FOMC क्या है

निवेशक हुए गदगद: इस बीच, फेड रिजर्व के ताजा फैसले के बाद अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में उछाल आया। डाउ जोन्स एक बार फिर 30,550 अंक के स्तर को पार कर गया। एसएंडपी 500 ने भी करीब 1 फीसदी के उछाल के साथ 3,770 अंक के स्तर को पार किया। वहीं, यूएस फेड के फैसले से डॉलर भी मजबूत हुआ है। बहरहाल, यूएस फेड के इस फैसले का असर भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों में देखने को मिलेगा। अब देखना अहम है कि गुरुवार के कारोबार में भारतीय शेयर बाजार का क्या रुख रहता है।
US Fed द्वारा ब्याज दर बढ़ाने से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों पर प्रभाव
अमेरिका में महंगाई के आंकड़े जारी होने के बाद फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में जल्द इज़ाफ़ा करने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि जारी किये आंकड़ों में अनुमान से भी कम गिरावट देखी गई है। इस चिंता के कारण अमेरिका के साथ ही भारतीय शेयर बाज़ार में भी बड़ा उतार- चढ़ाव देखने को मिल रहा है।
तो आखिर अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से दुनिया भर के बाज़ारों पर क्यों प्रभाव पड़ता है। ख़ास तौर से भारत पर?
अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने का सीधा असर विकासशील देशों के बाज़ारों पर पड़ता है जैसे की भारत । इससे अमेरिका में बॉन्ड यील्ड पर सकारात्मक प्रभाव होता FOMC क्या है है और निवेशक अपने ही देश में पूंजी लगाने के लिए प्रेरित होते हैं।
हम सभी जानते है कि किसी भी विकासशील देश में विकसित देशों की तुलना में विकास की असीमित संभावनाएं होती है। इसी कारण अमेरिका में ब्याज दरें भारत की तुलना में काफी कम है। जिसका फ़ायदा निवेशक उठाते है। वे अधिक रिटर्न के लिए बैंकों से पैसा निकलकर भारतीय बाज़ारों में निवेश करते हैं। लेकिन जब ब्याज दरें बढ़ती है तो यही निवेशक अपने देश में निवेश करने लगते है। नतीजतन भारतीय बाज़ार को घाटे का सामना करना पड़ता है।
US Fed द्वारा ब्याज दर बढ़ाने से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों पर प्रभाव
अमेरिका में महंगाई के आंकड़े जारी होने के बाद फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में जल्द इज़ाफ़ा करने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि जारी किये आंकड़ों में अनुमान से भी कम गिरावट देखी गई है। इस चिंता के कारण अमेरिका के साथ ही भारतीय शेयर बाज़ार में भी बड़ा उतार- चढ़ाव देखने को मिल रहा है।
तो आखिर अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से दुनिया भर के बाज़ारों पर क्यों प्रभाव पड़ता है। ख़ास FOMC क्या है तौर से भारत पर?
अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने का सीधा असर विकासशील देशों के बाज़ारों पर पड़ता है जैसे की भारत । इससे अमेरिका में बॉन्ड यील्ड पर सकारात्मक प्रभाव होता है और निवेशक अपने ही देश में पूंजी लगाने के लिए प्रेरित होते हैं।
हम सभी जानते है कि किसी भी विकासशील देश में विकसित देशों की तुलना में विकास की असीमित संभावनाएं होती है। इसी कारण अमेरिका में ब्याज दरें भारत की तुलना में काफी कम है। जिसका फ़ायदा निवेशक उठाते है। वे अधिक रिटर्न के लिए बैंकों से पैसा निकलकर भारतीय बाज़ारों में निवेश करते हैं। लेकिन जब ब्याज दरें बढ़ती है तो यही निवेशक अपने देश में निवेश करने लगते है। नतीजतन भारतीय बाज़ार को घाटे का सामना करना पड़ता है।
Fed ने बढ़ाई 0.75 फीसदी ब्याज FOMC क्या है दरें, अमेरिकी Tech कंपनियों में 2 साल की तूफानी तेजी
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 28 जुलाई 2022,
- (अपडेटेड 28 जुलाई 2022, 11:07 AM IST)
- फेड रिजर्व ने 0.75 फीसदी बढ़ाई ब्याज दर
- टेक शेयरों में दो साल की सबसे बड़े तेजी
अमेरिका में सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दर को फिर से बढ़ाने (Fed Reserve Rate Hike) का ऐलान किया है. इस बार फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की है. तमाम एनालिस्ट ब्याज दर में इतनी ही बढ़ोतरी का अनुमान जाहिर कर रहे थे. इसके साथ ही फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) ने ब्याज दर बढ़ाने की रफ्तार को लेकर इन्वेस्टर्स की चिंता दूर कर दी. इसका सीधा फायदा टेक शेयरों (Tech Stocks) को हुआ और बुधवार को नास्डैक कंपोजिट इंडेक्स (Nasdaq Composite Index) में दो साल की सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली.
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ऐसे बढ़ी हैं अमेरिका में ब्याज दरें
फेडरल रिजर्व ने दो दिनों की बैठक के बाद बुधवार को ब्याज दर 0.75 फीसदी बढ़ाने का ऐलान किया. फेडरल रिजर्व इससे पहलेभी तीन बार ब्याज दर को बढ़ा चुका है. पहली बार अमेरिकी सेंट्रल बैंक ने इस साल मार्च में ब्याज दर को बढ़ाया था. उसके बाद मई में दूसरी बार ब्याज दर में बढ़ोतरी की गई. फेडरल रिजर्व ने पिछले महीने यानी जून में भी ब्याज दर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. वहीं फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के कमेंट ने इन्वेस्टर्स को जरूरी राहत दी.
पॉवेल के कमेंट ने दी इन्वेस्टर्स को राहत
इन्वेस्टर्स इस बात को लेकर परेशान थे कि अगर फेडरल रिजर्व आक्रामक तरीके से ब्याज दर को बढ़ाता रहा तो अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ सकती है. पॉवेल के कमेंट के बाद Leuthold Group के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजिस्ट Jim Paulsen ने कहा, 'उन्होंने सितंबर में होने वाली बैठक में ब्याज दर फिर बढ़ाने को लेकर कोई साफ इशारा नहीं किया.' वहीं Chase Investment Counsel के प्रेसिडेंट FOMC क्या है Peter Tuz ने कहा कि फेडरल रिजर्व ने ऐसा बयान दिया, जिसकी उम्मीद पहले से ही थी. दूसरी ओर कंपनियों के तिमाही परिणाम उम्मीद से बेहतर रहे.
US Fed Meet: दरों में हो सकती है तेज बढ़त, क्या होगा अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर इसका असर
आज दुनिया भर के निवेशकों की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर है. दरअसल आज फेड ब्याज दरों को लेकर अपना फैसला सुनाएगा. बाजार के जानकार मान रहे हैं कि दरों में बढ़ोतरी होना तय है लेकिन वो ये देखना चाहते हैं कि दरो में कितनी बढ़ोतरी हो सकती है. फिलहाल अमेरिका में महंगाई दर रिकॉर्ड स्तरों पर है इसी वजह से एक्सपर्ट मान रहे हैं कि फेड दरों को लेकर सख्त रुख रख सकता FOMC क्या है है और दरों में 0.75 से एक प्रतिशत की बढ़त कर सकता है. माना जा रहा है कि अगर फेड तेज बढ़त का फैसला लेता है तो बाजारों में इससे सेंटीमेंट्स गिरेंगे और दरें बढ़ने से ग्रोथ पर नकारात्मक असर पड़ेगा. भारतीय समय के अनुसार 27 जुलाई रात 11.30 बजे FOMC क्या है मीटिंग शुरू होगी और इसके आधे घंटे के बाद फेडरल रिजर्व फैसले का ऐलान कर सकता है.
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US Federal Reserve Rate Hike: फेड रिजर्व ने 0.75 फीसदी बढ़ाई ब्याज दर, 28 साल का सबसे बड़ा इजाफा
US Federal Reserve Rate Hike: अमेरिका के सेंट्रल बैंक यूएस फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में 28 साल की सबसे बड़ी बढ़ोतरी की है। महंगाई कंट्रोल के लिए फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट या 0.75 फीसदी तक का इजाफा किया है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर में इतनी बड़ी बढ़ोतरी नवंबर 1994 में की FOMC क्या है थी। आपको बता दें कि मई माह में अमेरिका की महंगाई दर 40 साल के उच्चतम स्तर पर थी।
जुलाई में फिर बढ़ोतरी संभव: इसके साथ ही फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने आगे भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं। जेरोम पॉवेल के मुताबिक फेड जुलाई में फिर से दरों में 0.75 की बढ़ोतरी कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि फेड के पास महंगाई को कंट्रोल में लाने के लिए जरूरी समाधान हैं।