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बाजार तरलता क्या है?

बाजार तरलता क्या है?
यह आरबीआई द्वारा अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अपनाई गई मौद्रिक नीति के तहत बाजार तरलता क्या है? आता है।

statutory liquidity ratio

एसएलआर क्या है? एसएलआर रेट | What is SLR rate in Hindi

भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजार में तरलता (liquidity) की मात्रा नियंत्रित करने में रिजर्व बैंक जिन उपायों या उपकरणों का सहारा लेता है उनमें एसएलआर एक महत्वपूर्ण उपकरण बाजार तरलता क्या है? है। इस लेख में हम जानेंगे कि एसएलआर क्या है? यह कैसे निर्धारित होता है? और रिजर्व बैंक इसका प्रयोग किस उद्देश्य के लिए और किस प्रकार करता है। और यह भी कि एसएलआर और सीआरआर में क्या अंतर होता है?

SLR का फुल फॉर्म होता है—Statutory liquidity ratio, जिसका मतलब यानी हिन्दी में अर्थ होता है— वैधानिक तरलता अनुपात। यह बैंकों के पास उपलब्ध जमाओं का वह हिस्सा होता है, जोकि उन्हें अपनी जमाओं पर लोन जारी करने के पहले अपने पास रख लेना अनिवार्य होता है। यह नकदी (cash), स्वर्ण भंडार (gold reserves), सरकारी प्रतिभूतियों (government approved securities) वगैरह किसी भी रूप में हो सकता है।

अधिकतम 40 प्रतिशत तक रख सकता है रिजर्व बैंक

भारत में एसएलआर की अधिकतम सीमा 40 प्रतिशत तक रह चुकी है। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक को बैंकों के लिए एसएलआर की सीमा 40 प्रतिशत तक करने का अधिकार भी है। और न्यूनतम 0 प्रतिशत तक भी एसएलआर घोषित किया जा सकता है।

अंतिम रूप से यह रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया पर निर्भर करता है कि वह अर्थव्यवस्था व बाजार की स्थितियों के मुताबिक इसे 0 से लेकर 40 प्रतिशत के बीच में किस सीमा तक रखना चाहता है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि ज्यादातर कॉमर्शियल बैंक अपना SLR रिजर्व बैंक की ओर से तय किए गए अनुपात से अधिक ही रखते हैं।

उदाहरण के लिए अक्टूबर 2018 में रिजर्व बैंक की ओर से एसएलआर का तय प्रतिशत 19.5 प्रतिशत था, जबकि कॉमर्शियल बैंकों की ओर से जो एसएलआर बनाकर रखा गया था, वह 26 प्रतिशत से भी ज्यादा था।

बैंकों को रोजाना सुनिश्चित बाजार तरलता क्या है? करना होता है एसएलआर

रिजर्व बैंक के प्रावधानों के मुताबिक, हर कॉमर्शियल बैंक को अपने रोजाना का कारोबार बंद होने के बाद अपनी शुद्ध मांग जमाओं (Net Demand). और सामयिक उत्तरदायिता (Time Liabilities) का एक निश्चित हिस्सा तरल परिसंपत्तियों (liquid assets) के रूप में सुरक्षित कर लेना अनिवार्य होता है। यह तरल परिसंपत्तियां cash, gold और unencumbered approved securities के रूप में हो सकती हैं।

तो, बैंक की कुल demand and time liabilities के प्रति इन सुरक्षित रखे जाने वाले liquid assets का जो भी अनुपात होता है, उसे Statutory Liquidity Ratio (SLR) या वैधानिक तरलता अनुपात कहते हैं।

  • Net Demand Liabilities क्या होती हैं?: ऐसे बैंक खाते, जिनसे लोग कभी भी अपना पैसा निकाल सकते हैं। जैसे कि बचत खाते (savings accounts) और चालू खाते (current account)।
  • Time Liabilities क्या होती हैं? – ऐसे बैंक खाते, ​जिनसे आप तुरंत पैसा नहीं निकाल सकते। बल्कि आपको कुछ समय तक इंतजार करना होता है जैसे कि सावधि जमा खाते Fixed deposit accounts। इस प्रकार की देयताएं .liabilities. भी, जिनको कि maturity period पूरा होने के कारण अगले 1 महीने की अवधि के भीतर भुगतान करना होता है उनको भी time liabilities के अंतर्गत गिना जाता है।

किस प्रकार तय होता है बाजार तरलता क्या है? एसएलआर

बैंकों को अपनी जमाओं (deposits) का कुछ हिस्सा विशेष वित्तीय प्रतिभूतियों (securities) जैसे कि केंद्र सरकार के बांडों (Central Government securities) या राज्य सरकार के बांडों (State Government securities) में निवेश कर देना होता है। एसएलआर में नकदी के अलावा सोना और government securities (या gilts) भी शामिल किए जाते हैं, क्योंकि ये भी उच्च स्तरीय तरल और सुरखित संपत्ति माने जाते हैं।

उदाहरण के लिए, आपने 1000 रुपए बैंक में जमा किया। अब बैंक को इसमें से कुछ हिस्सा रिजर्व बैंक के पास एसएलआर के रूप में रख देना होगा। मान लिया उस समय एसएलआर 20 प्रतिशत है तो उस बैंक को इस 1000 में से 200 रुपए रिजर्व बैंक के पास निवेश कर देना होगा। (प्रतिभूतियोें, स्वर्ण आदि मेें)

एसएलआर की एक और खासियत यह भी है कि एसएलआर के रूप में रिजर्व बैंक के पास रखी गई रकम पर ब्याज भी मिलता है। जोकि सीआरआर के साथ नहीं होता।

अधिकतम 40 प्रतिशत तक रख सकता है रिजर्व बैंक

भारत में एसएलआर की अधिकतम सीमा 40 प्रतिशत तक रह चुकी है। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक को बैंकों के लिए एसएलआर की सीमा 40 प्रतिशत तक करने का अधिकार भी है। और न्यूनतम 0 प्रतिशत तक भी एसएलआर घोषित किया जा सकता है।

अंतिम रूप से यह रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया पर निर्भर करता है कि वह अर्थव्यवस्था व बाजार की स्थितियों के मुताबिक इसे 0 से लेकर 40 प्रतिशत के बीच में किस सीमा तक रखना चाहता है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि ज्यादातर कॉमर्शियल बैंक अपना SLR रिजर्व बैंक की ओर से तय किए गए अनुपात से अधिक ही रखते हैं।

उदाहरण के लिए अक्टूबर 2018 में रिजर्व बैंक की ओर से एसएलआर का तय प्रतिशत 19.5 प्रतिशत था, जबकि कॉमर्शियल बैंकों की ओर से जो एसएलआर बनाकर रखा गया था, वह 26 प्रतिशत से भी ज्यादा था।

बैंकों को रोजाना सुनिश्चित करना होता है एसएलआर

रिजर्व बैंक के प्रावधानों के मुताबिक, हर कॉमर्शियल बैंक को अपने रोजाना का कारोबार बंद होने के बाद अपनी शुद्ध मांग जमाओं (Net Demand). और सामयिक उत्तरदायिता (Time Liabilities) का एक निश्चित हिस्सा तरल परिसंपत्तियों (liquid assets) के रूप में सुरक्षित कर लेना अनिवार्य होता है। यह तरल परिसंपत्तियां cash, gold और unencumbered approved securities के रूप में हो सकती हैं।

तो, बैंक की कुल demand and time liabilities के प्रति इन सुरक्षित बाजार तरलता क्या है? रखे जाने वाले liquid assets का जो भी अनुपात होता है, उसे Statutory Liquidity Ratio (SLR) या वैधानिक तरलता अनुपात कहते हैं।

  • Net Demand Liabilities क्या होती हैं?: ऐसे बैंक खाते, जिनसे लोग कभी भी अपना पैसा निकाल सकते हैं। जैसे कि बचत खाते (savings accounts) और चालू खाते (current account)।
  • Time Liabilities क्या होती हैं? – ऐसे बैंक खाते, ​जिनसे आप तुरंत पैसा नहीं निकाल सकते। बल्कि आपको कुछ समय तक इंतजार करना होता है जैसे कि सावधि जमा खाते Fixed deposit accounts। इस प्रकार की देयताएं .liabilities. भी, जिनको कि maturity period पूरा होने के कारण अगले 1 महीने की अवधि के भीतर भुगतान करना होता है उनको भी time liabilities के अंतर्गत गिना जाता है।

किस प्रकार तय होता है एसएलआर

बैंकों को अपनी जमाओं (deposits) का कुछ हिस्सा विशेष वित्तीय प्रतिभूतियों (securities) जैसे कि केंद्र सरकार के बांडों (Central Government securities) या राज्य सरकार के बांडों (State Government securities) में निवेश कर देना होता है। एसएलआर में नकदी के अलावा सोना और government securities (या gilts) भी शामिल किए जाते हैं, क्योंकि ये भी उच्च स्तरीय तरल और सुरखित संपत्ति माने जाते हैं।

उदाहरण के लिए, आपने 1000 रुपए बैंक में जमा किया। अब बैंक को इसमें से कुछ हिस्सा रिजर्व बैंक के पास एसएलआर के रूप में रख देना होगा। मान लिया उस समय एसएलआर 20 प्रतिशत है तो उस बैंक को इस 1000 में से 200 रुपए रिजर्व बैंक के पास निवेश कर देना होगा। (प्रतिभूतियोें, स्वर्ण आदि मेें)

एसएलआर की एक और खासियत यह भी है कि एसएलआर के रूप में रिजर्व बैंक के पास रखी गई रकम पर ब्याज भी मिलता है। जोकि सीआरआर के साथ नहीं होता।

एसएलआर अनिवार्य करने के प्रमुख कारण
Major uses of mandating SLR are

भारतीय रिजर्व बैंक, कई प्रयोजनों से एसएलआर तय करता है। सबसे प्रमुख कारण तो अर्थव्यवस्था में तरलता की मात्रा घटाना-बढाना होता है। इसके माध्यम से ही वह बाजार को इच्छानुसार नियंत्रित कर पाता है। एसएलआर को अनिवार्य करने के कुछ अन्य प्रयोजन इस प्रकार हैं—

ऋण जारी करने की क्षमता पर नियंत्रण

एसएलआर के माध्यम से रिजर्व बैंक, बैंकों की ओर से जारी होने वाले लोन की मात्रा को नियंत्रित कर पाता है। एसएलआर की मात्रा जितनी अधिक होती है, कॉमर्शियल बैंक उतनी ही कम मात्रा में लोन जारी कर पाते हैं। इसके उलट एसएलआर की मात्रा जितनी कम होती है, कॉ​मर्शियल बैंकों के पास उतनी ज्यादा लोन जारी करने की क्षमता रहती है।

आकस्मिक मांगों के लिए पर्याप्त तरलता रखना

एसएलआर के माध्यम से आकस्मिक मांगों के लिए बैंकों के पास पर्याप्त तरलता बनाए रखना भी संभव होता है। चूंकि, एसएलआर, बैंकों को अपनी सारी जमाएं, रिण के रूप में जारी करने से रोकता है और एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखने को सुनिश्चित करता है इसलिए बैंको को अपने ग्राहकों की आकस्मिक मांगों को पूरा करना संभव हो पाता है।

आर्थिक पैकेज दिए जाने से बाजार में पैसे की तरलता आएगी

नई दिल्ली : केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीथारमन द्वारा आज एमएसएमई सेक्टर को दिए गए आर्थिक राहत पैकेज पर कॉन्डफेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की वित्तमंत्री ने बाजार को पैसे की तरलता से भर देने का आश्वासन ही नहीं दिया, बल्कि एमएसएमई सेक्टर के लिए मजबूत योजनाएं घोषित की है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा कि आज वित्तमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं से यह निश्चित है कि इसी तर्ज़ पर वित्तमंत्री इस श्रृंखला में रिटेल बाजार तरलता क्या है? व्यापार के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा करेंगी। देश में 7 करोड़ व्यापारी हैं जो लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं और वर्तमान लॉकडाउन से सबसे ज्यादा व्यापार प्रभावित हुए हैं। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि जिस तरीके से अर्थव्यवस्था के सभी स्तंभों को प्रोत्साहित किया है और वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है, इससे बाजारों में पैसे की तरलता बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी।। सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों को 45 दिन के अंदर सारे बिलों का भुगतान करवाना, बैंकों द्वारा अतिरिक्त कर्ज बगैर कॉलेटरल सिक्योरिटी के उपलब्ध कराना तथा ई टेंडरिंग 200 बाजार तरलता क्या है? करोड़ रुपए तक की स्थानीय लोगों को मिले उसके प्रावधान करना, ई मार्केट के माध्यम से विदेशों में एग्जीबिशन प्रदर्शनी में हिस्सा करना उद्योग के लिए सकारात्मक पहल है। बाजार में अलग अलग नाम से पैसों की तरलता लाने की जो बात कही है, यह भी अपने आप में एक क्रांतिकारी कदम है।

निवेशक पर एसएलआर का प्रभाव

एसएलआर संदर्भ दरों में से एक के रूप में कार्य करता है जब आरबीआई को आधार दर का पता लगाना होता है। बेस रेट न्यूनतम उधार दर है। और इसलिए किसी भी बैंक को इस दर से कम राशि उधार देने की अनुमति नहीं है। आरबीआई इस दर को ऋण बाजार में उधार लेने और देने के संबंध में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए तय करता है। बेस रेट भी बैंकों को ऋण देने की लागत में कटौती करने में मदद करता है ताकि सस्ती ऋण देने में सक्षम हो सकें।

जब RBI आरक्षित आवश्यकता को लागू करता है, तो यह सुनिश्चित करता है कि जमा का एक निश्चित हिस्सा सुरक्षित है और ग्राहकों के लिए हमेशा उपलब्ध है। हालाँकि, यह शर्त बैंक की उधार देने की क्षमता को भी सीमित करती है। इस मांग को नियंत्रण में रखने के लिए ऋण दरों में वृद्धि की आवश्यकता है।

एसएलआर को बनाए रखने का महत्व

भारत में सभी बैंक जिनमें अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, राज्य सहकारी बैंक, केंद्रीय सहकारी बैंक और प्राथमिक सहकारी बैंक हैं, RBI द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार SLR को बनाए रखेंगे। आपको लघु वित्त बैंक लाइसेंस के उद्देश्य, नियम, मुख्य चुनौतियां भी सीखनी चाहिए ।

इसके लिए, प्रत्येक बैंक को अपने नेट डिमांड और टाइम लायबिलिटीज (NDTL) को हर पखवाड़े RBI को रिपोर्ट करना होगा।

अनुपालन करने में विफलता के मामले में, आरबीआई बैंक दर से अधिक 3% वार्षिक जुर्माना लगाएगा। और उसके बाद भी, यदि बैंक कार्य दिवस में ऐसा करने में विफल रहता है, तो उस पर 5% जुर्माना होगा।

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क्यूई को शेयर बाजार में रिटर्न उत्पन्न करने और अन्य सट्टा परिसंपत्तियों के मूल्यों को बढ़ाने के लिए तरलता के साथ बाजारों में बाढ़ लाने का श्रेय दिया गया है क्योंकि फेडरल रिजर्व ने 2008 के वित्तीय संकट और विशेष रूप से कोरोनावायरस महामारी के दौरान बांडों में खरबों डॉलर जुटाए थे। निवेशक और नीति निर्माता इस बात को कम करके आंक सकते हैं कि ज्वार के घटने पर क्या होता है।

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