विश्‍व के बाजारों में ट्रेड करें

विदेशी मुद्रा मुद्रा स्वैप

विदेशी मुद्रा मुद्रा स्वैप
घरेलू कर राजस्व को बढ़ाना और उधारी को सीमित करने के लिए सरकारी खर्च को कम करना सबसे अच्छा होगा, विशेष रूप से बाहरी स्रोतों से सॉवरेन उधार।

मुद्रा विनिमय (Currency Swap) क्या होता है

मुद्रा विनिमय (Currency Swap) दो पक्षों के मध्य एक मुद्रा में ऋण के विनिमय संबंधी पहलुओं (मतलब कि मूलधन और ब्याज के भुगतान) का किसी अन्य मुद्रा में ऋण के शुद्ध वर्त्तमान मान वाले समतुल्य पहलुओं हेतु एक विदेशी मुद्रा विनिमय अनुबंध होता है। विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव. मुद्रा विनिमय तुलनात्मक लाभ के माध्यम से प्रेरित होते हैं। इसके अलावा मुद्रा विनिमय को केंद्रीय बैंक के नकदी विनिमय से अलग माना जाना चाहिए |

अगर इसे सीधे शब्दों में कहा जाए तो पूरे विश्व में अदला-बदली का अर्थ ही विनिमय करना होता है। यदि आप भी मुद्रा विनिमय (Currency Swap) क्या होता है, इसके विषय में जानना चाहते है, तो यहाँ पर पूरी जानकारी दी जा रही है |

मुद्रा विनिमय (Currency Swap) का इतिहास

Table of Contents

मुद्रा विनिमय (Currency Swap) का निर्माण 1970 में यूनाइटेड किंगडम में विदेशी मुद्रा नियंत्रणों से बचने हेतु किया गया था । उस वक्त, ब्रिटेन की कंपनियों को अमेरिकी डॉलर का कर्ज प्राप्ति हेतु प्रीमियम (किस्त) का भुगतान करना होता था। इससे विदेशी मुद्रा मुद्रा स्वैप स्वयं को बचाने के लिए, ब्रिटेन की कंपनियों ने स्टर्लिंग चाहने वाली संयुक्त राज्य अमेरिका की कंपनियों के साथ कई ऋण समझौते किए | लेकिन अब मुद्रा विनिमय पर इस प्रकार के प्रतिबंध दुर्लभ हो विदेशी मुद्रा मुद्रा स्वैप चुके हैं, तुलनात्मक फायदे की वजह से ऋण से अभी भी बचत उपलब्ध हैं |

मुद्रा ब्याज दर विनिमय (Currency Swap) वर्ष 1981 में विश्व बैंक (World Bank) द्वारा आईबीएम (IBM) के साथ नकद प्रवाह का विनिमय कर स्विस फ़्रैंक और जर्मन मार्क प्राप्ति हेतु किया गया। इस सौदे के लिए सालोमन विदेशी मुद्रा मुद्रा स्वैप ब्रदर्स ने 210 मिलियन डॉलर्स की अनुमानित राशि एवं दस वर्षों से अधिक के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये।

News Analysis

भुगतान संतुलन (बीओपी) की गंभीर समस्या के कारण श्रीलंका की अर्थव्यवस्था संकट का सामना कर विदेशी मुद्रा मुद्रा स्वैप रही है। इसका विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट विदेशी मुद्रा मुद्रा स्वैप रहा है और देश के लिए आवश्यक उपभोग की वस्तुओं का आयात करना कठिन होता जा रहा है।

वर्तमान श्रीलंकाई आर्थिक संकट आर्थिक संरचना में ऐतिहासिक असंतुलन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ऋण संबंधी शर्तों और सत्तावादी शासकों की गुमराह नीतियों का उत्पाद है।

श्रीलंका संकट से क्यों जूझ रहा है?

पृष्ठभूमि: जब 2009 में श्रीलंका 26 साल के लंबे गृहयुद्ध से उभरा, तो युद्ध के बाद की जीडीपी वृद्धि 2012 तक प्रति वर्ष 8-9% पर काफी अधिक थी।

हालांकि, 2013 के बाद इसकी औसत जीडीपी विकास दर लगभग आधी हो गई क्योंकि वैश्विक कमोडिटी की कीमतें गिर गईं, निर्यात धीमा हो गया और आयात बढ़ गया।

युद्ध के दौरान श्रीलंका का बजट घाटा बहुत अधिक था और 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट ने उसके विदेशी मुद्रा भंडार को खत्म कर विदेशी मुद्रा मुद्रा स्वैप दिया, जिसके कारण देश ने 2009 में आईएमएफ से 2.6 बिलियन डॉलर का ऋण लिया।

यूएई 5 अरब डॉलर के मुद्रा डील के साथ तुर्की के विदेशी भंडार को बढ़ायेगा

लंदन स्थित समाचार आउटलेट मिडिल ईस्ट आई के अनुसार, अंकारा और अबू धाबी एक समझौते पर आने की प्रक्रिया में हैं, जो तुर्की के केंद्रीय बैंक को अपने आर्थिक संकट में सहायता के लिए अधिक विदेशी मुद्रा भंडार प्राप्त करते हुए देखेगा।

अधिकारी ने कहा, “आने वाले दिनों में बातचीत से राशि को अंतिम रूप दिया जाएगा लेकिन हमारा शुरुआती अनुमान है कि यह कम से कम 5 अरब डॉलर का सौदा होगा।”

तुर्की के समाचार पत्र हुर्रियत की एक रिपोर्ट में एक अन्य अधिकारी का हवाला दिया और कहा कि यह राशि कम से कम $ 10 बिलियन होगी।

यह समझौता दोनों देशों के केंद्रीय बैंकों को मुद्राओं का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाता है, कथित तौर पर संयुक्त अरब अमीरात को सीधे अमेरिकी डॉलर विदेशी मुद्रा मुद्रा स्वैप जमा करने की अनुमति देगा, जिससे केंद्रीय बैंक को भविष्य के लिए अधिक निश्चितता मिलेगी।

(द हिंदू से)अर्थव्यवस्था समसामियिकी 3 (14-Mar-2019)
विदेशी विनिमय व्यवस्था के तहत बैंकिंग प्रणाली में 5 अरब डॉलर डालेगा रिज़र्व बैंक(Reserve Bank of India will put $ 5 billion in banking system under the foreign exchange regime)

Posted on March 14th, 2019 | Create PDF File

hlhiuj

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग प्रणाली में तीन साल की अवधि तक विदेशी विनिमय व्यवस्था (Foreign Exchange Swap) के तहत पाँच अरब डॉलर की नकदी डालने का फैसला किया है। यह स्वैप या अदला-बदली व्यवस्था रिज़र्व बैंक की ओर से विदेशी मुद्रा विनिमय की खरीद-बिक्री के रूप में होगी। विदेशी मुद्रा मुद्रा स्वैप तरलता प्रबंधन के लिये यह तरीका पहली बार उपयोग किया जा रहा है। इसके तहत बैंक की ओर से रिजर्व बैंक को डॉलर बेचे जाएंगे और विदेशी मुद्रा मुद्रा स्वैप विदेशी मुद्रा मुद्रा स्वैप साथ ही वह स्वैप की अवधि समाप्त होने के बाद इतनी ही राशि के डॉलर की खरीद की सहमति देगा। नकदी के सतत् प्रवाह के मद्देनज़र दीर्घावधि विदेशी विनिमय व्यवस्था के तहत यह राशि बैंकिंग प्रणाली में डाली जाएगी। नकदी के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिये रिज़र्व बैंक इसी वित्त वर्ष में यह राशि डालेगा। विदेशी करेंसी की अदला-बदली के माध्यम से यह प्रक्रिया 26 मार्च से शुरू होकर 28 मार्च 2022 तक चलेगी। इसके माध्यम से जुटाए गए डॉलर स्वैप की अवधि तक रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार में प्रदर्शित होंगे और रिज़र्व बैंक की आगामी देनदारियों में भी परिलक्षित होंगे।

रेटिंग: 4.21
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 161
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *