चरण निर्देश

विनिमय गतिविधियों में बस्तियों का उपयोग

विनिमय गतिविधियों में बस्तियों का उपयोग
इस प्रकार यह अनुमान लगाया जाता है कि शिक्षण में पाठ्यचर्या गतिविधियों का उपयोग शिक्षण को रोचक, समझने में आसान और प्रभावी बनाने के लिए किया जाता है।

ग्रामोफ़ोन

औषधीय पौधों का महत्व

प्राचीनकाल से ही मनुष्य रोग निदान के लिये विभिन्न प्रकार के पौधों का उपयोग करता आया है। औषधि प्रदाय करने वाले पौधे अधिकतर जंगली होते हैं। कभी-कभी इन्हें उगाया भी जाता है। पौधों की जड़े, तने, पत्तियाँ, फूल, फल, बीज और यहाँ तक कि छाल का उपयोग भी उपचार के लिये किया जाता है।

औषधीय पौधों का महत्व

औषधीय पौधों को भोजन, औषधि, खुशबू, स्वाद, रंजक और भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में अन्य मदों के रूप में उपयोग किया जाता है। औषधीय पौधों का महत्व उसमें पाए जाने वाले रसायन के कारण होता है। औषधीय पौधों का उपयोग मानसिक रोगों, मिर्गी, पागलपन तथा मंद-बुद्घि के उपचार में किया जाता है। औषधीय पौधे कफ एवं वात का शमन करने, पीलिया, आँव, हैजा, फेफड़ा, अण्डकोष, तंत्रिका विकार, दीपन, पाचन, उन्माद, रक्त शोधक, ज्वर नाशक, स्मृति एवं बुद्घि का विकास करने, मधुमेह, मलेरिया एवं बलवर्धक, त्वचा रोगों एवं ज्वर आदि में लाभकारी हैं।

शिक्षण में पाठ्यक्रम गतिविधियों का उपयोग क्यों किया जाता है?

एक स्कूल पाठ्यक्रम स्कूल में आयोजित अनुभवों का एक पूरा सेट है। इसमें लक्ष्य, उद्देश्य, शिक्षण सामग्री, शिक्षण रणनीति और सभी शिक्षण अधिगम साधन शामिल हैं जो शिक्षण प्रक्रिया में घटित होने वाले छात्र के अनुभवों की समग्रता को पूरा करते हैं।

Key Points

पाठ्यक्रम गतिविधियाँ:

  • शिक्षण को रोचक, समझने में आसान और प्रभावी बनाने के लिए शिक्षण में पाठ्यचर्या गतिविधियों का उपयोग किया जाता है।
  • यह लक्ष्यों, उद्देश्यों, अधिगम अनुभवों, अनुदेशात्मक संसाधनों और आकलन को रेखांकित करता है जो एक विशिष्ट शैक्षिक कार्यक्रम बनाता है।
  • क्या करना है, कैसे करना है, कब करना है और कैसे हासिल किया गया है, यह जानने के लिए एक मूल रूपरेखा को रेखांकित करता है।

स्ववृत्त लेखन किस प्रकार बनता है

नाम – सुरेश ठाकुर

पिता का नाम – राम प्रकाश ठाकुर

माता का नाम – सुनीता ठाकुर

जन्मतिथि – 30 जुलाई 1992

वर्तमान पता – 302 गोल मार्केट नई दिल्ली 11001

दूरभाष – 011 -2254565

मोबाइल संख्या – 0000546

ईमेल – sureshthakur@……

  • कंप्यूटर में 1 वर्ष का डिप्लोमा
  • मैकेनिकल इंजीनियरिंग में 6 माह का डिप्लोमा
  • हिंदी अंग्रेजी जर्मनी स्पेनिश भाषा की जानकारी।
  • योगा के क्षेत्र में 6 माह का प्रशिक्षण।

उपलब्धियां –

  • विद्यालय स्तर पर एनसीसी में उच्च प्रशिक्षण।
  • भारत को जानो प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर द्वितीय पुरस्कार
  • गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने का पुरस्कार

स्ववृत्त लेखन के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

1 प्रश्न – स्ववृत्त से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – स्ववृत्त व्यक्ति के पहचान का एक माध्यम है। यह किसी नौकरी , पद आदि के आवेदन के साथ प्रस्तुत किया जाता है।

जिसमें व्यक्तिगत जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। आवेदक का जन्म , शैक्षणिक योग्यता ,अंक , प्रतिशत ,कार्य अनुभव आदि सभी समाहित होते हैं।

2 प्रश्न – उम्मीदवारों के चयन में स्ववृत्त किस प्रकार सहायक होता है ?

उत्तर- उम्मीदवारों के चयन में स्ववृत्त की अहम भूमिका होती है। इसके माध्यम से उम्मीदवारों की गुणवत्ता का मूल्यांकन स्वता किया जा सकता है।

व्यक्ति के संक्षिप्त मूल्यांकन का सर्वश्रेष्ठ आधार स्ववृत्त को माना गया है।

3 प्रश्न – एक अच्छे स्ववृत्त में क्या-क्या विशेषताएं होती है ?

उत्तर – कोई भी लेखन कला करते समय उसकी बारीकियों को विशेष ध्यान दिया जाए तो निश्चित रूप से वह विशेषता के दर्जे में सम्मिलित हो जाता है।

स्ववृत्त के साथ भी ऐसा ही है। एक अच्छे और विशेषताओं से युक्त स्ववृत्त में जन्म से लेकर शैक्षणिक योग्यता , प्रतिशत , अंक , वर्ष , कॉलेज , विद्यालय का नाम आदि विस्तृत रूप से सुव्यवस्थित ढंग से लिखा जाना चाहिए।

लेखन करते समय उसकी शुद्धता और स्पष्टता का ध्यान रखा जाना चाहिए।

इन सभी विशेषताओं से अच्छे स्ववृत्त की विनिमय गतिविधियों में बस्तियों का उपयोग रचना की जा सकती है।

4 प्रश्न – स्ववृत्त में अन्य योग्यताओं के अतिरिक्त कार्येत्तर गतिविधियों की चर्चा करना क्यों आवश्यक है ?

उत्तर – कार्येत्तर गतिविधियों की चर्चा तब अहम हो जाती है जब आवेदन की भरमार हो।

दृश्य सहायक सामग्री –

(अ) इसे अध्यापक का विश्वसनीय मित्र कहते है । यद्यपि यह स्वयं कोई दृश्य सामग्री नहीं विनिमय गतिविधियों में बस्तियों का उपयोग हैं, तथापि इसका उपयोग

(ब) श्यामपट्ट कार्य की सफलता अध्यापक पर निर्भर करती हैं। श्यामपट्ट का प्रयोग रेखाचित्र, ग्राफ, मानचित्र, पाठ सार

(अ) पर्यावरणीय अध्ययन शिक्षण में प्रतिरूप का बङा महत्त्व है। प्रतिरूप को कक्षा में प्रदर्शित करने से छात्रों को

(अ) यह प्लाई वुड, मोसोनाइट या मजबूत गत्ते का बना होता हैं। इस पर प्रदर्शन सामग्री को लगाने के लिए ड्राइंग

(ब) बुलेटिन बोर्ड का प्रयोग प्रतिभाशाली छात्रों की स्वनिर्मित रचनाएँ, देश-विदेश की घटनाएँ एवं समाचार प्रतिदिन

फ्लैनल बोर्ड

अभिक्रमित अनुदेशन विधि

(अ) मानचित्र छोटे पैमाने से प्रदर्शित सम धरातल पर दिखाये जाने वाला पृथ्वी का चित्र होता है। चित्रों के समूह को

(स) ग्लोब प्रदर्शन विधि द्वारा पढ़ाए जाने वाले प्रमुख प्रकरण – 1. पृथ्वी की आकृति 2. उत्तरी-दक्षिणी गोलार्द्ध 3.

(स) चार्ट विनिमय गतिविधियों में बस्तियों का उपयोग के द्वारा किसी वस्तु का अंतः संबंध तथा संगठन, भावों, विचारों तथा विशेष स्थलों को दृश्यात्मक रूप से

सूक्ष्म शिक्षण विधि

(अ) यह सहायक सामग्री किसी सूचनात्मक ज्ञान एवं व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति को स्पष्ट करने का सरल माध्यम है।

उदाहरण – 1. भारत की विभिन्नता में एकता को भारत में बसने वाले लोगों को एक पोस्टर में अपनी-अपनी वेशभूषा

2. बच्चों की अच्छी आदतों, दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा, धूम्रपान, वनों की सुरक्षा आदि को पोस्टर एवं कार्टून के माध्यम से

(ब) पोस्टर का प्रयोग करने से पूर्व उनके आकार, प्रकार, रंग व उपयुक्तता का पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए क्यांेकि

श्रव्य-दृश्य सहायक सामग्री एवं उपयोग विधि –

(ब) शिक्षण में चलचित्रों का प्रयोग प्रथम महायुद्ध के पश्चात् होने लगा था परंतु उनका 1931 के बाद पर्याप्त मात्रा में

(स) चलचित्र छात्रों की सभी ज्ञानेन्द्रियों को प्रभावित करते हैं। शिक्षाप्रद चलचित्रों को छात्रों को देखने के लिए

(अ) टेलीविजन जनसंपर्क का अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है जिसके द्वारा समाचार-पत्रों, रेडियो, सिनेमा आदि सभी

(ब) सरकार इसके माध्यम से नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, शैक्षिक आदि पक्षों की जानकारी देती है।

(स) टेलीविजन का आविष्कार 1925 में डाॅ. बेवर्ड ने किया था। हमारे देश में सर्वप्रथम 1959 में नई दिल्ली में इसका

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