रहते थे.
सोशल साइंटिस्ट शिव विश्वनाथन लिव-इन रिलेशनशिप को विश्वास, आजादी और रिश्ते की नाजुकता का सेलिब्रेशन बताते है. उन्होंने कहा, ‘ऐसे रिश्तों की नाजुकता अब सवालों के घेरे में है. चूंकि ऐसे रिश्तों को अभी तक समाज ने स्वीकार नहीं किया है, इसलिए इन्हें लेकर काफी संदेह है. लिव-इन कपल्स को असंतुष्ट माना जाता है और उनसे जुड़ी किसी भी बुरी खबर को अजीब तरीके से सार्वजनिक किया जाता है. इस तरह के संघर्षों को हल करने का कोई प्रयास नहीं किया जाता है और यही वह जगह है जहां उदासी है.’
वे मुसलमानों से ‘नफरत’ करते हैं
लिव इन कपल्स के सामने आज भी सबसे बड़ी बाधा धर्म है. 31 साल की शाहाना दिल्ली में रहती हैं. वह चार साल से लिव-इन रिलेशन में हैं. अपने पार्टनर के साथ सितंबर में उसने एक बड़े घर की तलाश शुरू की तो उन्हें हर कदम पर परेशानी का सामना करना पड़ा. ब्रोकर्स ने पलट कर फोन नहीं किया. एक लैंडलॉर्ड ने उससे उसका बर्थ सर्टिफिकेट मांगा और उसे कुत्ता बताते हुए वहां से जाने के लिए कहा. वह बताती हैं, ‘उन्होंने कहा कि इमारत में पहले से ही दो कुत्ते हैं और हमें तीसरा नहीं चाहिए. मुझे लगता है कि हमारे रिश्ते से ज्यादा, यह मेरी मुस्लिम पहचान थी जिसने उन्हें ज्यादा असहज कर दिया.’
पूजा मानेक को उसके मकान मालिक ने कहा कि यह अच्छी बात है कि उसका पार्टनर ईसाई है. मानेक ने कहा, ‘वह बोले-कम से कम वह मुसलमान तो नहीं है’ मानेक आगे बताती हैं, ‘क्योंकि वे मुसलमानों से बहुत नफरत करते हैं. ईसाइयों के लिए उनके मन में इतनी नफरत नहीं है.’
पुणे की रहने वाली 25 साल की निशा कहती हैं कि हमारे मकान मालिक लिव-इन रिलेशनशिप को समझते हैं, इसके लिए मैं उनकी शुक्रगुजार हूं. उन्होंने कहा, ‘मैंने और मेरे साथी ने साथ रहने का फैसला किया क्योंकि हम दोनों की आर्थिक हालात ठीक नहीं थे. हम शहर के अलग-अलग छोर पर अकेले रह रहे थे. एक साथ रहने से हमारी कई समस्याएं हल हो गई हैं और हम एक-दूसरे का बेहतर तरीके से साथ देने में सक्षम हैं.’
लेकिन दूसरों के जीवन में तांक-झांक करने वाले लैंडलॉर्ड से थोड़ा सावधान ही रहें. श्रद्धा की हत्या के बाद से कपल्स को चिंता इस बात की है कि ‘अच्छे बनने’ के चक्कर में मकान मालिक इसे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कहीं उनके माता-पिता को फोन न कर दे या फिर इससे भी ज्यादा बुरा- उन्हें घर खाली करने के लिए न कह दें.
(अनुवाद: संघप्रिया मौर्या)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)