तरलता अनुपात

4. एसएलआर क्या है?
रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में नकदी की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जिन उपायों का सहारा लेता है उनमें एसएलआर एक महत्वपूर्ण उपाय है. स्टेचुअरी लिक्विडिटी रेश्यो या वैधानिक तरलता अनुपात बैंकों के पास उपलब्ध जमा का वह हिस्सा होता है, जोकि उन्हें अपनी जमा पर लोन जारी करने के पहले अपने पास रख लेना जरूरी होता है. एसएलआर नकदी, स्वर्ण भंडार, सरकारी प्रतिभूतियों जैसे किसी भी रूप में हो सकता है.
बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन में बेहतरी आने से अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही या सितंबर तिमाही में सभी बैंकों ने शुद्ध लाभ और फंसे कर्ज (एनपीए) के पैमानों पर शानदार प्रदर्शन किया है। बैंकों को अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। इसके जरिये ही अर्थव्यवस्था को गतिशील और मजबूत बनाया जा सकता है।
सतीश सिंह। आज यूक्रेन एवं रूस के बीच चल रहे युद्ध के कारण ईंधन और कई उत्पादों की वैश्विक स्तर पर किल्लत हो गई है। विकसित देशों में भी महंगाई चरम पर पहुंच गई है। बावजूद इसके भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, क्योंकि हमारे बैंकिंग तंत्र मजबूत हो रहे हैं। भारत ने विगत वर्षों में न सिर्फ कोविड जैसी खतरनाक महामारी पर जल्द काबू पाने में सफलता पाई, बल्कि केंद्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और वाणिज्यिक बैंक समयानुसार सही कदम उठाकर अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने में सफल रहे।
कर्ज वितरण में तेज वृद्धि
सभी वाणिज्यिक बैंकों के आंकड़ों के अनुसार 21 अक्टूबर को समाप्त हुए पखवाड़े में कर्ज की वृद्धि दर 17.9 प्रतिशत रही, जो नौ वर्षों का उच्चतम स्तर है। इस अवधि में राशि में वितरित ऋण 129 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया। ऋण वृद्धि उद्योग, सेवा, व्यक्तिगत आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दर्ज की गई है। व्यक्तिगत और सेवा क्षेत्र में लगभग 20 प्रतिशत की ऋण वृद्धि दर्ज की गई है। उद्योग क्षेत्र में भी 12.6 प्रतिशत की मजबूत ऋण वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल समान अवधि में इस क्षेत्र में 1.7 प्रतिशत की मामूली ऋण वृद्धि दर्ज की गई थी।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बावजूद ऋण वितरण में वृद्धि होना तरलता अनुपात इस तथ्य की पुष्टि करता है कि मांग और आपूर्ति दोनों में तेजी आ रही है। जमा-ऋण अनुपात में वृद्धि: मार्च 2020 की तुलना में बैंकों ने सात अक्तूबर को समाप्त हुए पखवाड़े में बैंक जमा में 27.27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि इस अवधि में ऋण वृद्धि 25.2 प्रतिशत दर्ज की। वहीं जमा-ऋण वृद्धि अनुपात या सीडी अनुपात 75 तरलता अनुपात प्रतिशत के आसपास रहा।
सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 675 सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय परिणामों में बेहतरी आई है। सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार आने की वजह भी बैंक हैं। कोविड की वजह से कारपोरेट्स, सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों के कामकाज ठप हो गए थे, लेकिन महामारी का प्रभाव कम होते ही बैंकों ने उन्हें समय पर सहायता उपलब्ध करवाई, जिसके कारण वे अल्प समय में रिकवरी करने में कामयाब रहे।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही या सितंबर तिमाही में सभी बैंकों ने शुद्ध लाभ और फंसे कर्ज (एनपीए) के पैमानों पर शानदार प्रदर्शन किया है। बैंकों को अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। इसके जरिये ही अर्थव्यवस्था को गतिशील और मजबूत बनाया जा सकता है। जाहिर है कर्ज वितरण में तेजी आने, सीडी अनुपात के सकारात्मक रहने और बैंकों के वित्तीय तरलता अनुपात प्रदर्शन में बेहतरी आने से अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्या होता है, इसका आप पर क्या असर पड़ता है?
रेपो रेट का आप पर असर
जब बैंक को रिजर्व बैंक से कम ब्याज दर पर लोन मिलेगा तो उनके फंड जुटाने की लागत कम होगी. इस वजह से वे अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं. इसका मतलब यह है कि रेपो रेट कम होने पर आपके लिए होम, कार या पर्सनल लोन पर ब्याज की दरें कम हो सकती हैं.
अगर रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ा देता है तो बैंकों को पैसे जुटाने में अधिक रकम खर्च करनी होगी और वे अपने ग्राहकों को भी अधिक ब्याज दर पर कर्ज देंगे.
2. रिवर्स रेपो रेट क्या है?
देश में कामकाज कर रहे बैंकों के पास जब दिन-भर के कामकाज के बाद रकम बची रह जाती है, तो उस रकम को भारतीय रिजर्व बैंक में रख देते हैं. इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है. भारतीय रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं.
होम लोन के लिए जाने से पहले इन वित्त शर्तों को जानें
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 6 जून को रेपो दर में 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत और आरक्षित रेपो दर 6 प्रतिशत कर दी। यह केंद्रीय बैंक द्वारा साढ़े चार साल की अवधि में सबसे तेज वृद्धि है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा लिया गया निर्णय सीधे होमब्यूरअपियों को प्रभावित करेगा क्योंकि बैंक ब्याज दरों में अपेक्षित वृद्धि के बाद गृह ऋण महंगा होगा।
हमें अपने दैनिक जीवन में कई बैंकिंग और वित्तीय शब्दावली का सामना करना पड़ता है, और यदि आप एक फ़िरअप-टाइम होमब्यूरर हैं, तो भविष्य में अच्छी ग्राउंडिंग प्राप्त करने में आपकी सहायता के लिए इन शर्तों से परिचित होना महत्वपूर्ण है।
मकानीक्यू ने बताया कि आम वित्तीय शब्दकोष होमब्यूरअपियों को इस बारे में अवगत होना चाहिए:
रेपो दर
जब वे धन की कमी का सामना करते हैं तो वाणिज्यिक बैंक आरबीआई से संपर्क करते हैं। जिस बैंक पर केंद्रीय बैंक इन बैंकों को पैसा देता है वह रिपो दर है। इसे ब्याज दर के रूप में भी समझाया जा सकता है जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी प्रतिभूतियों और बांड बेचकर आरबीआई से धन उधार लेते हैं। रिपो रेट मुद्रास्फीति और तरलता को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक प्राधिकरणों द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक उपकरण भी है। साथ ही, जब आरबीआई को परिसंचरण में अधिक धन की आवश्यकता होती है, तो यह रेपो दर को घटा देती है जिससे बैंकों को धन उधार लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
तरलता अनुपात
RBI की मौद्रिक नीति समिति की ऑफ-साइकिल बैठक की मुख्य विशेषताएं
2 मई और 4 मई, 2022 को, भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) ने RBI की मौद्रिक नीति समिति की ऑफ-साइकिल बैठक की। इसके मुख्य अंश निम्नलिखित हैं:
मुख्य विशेषताएं: रेपो दर में 4.40% की वृद्धि
i. बैठक में अर्थव्यवस्था में बढ़ते मुद्रास्फीति के दबाव के बीच, तरलता समायोजन सुविधा (LAF) के तहत नीति रेपो दर में 40 आधार अंकों की वृद्धि के साथ तत्काल प्रभाव तरलता अनुपात से 4.40% की वृद्धि देखी गई।
- इससे कॉरपोरेट्स और व्यक्तियों के लिए उधार लेने की लागत बढ़ने की उम्मीद है।
- अगस्त 2018 के बाद यह पहली दर वृद्धि है।
- यह वह दर है जिस पर बैंक RBI से उधार लेते हैं।
RBI जनवरी से हर तिमाही 0.25% घटाएगा SLR, 18% पर लाना लक्ष्य; क्या लोन सस्ता होगा?
वर्तमान में SLR दर 19.5 फीसदी पर है. (Reuters)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जनवरी से प्रत्येक तिमाही में सांविधिक तरलता अनुपात (SLE) में 0.25 फीसदी की कटौती का फैसला किया है. यह कटौती इसके 18 फीसदी पर आने तक जारी रहेगी. वर्तमान में SLR दर 19.5 फीसदी पर है. इससे बैंकों के पास अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी और वह अधिक कर्ज दे सकेंगे.
क्या है SLR?
प्रत्येक बैंक को अपनी जमा राशि का कुछ अनुपात केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार की वित्तीय प्रतिभूतियों (बांड) में निवेश करना है. इस अनुपात को ही वैधानिक तरलता अनुपात(Statutory Liquidity Ratio) यानी एसएलआर कहते हैं. यह जमा राशि मुख्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियों (बांड), नकदी, सोने और गैर–अनुमोदित में निवेश किया जाता है, जिसका मतलब है कि बैंक सीआरआर के अपेक्षा इन निवेशों पर कुछ हद तक ‘ब्याज‘ कमा सकते हैं. एसएलआर का इस्तेमाल ग्रोथ और मंदी को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. एसएलआर में कमी का मतलब यह है कि बैंकों के पास अधिक नकदी होगी. वे होम, आॅटो और कॉमर्शियल लोन की ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं.
RBL बैंक की इकोनॉमिस्ट रजनी ठाकुर ने कहा कि SLR में इस कटौती से अगले एक से डेढ़ साल के दौरान बैंकिंग प्रणाली को एक से डेढ़ लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त कोष उपलब्ध होगा. बैंकों में नकदी संसाधनों को बढ़ाने और उन्हें अधिक कर्ज देने के लिये प्रोत्साहित करने के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने यह कदम उठाया है.
जनवरी-मार्च से होगा ऐसा
इस घोषणा पर अमल कैलेंडर वर्ष 2019 की पहली तिमाही यानी जनवरी-मार्च से होगा. पहली तिमाही से हर तिमाही SLR में 0.25 फीसदी कमी लाई जाएगी. यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा, जब तक कि यह उनकी कुल जमाओं के 18 फीसदी पर नहीं आ जाती. वर्तमान में यह अनुपात 19.5 फीसदी है.
रिजर्व बैंक ने अलग से जारी एक बयान में कहा कि एसएलआर को कम करने का मकसद बैंकों को अपनी नकदी को गवर्मेंट सिक्योरिटीज की सुरक्षित पनाहगाह में रखने के बजाय कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करना है. लक्ष्मी विलास बैंक के ट्रेजरी प्रमुख आर के गुरुमूर्ति ने कहा कि इस कदम से गवर्मेंट सिक्योरिटीज में ‘फंसा’ कोष बाहर आएगा और बैंकों को कर्ज देने के लिए अधिक धन उपलब्ध होगा.
घटेगी कर्ज की लागत
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के CEO जरीन दारूवाला ने कहा कि यह हर्ष की बात है कि रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए मौद्रिक रुख को नरम करने को तैयार है. मुद्रास्फीति के अनुमान में कटौती और SLR को धीरे-धीरे कम करने से कर्ज की लागत घटेगी.
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