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एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है?

एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है?
बेशक , आप समापन तिथि से पहले किसी भी समय एक विकल्प अनुबंध खरीद सकते हैं। तो एक या दो दिन के विकल्पों में कारोबार करने का भी अवसर है। बेशक , यह लंबी अवधि के विकल्प अनुबंधों की तुलना में बहुत अधिक जोखिम भरा है।


इस बार एक साथ खरीदी जाएगी ये चार फसलें-

इस बार शिवराज एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? सरकार ने चना, सरसों, मसूर और गेहूं की फसल की खरीदी एक साथ करने का फैसला किया है। जिसके चलते 1 फरवरी से फसलों की खरीदी के लिए पंजीयन भी शुरू हो चुके हंै, जो अब 25 फरवरी तक किए जाएंगे। सरकार अब तक गेहूं की फसल खरीदी का काम पहले करती थी। उसके बाद दूसरी फसलों की खरीदी शुरू होती थी, लेकिन इस बार सरकार ने एक साथ सभी फसलों को एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? खरीदने का फैसला किया है। फसलों की खरीद को लेकर पिछले दिनों कृषि मंत्री कमल एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? पटेल का कहना था कि अब तक मार्च के महीने में केवल गेहूं की फसल खरीदी होती थी। जबकि चना, सरसों और मसूर की फसल मई-जून के महीने में खरीदी जाती थी। लेकिन देखने में आ रहा है कि चने की फसल भी अब गेहूं के साथ ही आ जाती र्है। इसलिए सरकार ने यह फैसला लिया है एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? कि किसानों को फसल बेचने के लिए मई-जून तक का इंतजार न करना पड़े।

मध्यप्रदेश में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय -

मध्यप्रदेश में इस बार समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं खरीदी की दाम 1,975 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। सरकार का अनुमान है कि इस साल प्रदेश के करीब 20 लाख किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं विक्रय करेंगे। इसे देखते हुए सरकार ने पिछली बार की अपेक्षा इस बार गेहूं के लिए खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ा दी है।

मध्यप्रदेश में गेहूं के साथ ही चना, सरसों व मसूर की फसल के लिए भी रजिस्ट्रेशन किए जा रहे हैं। इसकी खरीद भी गेहूं के साथ ही सरकार करेगी। इसके लिए चना- 5100 रुपए प्रति क्विंटल, मसूर- 5100 प्रति क्विंटल व सरसों के लिए 4650 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तय है।

फसल खरीद को लेकर राज्य सरकार की तैयारी-

इस बार प्रदेश में गेहूं की बंपर पैदावार के चलते सरकार फसल की खरीद की तैयारियों को लेकर जुट गई है। सरकार का अनुमान है कि इस बार किसान बड़े पैमाने पर गेहूं की बिक्री करेंगे। इसे देखते हुए गेहूं खरीदी के लिए इस बार पूरे मध्य एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? प्रदेश में 4,529 खरीद केंद्र बनाए जा रहे हैं ताकि किसानों को परेशान न होना पड़े।

एमपी ई-उपार्जन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज-

एमपी-ई उपार्जन पोर्टल पर किसानों को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए अपनी समग्र आईडी, निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, बैंक अकाउंट पासबुक, ऋण पुस्तिका, मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो आदि दस्तावेजों की आवश्यकता होगी।
एमपी ई-उपार्जन पोर्टल पर कैसे करें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन?

यदि आप एमपी ई उपार्जन पोर्टल पर पंजीकरण करना चाहते हैं तो आपको ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके लिए सबसे पहले आपको एमपी ई उपार्जन पोर्टल की आधिकारिक वेबसाइट mpeuparjan.nic.in/ पर जाना होगा। यहां एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? आपके सामने होम पेज खुल कर आएगा। इस होम पेज पर आपको रबी 2021 -2022 का विकल्प दिखाई देगा। आपको इस विकल्प पर क्लिक करना होगा। विकल्प पर क्लिक करने के बाद आपके सामने अगला पेज खुल जाएगा। जिसमें एमपी-ई- उपार्जन रजिस्ट्रेशन पर आपको किसान पंजीयन /आवेदन सर्च का विकल्प दिखाई देगा। आपको किसान पंजीयन विकल्प पर क्लिक करना होगा। विकल्प पर क्लिक करने के बाद आपके सामने अगला पेज खुल जाएगा। इस पेज पर आपको एक फॉर्म दिखाई देगा आपको इस फॉर्म में पूछी गई सभी जानकारी जैसे किसान का नाम, मोबाइल नंबर, समग्र आईडी आदि सभी जानकारी भरनी होगी। इसके बाद आपको सबमिट के बटन पर क्लिक करना होगा। इस प्रकार आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा।

ऑप्शन एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? ट्रेडिंग – विकल्पों में कारोबार कैसे करें

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यदि आप एक नए निवेशक हैं तो विकल्प कारोबार थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यह स्टॉक , शेयर , बांड , और म्यूचुअल फंड जैसे पुराने , परिचित परिसंपत्ति वर्गों की तुलना में थोड़ा जटिल प्रतीत हो सकता है। हालांकि , विकल्प कारोबार के कई फायदे हैं , और अगर आप इन्हें जाने व कुछ ज्ञान और जागरूकता के साथ सशस्त्र हों , तो इसमें अवसर है जिनका कि आप फायदा उठाने के चाहेंगे। इसके अलावा , विविध पोर्टफोलियो के लिए यह एक अच्छा परिवर्धन हो सकता है।

विकल्प एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? कारोबार टिप्स जैसे विषयों में जाने से पहले , आइए पहले समझें कि एक विकल्प है क्या। विकल्प एक डेरीवेटिव होता है जिसका मूल्य अंतर्निहित संपत्ति से प्राप्त होता है। डेरिवेटिव दो प्रकार के होते हैं — फ्यूचर्स और विकल्प। एक फ्यूचर्स अनुबंध आपको भविष्य की तारीख पर एक निश्चित मूल्य पर एक निश्चित संपत्ति खरीदने या बेचने का अधिकार देता है। एक विकल्प अनुबंध आपको अधिकार देता है , लेकिन ऐसा करने का दायित्व नहीं।

एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है?

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Q. With regard to the Minimum Support Price (MSP) regime in India, which of the following statements is/are correct?

Select the correct answer using the codes given below:

इस तरह सभी किसानों को दिया जा सकता है न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP

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उद्योग और सेवाओं में काम कर रहे अन्य व्यक्तियों की तुलना में किसानों की औसत आय बहुत कम है। यह मंडी में “कम बिक्री मूल्य” और खाद्यान्न के “जरूरत से अधिक उत्पादन” के कारण है। सामान्य तौर पर, यह किसानों के बीच साल भर रहने वाला संकट है जिसके कारण किसान आत्‍महत्‍या और आंदोलन कर रहे हैं। यदि पूरा खाद्यान्न “न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)” पर बिक जाता है, तो किसान की समस्या को काफी हद तक हल किया जा सकता है।

कृषि इनपुट सब्सिडी उत्पादन लागत को कम करती है लेकिन इसका लाभ सही मायने में किसानों को नहीं मिलता बल्कि उपभोक्ताओं को दिया जाता है। “किसान सम्मान निधि” एक अंतरिम राहत तो हो सकती है लेकिन स्थायी समाधान नहीं। कृषि उपज का एक स्थायी बिक्री मूल्य सही विकल्प है। जिसके लिए उचित नीति के माध्यम से सभी किसानों को एमएसपी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। सवाल यह है कि; क्या राजकोषीय बाधाओं को देखते हुए “गारंटीकृत एमएसपी” संभव है? यदि नहीं, तो इसका समाधान कैसे करें? खराब होने वाली कृषि-उत्पाद के लिए एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? एक अलग नीति की आवश्यकता है जिसकी चर्चा यहां नहीं की गई है।

अभी क्या है देश में फसलों की MSP पर खरीद की स्थिति

वित्त वर्ष-2020 में, सरकार ने एमएसपी पर 23 पात्र फसलों की बमुश्किल 26% खरीद की थी। यह सभी फसलों का 15% से कम हिस्‍सा हो सकता है। खरीद के इतने निचले स्तर के साथ भी, एफसीआई के पास बिना बिका स्टॉक लगभग 32.0 मिलियन टन और राज्यों के पास 24.0 मिलियन टन है। एफसीआई का कर्ज भी 4.0 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जिस पर भारी ब्याज और भंडारण लागत है। इसलिए, सरकार के लिए वर्तमान तरीके से पूरे उत्पादन को खरीदना संभव नहीं है।

औद्योगिक उत्पाद के विपरीत, खाद्यान्न का उत्पादन चक्र लंबा होता है। इसका उत्पादन वर्ष में 1-3 बार किया जाता है और पूरे वर्ष में इसका उपभोग किया जाता है। इसलिए, इसे फसल आने के मौसम के दौरान संग्रहीत किया जाता है और लंबी अवधि में अंतिम उपभोक्ता को बेचा जाता है। फसल आने के मौसम में खरीद के बोझ को साझा करने के लिए भारत को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और व्यापार चैनल विकसित करना चाहिए। फसल की आवक के दौरान बाजार मूल्य कम होना तय है जिससे ऐसे निजी माध्‍यमों से खरीदारी करते समय किसानों का शोषण हो सकता है। केवल व्यापार चैनल पर एमएसपी का कानूनी बंधन, जैसा कि किसानों की मांग है, मेरे विचार से अधूरा समाधान है जब तक कि व्यापार चैनल की समस्याओं का भी समाधान नहीं किया जाता है।

परीक्षण सुविधा कराई जाए उपलब्ध

एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) को नीलामी के माध्यम से इस तरह के बिक्री लेनदेन में किसानों की सहायता करनी चाहिए। न्‍यूनतम मूल्‍य एमएसपी का लगभग 93-95% रखा जाना चाहिए। एफसीआई को गुणवत्ता मानकों को तय करना चाहिए और गुणवत्ता के आधार पर खरीदार द्वारा किसी भी मनमानी कटौती से बचने के लिए परीक्षण सुविधा प्रदान करनी चाहिए।

बिना बिके स्टॉक को अनिवार्य रूप से एफसीआई द्वारा संग्रहित किया जाना चाहिए और मात्रा, गुणवत्ता और ऋण राशि का उल्लेख करते हुए किसान को एक “माल रसीद (जीआर)” जारी की जा सकती है। ऐसे जीआर की वैधता अवधि एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? 5-6 महीने हो सकती है। एफसीआई को एमएसपी मूल्य पर स्टॉक मूल्य के 90% तक किसान को ऋण देना चाहिए। एसएलआर दर पर बैंकों द्वारा एफसीआई को पुनर्वित्त किया एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? जा सकता है। इस तरह की स्टॉकिंग सुविधा के अभाव में, किसान व्यापार चैनल को अपनी उपज कौड़ी के भाव बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं। यह प्रमुख सुझाव है।

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