बिटकॉइन पर कैसे टैक्स लगता है

बिटकॉइन पर कैसे टैक्स लगता है
Stroyinvestleeasing LLC (www.sil.by) 2002 में स्थापित एक मल्टी-प्रोफाइल लीज़िंग कंपनी है और लीज़िंग ऑर्गनाईज़ेशन नम्बर. 29 तिथि 03.11.2014, आयडेंटिफ़िकेशन कोड 10029 के रजिस्टर में शामिल किए जाने पर बेलारूस गणराज्य के नेशनल बैंक के सर्टिफिकेट के आधार पर बेलारूस गणराज्य के फाइनेंशियल सेवा बाज़ार में काम कर रही है.
कंपनी के मुख्य व्यवसाय क्षेत्रों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- कई सारी चीज़ों (जैसे मशीनरी, ट्रांसपोर्ट, उपकरण, रियल एस्टेट, आदि) के फाइनेंशियल और ऑपरेटिंग लीज़िंग पर;
- रिडेमपशन के अधिकार के साथ-साथ चल और अचल बिटकॉइन पर कैसे टैक्स लगता है संपत्ति को लीज़िंग पर देना;
- पेचीदा तकनीकी सामानों की खरीद और बिक्री, जिनमें डेफर्ड पेमेंट मौजूद हैं.
Stroyinvestleasing LLC अंदरूनी और बाहरी (आयात, निर्यात) बाज़ारों, दोनों में, पर काम करता बिटकॉइन पर कैसे टैक्स लगता है है. 17 साल के काम के लिए कंपनी ने 750 से ज़्यादा व्यावसायिक परियोजनाओं को लागू किया है. 500 से ज़्यादा लीज़िग पार्टनर्स को 1900 से अधिक लीज़िग ऑब्जेक्ट मिले हैं.
टोकन खरीदकर निवेशकों को आकर्षित करने का सबसे पहला मकसद कंपनी की वर्तमान लीज़िग कामकाज को फाइनैन्स करना है.
टोकन मालिकों को उनके लेनदेन के समय के आखिर में फंड की वापसी का मुख्य स्रोत लीसीज़ से मिले लीज़ समझौतों के तहत लीज़ पर पेमेंट हैं.
Stroyinvestleasing LLC वाइटपेपर dd. 31.12.2019 के मुताबिक
बनाए गए टोकन इथेरियम ब्लॉकचेन (ERC 20 मानक) पर आधारित हैं.
टोकन का नाम | SIL_25.1/EUR |
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करेंसी टोकन | EUR.cx |
प्रति टोकन की नॉमिनल कीमत «SIL_25.1/EUR» | 100 EUR.cx |
भुगतान की फ्रीक्वेनसी | तिमाहिक |
पहले ब्याज पेमेंट की तारीख | 01.04.2020 |
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अगले ब्याज पेमेंट की तारीख | 01.07.2020 |
शुरुआती पेशकश के जारी होने की तारीख | 15.01.2020 |
टोकन सरक्यूलेशन अवधि | 15.01.2020 – 14.01.2025 |
टोकन को प्रभाव में लाने की अवधि (टोकन की रीपेमेंट): | 14.01.2025 - 28.01.2025 |
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भारत में क्रिप्टो करेंसी पर कैसे टैक्स लगता है?
बिटकॉइन की अवधारणा भारतीय बाजार में काफी नई है इसलिए अभी तक जब तक इस विषय पर कोई रूप रेखा तय नहीं है तो जाहिर तौर पर सरकार ने अभी तक बिटकॉइन की टैक्सेबिलिटी को क़ानूनन नहीं लाया है और वहीँ दूसरी तरफ बिटकॉइन पर कर लगाने से इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि भारतीय आयकर कानूनों ने हमेशा प्राप्त आय पर कर लगाने की सिफारिश की है चाहे वह किसी भी रूप में आई हुई हो।
इसलिए, बिटकॉइन पर कर Tax की संभावना को हम कुछ इस तरह की परिस्थितियों में देख बिटकॉइन पर कैसे टैक्स लगता है सकते है:
पॉइंट १ बिटकॉइन माइनिंग
खनन मतलब माइनिंग के द्वारा बनाए गए बिटकॉइन स्व-निर्मित पूंजीगत संपत्ति हैं। ऐसे बिटकॉइन की बाद में बिक्री, सामान्य तौर पर, पूंजीगत लाभ को जन्म देगी।
हालांकि,यहाँ यह बात भी ध्यान देने की है कि बिटकॉइन के अधिग्रहण की लागत निर्धारित नहीं की जा सकती क्योंकि यह एक स्व-निर्मित संपत्ति मतलब अपने आप माइन करके बनाई हुई संपत्ति है। इसके अलावा, यह आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 55 के प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आता है जो विशेष रूप से कुछ स्व-निर्मित संपत्तियों के अधिग्रहण की लागत को परिभाषित करता है।
इसलिए, बीसी श्रीनिवास शेट्टी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पूंजीगत लाभ गणना तंत्र यहाँ लागू नहीं होता है इसलिए, बिटकॉइन के खनन पर अभी कोई पूंजीगत लाभ कर नहीं लगेगा जब तक सरकार अधिनियम की धारा 55 में संशोधन के साथ आने के बारे में नहीं सोचती है
लेकिन आयकर अधिकारी “अन्य स्रोतों से आय” शीर्ष के तहत माइनिंग से प्राप्त बिटकॉइन के मूल्य पर कर लगाने का विकल्प चुन सकते हैं।
पॉइंट २ वास्तविक मुद्रा मतलब रूपये के बदले में किए जा रहे निवेश के रूप में रखे गए बिटकॉइन
यदि बिटकॉइन, जो पूंजीगत संपत्ति हैं, को एक निवेश के रूप में रखा गया है और वास्तविक मुद्रा के बदले में स्थानांतरित किया जाता है, तो मूल्य में वृद्धि से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ या अल्पकालिक पूंजीगत लाभ होगा जो कि होल्डिंग की अवधि के आधार पर होगा। बिटकॉइन।
इसके अलावा, लंबी अवधि के लाभ पर 20% की समान दर से कर लगाया जाएगा, जबकि अल्पकालिक लाभ पर व्यक्तिगत स्लैब दर पर कर लगाया जाएगा। लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर पहुंचने के लिए अधिग्रहण की लागत इंडेक्सेशन का लाभ देने के बाद निर्धारित की जाएगी। इसे समझने के लिए एक सरल उदाहरण नीचे दिया गया है:
ऊपर बिंदु 1 के तहत चर्चा किए गए आयकर अधिकारियों के संभावित विपरीत दृष्टिकोण को दोहराते हुए, आईटी अधिकारी बिटकॉइन को पूंजीगत संपत्ति के रूप में नहीं मान सकते हैं और इसलिए पूंजीगत लाभ के प्रावधान लागू नहीं होंगे।
इसके अलावा आयकर अधिकारी “अन्य स्रोतों से आय” शीर्ष के तहत बिटकॉइन से होने वाले लाभ पर कर लगाने का विकल्प चुन सकते हैं।
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इसके अलावा, यदि आय पर “अन्य स्रोतों से आय” के तहत कर लगता है, तो करदाता को उस दर पर कर का भुगतान करना होगा, जो उस कर स्लैब पर लागू होता है, जिसके अंतर्गत वह आता है।
उदाहरण के लिए, यदि उसकी कर योग्य आय 10 लाख रुपये से अधिक है, तो वह 30% की दर से कर के लिए उत्तरदायी होगा, जबकि 20% की फ्लैट दर के मुकाबले वह भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा यदि लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ के तहत कर लगाया जाता है। यदि पूंजीगत लाभ के तहत बिटकॉइन पर कैसे टैक्स लगता है कर लगाया जाता है तो इंडेक्सेशन का लाभ उपलब्ध नहीं होगा, अगर अन्य स्रोतों से आय के तहत कर लगाया जाता है।
पॉइंट ३ : बिटकॉइन को स्टॉक-इन-ट्रेड के रूप में वास्तविक मुद्रा के बदले में स्थानांतरित किया जा रहा
बिटकॉइन ट्रेडिंग गतिविधि से होने वाली आय से व्यवसाय से होने वाली आय में वृद्धि होगी और तदनुसार, ऐसे व्यवसाय से होने वाले लाभ पर व्यक्तिगत स्लैब दरों के अनुसार कर लगाया जाएगा।
पॉइंट ४ अपने कार्य या सेवाओं की बिक्री पर फायदे या पे के रूप में प्राप्त किए जा रहे बिटकॉन्स
इस प्रकार बिटकॉइन पर कैसे टैक्स लगता है प्राप्त होने वाले बिटकॉइन को धन की प्राप्ति के समान माना जाएगा। यह प्राप्तकर्ता के हाथों में आय का गठन करेगा। इसके अलावा, चूंकि प्राप्तकर्ता को यह आय किसी व्यवसाय या पेशे से प्राप्त होती है, इसलिए उस पर सामान्य रूप से, व्यवसाय या पेशे से लाभ या लाभ के मद में कर लगाया जाएगा।
जहां तक आयकर रिटर्न फॉर्म में बिटकॉइन के बारे में जानकारी देने की आवश्यकता का संबंध है तो अभी कोई कानून न बने होने से इसमें स्पष्टता की कमी साफ़ तौर पर बनी हुई है। इसलिए अभी क्रिप्टो करेंसी पर कब बिटकॉइन पर कैसे टैक्स लगता है कैसे और कितना टैक्स लगना है इस बारे में अपनी इच्छा के हिसाब से ही आयकर अधिकारीयों के द्वारा फैसले लिए जा रहे हैं और ऐसा करना उनकी भी मजबूरी ही है इसलिए सरकार को चाहिए की वह जल्दी ही इस विषय पर बनी हुई अनिश्चितता की स्थिति को ख़त्म करे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस नए क्रिप्टो बूम का फायदा उठा सकें और सरकार को भी उचित टैक्स मिल पाए
मुश्किल होगा क्रिप्टोकरेंसी का लेनदेन! टैक्स को लेकर सरकार और सख्त
Indian Government on Cryptocurrency: बजट में एक साल में 10,000 रुपये से ज्यादा के ऑनलाइन डिजिटल करेंसी भुगतान पर एक फीसदी टीडीएस लगाने का भी प्रस्ताव है।
- एक फीसदी टीडीएस लगाने का प्रस्ताव एक जुलाई, 2022 से प्रभाव में आएगा।
- CoinMarketCap के अनुसार, शाम 4:45 बजे के करीब ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट कैप 2.01 लाख करोड़ डॉलर था।
- खबर लिखने के समय तक बिटकॉइन की कीमत 44,317.14 डॉलर थी।
Indian Government on Cryptocurrency: सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का काफी क्रेज है। कई देशों ने क्रिप्टोकरेंसी पर अलग-अलग नियम भी लागू किए हैं। बात अगर भारत की करें, तो भारत सरकार फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी पर राहत देने के मूड में नहीं दिख रही है। सरकार ने वित्त विधेयक-2022 (Finance Bill 2022) में कुछ दबलाव करते हुए इसके लिए नियम और सख्त करने का प्रस्ताव रखा है।
सरकार ने अन्य डिजिटल एसेट से लाभ के साथ किसी भी नुकसान की भरपाई की अनुमति नहीं देकर क्रिप्टोकरेंसी पर कराधान (Tax on Cryptocurrency) के नियमों को कड़ा करने का प्रस्ताव किया। मंत्रालय ने लोकसभा सदस्यों को जारी वित्त विधेयक, 2022 में संशोधनों के तहत डिजिटल परिसंपत्तियों से लाभ के साथ नुकसान की भरपाई से संबंधित खंड से 'अन्य' शब्द को हटाने का प्रस्ताव किया है।
VDA में क्रिप्टोकरेंसी और NFT शामिल
इसका मतलब है कि 'वर्चुअल डिजिटल' संपत्तियों (VDA) के ट्रांसफर से होने वाले घाटे की अन्य वीडीए के स्थानांतरण से होने वाली आय के जरिए भरपाई की अनुमति नहीं होगी। वित्त विधेयक, 2022 के अनुसार वर्चुअल डिजिटल संपत्ति कोड या संख्या अथवा टोकन हो सकता है, जिसे स्थानांतरित किया जा सकता है या फिर उसे रखा जा सकता है अथवा इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यापार किया जा सकता है। वीडीए में क्रिप्टोकरेंसी और 'नॉन फंजिबल टोकन' (NFT) शामिल है, जिसके प्रति हाल के दिनों में आकर्षण बढ़ा है।
एक अप्रैल से लगेगा टैक्स
वित्त वर्ष 2022-23 के बजट (Budget 2022-23) में क्रिप्टो संपत्ति पर आयकर लगाने को लेकर चीजें स्पष्ट की गयी हैं। एक अप्रैल से ऐसे लेन-देन से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत आयकर के साथ सेस और सरचार्ज लगाया जाएगा। यह टैक्स ठीक उसी प्रकार से लगेगा, जैसे लॉटरी जैसे सट्टे वाले लेन-देन से होने वाले लाभ पर लगता है।
क्रिप्टो पर रुख स्पष्ट कर सरकार: कांग्रेस
शुक्रवार को कांग्रेस ने देश में कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटने में असमानता की स्थिति का सामना करने और गरीबों एवं अमीरों के बीच खाई बढ़ने का दावा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को क्रिप्टोकरेंसी पर रुख स्पष्ट करना चाहिए।
(एजेंसी इनपुट- भाषा)
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क्या देश में क्रिप्टो अब कानूनी हो गया? 30% टैक्स के बाद अगर आप भी इसे लीगल मान रहे हैं तो जानिए क्या है हकीकत
Cryptocurrency in India: वित्तमंत्री के बजट भाषण के बाद इतना तो साफ हो गया है कि भारत में अब वर्चुअल एसेट (Virtual Asset) से होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगेगा. इतना ही नहीं, क्रिप्टोकरेंसी के हर एक ट्रांजैक्शन (Transaction) पर अलग से 1% TDS (Tax deduction at source) सरकार को देना होगा.
Cryptocurrency: हम जिसे क्रिप्टोकरेंसी मान रहे हैं और वित्तमंत्री ने जिसे Virtual asset कहा उससे होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगेगा. बजट 2022 में यही एक प्वाइंट था, जिसने सबका ध्यान खींचा. बजट में ऐलान के बाद क्रिप्टो में निवेश करने वाले निराश हुए होंगे और इसके कारोबार से जुड़े कुछ लोग खुश भी हुए होंगे. खुशी इसलिए क्योंकि, कई लोग ये दावा कर रहे हैं कि अब क्रिप्टोकरेंसी देश में लीगल हो गई है. ये इस बात से भी साफ होता है कि बजट में बिटकॉइन पर कैसे टैक्स लगता है ऐलान के ठीक बाद क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज WazirX, Coinswitchkuber की तरफ से रिएक्शन आए कि सरकार यह कदम अच्छा है. लेकिन, यहां थोड़ा सा कन्फ्यूजन है. पहले समझते हैं कि वित्तमंत्री ने क्या कहा और उसका इंटरप्रिटेशन करने वाले कहां चूक कर रहे हैं.
डिजिटल करेंसी नहीं एसेट पर लगा है टैक्स
सबसे पहले तो ये समझिए सरकार ने जो टैक्स लगाया है वो डिजिटल एसेट या यूं कहें क्रिप्टोकरेंसी (Cyrptocurrency) जैसे बिटकॉइन पर लगा है, जो फिलहाल लीगल नहीं है. गौर करने की बात ये है कि सरकार इसे करेंसी नहीं मान रही है. तो अब भारत में डिजिटल एसेट (Cryptocurrency) से होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगेगा. मतलब अब अगर कोई व्यक्ति किसी डिजिटल एसेट (Digital Asset) में निवेश करके 100 रुपए का मुनाफा बिटकॉइन पर कैसे टैक्स लगता है कमाता है, तो उसे 30 रुपए टैक्स के रूप में सरकार को देने होंगे.
ट्रांजैक्शन पर TDS भी वसूलेगी सरकार
क्रिप्टोकरेंसी के हर एक ट्रांजैक्शन (Transaction) पर अलग से 1% TDS (Tax deduction at source) सरकार को देना होगा. मान लीजिए, किसी ने कोई क्रिप्टोकरेंसी खरीदी हुई है. ये उसका निवेश है. मतलब उसका ये Asset हुआ. अब अगर खरीदने वाला इस एसेट को किसी और को ट्रांसफर करता है, तो उसे अलग से उस Asset की कुल कीमत पर 1% के हिसाब से TDS चुकाना होगा. TDS किसी Source पर लगाया जाता है. जैसे आपको हर महीने मिलने वाली तनख्वाह पर सरकार जो टैक्स लेती है, वो TDS होता है. कुल मिलाकर सरकार डिजिटल करेंसी को एक इनकम सोर्स मान रही है. इसकी कमाई पर 30% टैक्स भी लगा दिया गया है.
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तो क्या क्रिप्टो करेंसी लीगल हो गई?
बजट में हुए इस ऐलान के बाद ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगा कर इसे लीगल कर दिया है? जवाब है- नहीं. इसे ऐसे समझिए, सरकार सिर्फ उस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लीगल यानी वैध मानती है, जिसे Reserve Bank of India-RBI जारी करता है या करेगा. मतलब अभी जो Bitcoin जैसी Crypto Currency हैं, वो वैध नहीं है. बजट भाषण के बाद पत्रकारों से सवाल-जवाब में वित्तमंत्री ने साफ किया कि क्रिप्टो की वैधता को लेकर सरकार में चर्चा जारी है लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क के बाहर जो भी क्रिप्टोकरेंसी हैं, वे करेंसी नहीं हैं. अगर कोई आपसे कहे कि ये लीगल हो गई हैं तो जब तक सरकार नहीं कहती, मानिएगा नहीं. यहां पर गौर करने की बात ये भी है कि सरकार अप्रैल से शुरू होने वाले कारोबारी साल में अपनी डिजिटल करेंसी लाने की भी तैयारी में है जिसका जिक्र वित्तमंत्री ने अपने भाषण में किया. जाहिर है ये करेंसी पूरी तरह लीगल होगी.
क्रिप्टो पर कन्फ्यूजन फैला क्यों?
वर्चुअल एसेट पर 30 परसेंट टैक्स का एलान होते ही कई लोगों ने ये मान लिया कि जो चीज टैक्स के दायरे में आ गई वो तो लीगल हो गई. जबकि ऐसा नहीं है. इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक आपकी आय कहीं से भी हो, बिटकॉइन पर कैसे टैक्स लगता है सरकार उस पर टैक्स वसूलती है. इससे आपके आय के लीगल होने की गारंटी नहीं मिल जाती. टैक्स एक्सपर्ट वेद जैन (Tax Expert Ved Jain) के मुताबिक, इनकम टैक्स प्रोविजन में साफ है कि आपकी कहीं से भी कमाई हुई है, उस पर टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स की देनदारी बनेगी. चाहे इनकम सोर्स वैध हो या फिर अवैध. सुप्रीम कोर्ट ने भी काफी वक्त पहले स्मगलिंग बिजनेस के मामले में ऐसा ही फैसला सुनाया था. इसलिए ऐसी कोई एसेट पर लगने वाले टैक्स को लीगल कहना सही नहीं है.
वर्चुअल एसेट से वित्तमंत्री का मतलब क्या है?
आसान तरीके से समझें तो आप जो सोना खरीदते हैं या जो घर खरीदते हैं, वो आपकी Assets होती है. मतलब आपकी सम्पत्ति, ना कि ये करेंसी है. ठीक इसी तरह Crypto Currency भारत सरकार के लिए एक Asset होगी और इस पर लोगों से टैक्स वसूला जाएगा. अगर आप ये सोच रहे हैं कि Bitcoin, Ethereum, Tether, Ripple जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल माना गया है तो तकनीकी तौर पर बिल्कुल सही नहीं है. हालांकि, लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.
इस टैक्स के पीछे क्या है सरकार की मंशा
सरकार के प्रतिनिधियों ने ये भी बताया कि देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन साल 2017 से ही सरकार के राडार पर है. इस पर टैक्स लगाने से सरकारी खजाने में मोटी रकम पहुंचनी तय है. अभी अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, Netherlands और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) पर वहां की सरकारें टैक्स लगाती हैं. सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि, हमारे देश में जितने लोगों ने CryptoCurrency में निवेश किया है, वो देश की आबादी का लगभग 8% हैं. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इन लोगों ने अपने 70 हजार करोड़ रुपए इस समय ऐसी Virtual Currency में लगाए हुए हैं. पूरी दुनिया में CryptoCurrency में ट्रेड करने के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये 30 प्रतिशत टैक्स, सीधे तौर पर 70 हजार करोड़ रुपए के निवेश को एक गारंटी देगा और हो सकता है कि भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ जाए.
गिफ्ट पर भी लगेगा टैक्स, ऐसे होगा कैलकुलेट
बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने वर्चुअल एसेट्स (Virtual Assets) के ट्रांजैक्शन से हुई कमाई पर 30% टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया. क्रिप्टोकरेंसी गिफ्ट करने को भी ट्रांजेक्शन माना जाएगा. मतलब अगर आप क्रिप्टोकरेंसी किसी को गिफ्ट में देते हैं तब भी 30 फीसदी टैक्स की देनदारी बनेगी. गिफ्ट किए जाने के मामले में उस समय की वैल्यू पर टैक्स लगेगा. इस वैल्यू को Recipient का इनकम माना जाएगा और उसे वैल्यू पर टैक्स देना होगा.
कब से लगेगा नया टैक्स?
एक और बात जो नोटिस करने वाली है कि ये नया टैक्स आने वाले कारोबारी साल यानी 1 अप्रैल से लागू होगा. यानी क्रिप्टो में कारोबार करने वालों के पास फिलहाल 31 मार्च तक की मोहलत है. वित्त मंत्री ने यह भी प्रस्ताव किया कि डिजिटल एसेट्स के दायरे में क्रिप्टोकरेंसी के अलावा NFT समेत सारे टोकन आते हैं, जो सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क में नहीं हैं. वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी आने आने वाली है. ये सारे बदलाव बजट पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद 1 अप्रैल 2022 से लागू हो जाएंगे.