चरण निर्देश

अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें?

अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें?

जानिए उन म्यूचुअल फंड्स के बारे में जिसमें पैसा दुगना हुआ !

Closed-End Fund क्या है?

Closed-ended Funds की इकाई पूंजी निश्चित होती है और वे एक विशिष्ट संख्या में इकाइयाँ बेचते हैं। ओपन-एंडेड फंडों के विपरीत, एनएफओ अवधि समाप्त होने के बाद निवेशक क्लोज-एंडेड फंड की इकाइयों को नहीं खरीद सकते हैं।

क्लोज-एंड फंड क्या है? [What is Closed-End Fund? In Hindi]

एक क्लोज-एंड फंड एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो अपने प्रारंभिक निवेश के लिए पूंजी जुटाने के लिए एकल प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के माध्यम से निश्चित संख्या में शेयर जारी करता है। इसके शेयरों को तब स्टॉक एक्सचेंज में खरीदा और बेचा जा सकता है लेकिन कोई नया शेयर नहीं बनाया जाएगा और कोई नया पैसा फंड में नहीं जाएगा।

इसके विपरीत, एक ओपन-एंडेड फंड, जैसे कि अधिकांश म्यूचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ), नई निवेश पूंजी के निरंतर प्रवाह को स्वीकार करते हैं। यह नए शेयर जारी करता है और मांग पर अपने शेयरों को वापस खरीदता है।

उन्हें "क्लोज्ड-एंड" फंड क्यों कहा जाता है? [Why are they called "closed-end" funds? In Hindi]

एक पारंपरिक म्यूचुअल फंड की तरह, एक सीईएफ प्रतिभूतियों के पोर्टफोलियो में निवेश करता है और आमतौर पर एक निवेश प्रबंधन फर्म द्वारा प्रबंधित किया जाता है। लेकिन म्यूचुअल फंड के विपरीत, सीईएफ इस अर्थ में बंद हो जाते हैं कि जब निवेशक शेयर खरीदते हैं तो पूंजी नियमित रूप से नहीं आती है, और जब निवेशक शेयर बेचते हैं तो यह बाहर नहीं निकलता है। आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के बाद, शेयरों का सीधे प्रायोजक फंड परिवार के साथ कारोबार नहीं होता है, जैसा कि ओपन-एंड म्यूचुअल फंड के मामले में होता है।

इसके बजाय, शेयरों का एक एक्सचेंज पर कारोबार होता है, आम तौर पर, और अन्य बाजार सहभागी संबंधित खरीदार या विक्रेता के रूप में कार्य करते हैं। फंड स्वयं दैनिक शेयर जारी या रिडीम नहीं करता है। शेयरों की तरह, सीईएफ अपने लॉन्च के समय एक आरंभिक सार्वजनिक पेशकश रखते हैं। इस आईपीओ के दौरान जुटाई गई पूंजी के साथ, पोर्टफोलियो मैनेजर फंड की निवेश रणनीति के अनुरूप सिक्योरिटीज खरीदते हैं।

स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग निवेशकों को ब्रोकर के माध्यम से यूनिट खरीदने और बेचने में उसी तरह सक्षम बनाता है जैसे किसी कंपनी के शेयरों का लेन-देन करता है। फंड के भविष्य के प्रदर्शन और संभावनाओं के बारे में निवेशकों की अपेक्षाओं के आधार पर इकाइयां प्रीमियम या एनएवी से छूट पर ट्रेड कर सकती हैं। फंड इकाइयों की मांग और आपूर्ति और अन्य बाजार कारक भी उनकी कीमत को प्रभावित करते हैं।

स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग के परिणामस्वरूप क्लोज-एंडेड फंड की बकाया इकाइयों की संख्या नहीं बदलती है। एक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होने के अलावा, ये फंड कभी-कभी इकाइयों को वापस खरीदने की पेशकश करते हैं, इस प्रकार तरलता के लिए एक और अवसर प्रदान करते हैं। सेबी के नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि क्लोज-एंडेड फंड निवेशकों को प्रवेश करने या बाहर निकलने के लिए दो में से कम से कम एक रास्ता प्रदान करते हैं।

क्लोज्ड-एंडेड फंड नियमित और अचानक रिडेम्पशन की चिंता से मुक्त होते हैं और उनके फंड मैनेजर फंड के आकार के बारे में चिंतित नहीं होते हैं।

क्लोज्ड-एंड फंड के क्या फायदे हैं? [What are the advantages of closed-end funds? In Hindi]

क्लोज-एंड फंड के साथ पैसा बनाने के आपके पास दो संभावित तरीके हैं: आप उस आय या वृद्धि का आनंद ले सकते हैं जो फंड के निवेश से उत्पन्न होती है। और, आप फंड के शेयरों को उसके Net Asset Value (NAV) से छूट पर खरीदने में सक्षम हो सकते हैं। Benchmark क्या है? Mutual Fund में

एक ओपन-एंड म्यूचुअल फंड अपने NAV की गणना फंड के अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? स्वामित्व वाले निवेश के वास्तविक वर्तमान मूल्य के रूप में करता है। एक क्लोज-एंड फंड के शेयर पूरे दिन स्टॉक एक्सचेंज में व्यापार करते हैं, और बाजार संचालित कीमत इसके NAV से भिन्न हो सकती है।

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Financial planning: पहली सैलरी से ही ऐसे शुरू करें निवेश, कभी नहीं होगी पैसों की कमी

आपके शौक और सपनों के बीच कभी पैसे की कमी आड़े न आए, इसकी तैयारी की जिम्मेदारी भी आपकी ही है और ये तैयारी आपको अपनी पहली सैलरी से ही शुरू करनी चाहिए. फिर आपने पहली नौकरी या बिजनेस किसी भी उम्र में क्यों न शुरू किया हो. कहीं ऐसा न हो कि पैसे की कमी की वजह से कई सपने सिर्फ सपने ही रह जाएं. आज हम बात कर रहे हैं First Salary से Financial planning की.

नई दिल्ली : किसी भी सैलेरीड पर्सन को पूछ लीजिए तो ताराप्रकाश जोशी की पंक्तियां हूबहू याद आ जाएंगी, 'मेरा वेतन ऐसे रानी, जैसे गरम तवे पे पानी'. ऐसा इसीलिए क्योंकि ज्यादातर सैलेरीड लोग अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग नहीं करते. अगर आपकी भी नई-नई नौकरी लगी है और शुरुआती तनख्वाह का लुत्फ उठा रहे हैं, तो ये मौका कुछ देर रुक कर इत्मिनान से ये आर्टिकल पढ़ने का है.

सबसे पहले ये कहावत अच्छे से याद कर लीजिए कि 'काम से पैसा मिलता है और पैसे से पैसा बनता है'. लिहाज़ा, अपनी पहली ही तनख्वाह से अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग बना लीजिए. अगर आप चाहते हैं कि शौक और सपनों के बीच कभी पैसे की कमी आड़े न आए, इसकी तैयारी भी आपको ही करनी होगी. जानिए पहली तनख्वाह मिलते ही क्या-क्या काम करना जरूरी है ताकि रिटायरमेंट से पहले आप बन सकें करोड़पति.

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Investment से पहले कराएं Insurance

निवेश से पहले बीमा कराना जरूरी है. अगर बीमा नहीं होगा तो एक झटके में आपकी बचत और निवेश दोनों जा सकती है. शुरुआत में इंश्योरेंस करवाना इसीलिए भी फायदेमंद है क्योंकि इंश्योरेंस की प्रीमियम भी कम आती है. इसलिए यह जरूरी है कि आप पहली सैलरी से ही अपने लिए टर्म और मेडिकल इंश्योरेंस ले लें. ऑनलाइन इंश्योरेंस का प्रीमियम कम आता है, लेकिन कोई भी इंश्योरेंस लेने से पहले कंपनी के सभी नियम और शर्तें जरूर जान लें. इसके साथ ही कंपनियों को आपस में कंपेयर करके ही इंश्योरेंस लें और हां, उसका प्रीमियम समय पर भरने वाला हिस्सा तनख्वाह आते ही निकाल लें.

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RD-FD के साथ म्यचुअल फंड का है जमाना

अपनी तनख्वाह के एक हिस्से से इंश्योरेंस के बाद निवेश (Investment and insurance) जरूरी है ताकि आपके साथ, आपका पैसा भी कमाई कर सके. तो अपनी पहली सैलरी में कुछ पैसे तो जरूर बचाइए. हो सकता है आपकी सैलरी बहुत कम हो, लेकिन फिर भी बचत की आदत यहीं से शुरू होगी. सारे खर्च निकालने के बाद 30 फीसदी बचत हो और इसके बाद 20 फीसदी का निवेश किया जाए. इससे बेहतर काम कुछ हो नहीं सकता.

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RD-FD पर मिलने वाला ब्याज अब काम हो गया है. महंगाई जिस तेजी से बढ़ती है वहां उस अनुपात में पैसा नहीं बढ़ रहा, इसीलिए म्यूचुअल फंड की दुनिया में दाखिल होने का मौका भी बना ही लीजिए. लेकिन यहां समस्या होगी कि आपके लिए कौन सा म्यूचुअल फंड सही है. इसके लिए काफी रिसर्च की जरूरत है. क्योंकि बाजार में तो कई हजार म्यूचुअल फंड स्कीम हैं. म्यूचुअल फंड मैनेजर्स के जरिए भी और ऑनलाइन भी. जिस तरह से आप ठीक समझें, काम शुरू किया जा सकता है. बस थोड़ा सा खुद का रिसर्च और मार्केट एक्सपर्ट से बातचीत कर कंपनियों को कंपेयर करें और फिर म्यूचुअल फंड के रास्ते शेयर मार्केट से रिटर्न कमाइए.

अपना इमरजेंसी फंड रखो तैयार

जिंदगी इतनी उलझन भरी है कि हर किसी को इमरजेंसी फंड रखना जरूरी है. अपनी सैलरी का 10 फीसदी का इमरजेंसी फंड बनाएं. इस फंड को बचत खाते में रखें, क्योंकि इमरजेंसी फंड की लिक्वीडिटी बहुत जरूरी होती है और आपके बचत खाते से ज्यादा लिक्वीडिटी कहीं नहीं होती. लेकिन क्योंकि बचत खाते में ब्याज बहुत कम होता है, इसलिए इस पैसे को निष्क्रिय नहीं छोड़ना चाहिए. आप अपने बचत खाते में इस पैसे को स्वीप-इन FD कर सकते हैं, जिस पर सात से आठ फीसदी तक ब्याज मिलता है. इसके अलावा आप म्यूचुअल फंड की किसी अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? ऐसी स्कीम में भी इनवेस्ट कर सकते हैं, जिसमें से तुरंत पैसे निकालने की सुविधा हो.

ग्लोबल स्टॉक में निवेश कर पा सकते हैं बेहतर रिटर्न, जानें इसके फायदे और नुकसान

Global Equity: छोटे निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंडों के द्वारा वैश्विक शेयरों में निवेश करना, सीधे शेयरों में निवेश करने से बेहतर होता है.

ग्लोबल स्टॉक में निवेश कर पा सकते हैं बेहतर रिटर्न, जानें इसके फायदे और नुकसान

TV9 Hindi | Edited By: संजीत कुमार

Updated on: Oct 23, 2020 | 11:02 AM

ग्लोबल स्तर पर देखें तो कई तरह के इनोवेशन हो रहे हैं जो कि हमारे जीवन पर असर डाल रहे हैं. इस समय भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) में बहुत कम इनोवेटर सूचीबद्ध है. भारत भले ही पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो, लेकिन हमारे यहां की बाजार पूंजी करीब 2.1 लाख करोड़ डॉलर ही है, जबकि बाकी दुनिया की बाजार पूंजी 90 लाख करोड़ डॉलर के करीब है. ऐसे में अगर आप भारत से बाहर वैश्विक बाजारों में निवेश नहीं करते हैं, तो इसका मतलब यह है कि आप उस अवसर को नजरअंदाज कर रहे हैं जो करीब 43 गुना ज्यादा है. निवेश के साथ जोखिम जुड़ा होता है और इस जोखिम को खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन डायवर्सिफिकेशन यानी विविधीकरण के द्वारा कम जरूर किया जा सकता है. सभी तरह के एसेट में निवेश का विविधीकरण करना और किसी एक एसेट में भी विविधीकरण करना जोखिम के प्रबंधन का मूल है.

ग्लोबल इक्विटीज में क्यों करना चाहिए निवेश? सबसे पहले तो इस पर विचार करते हैं कि किसी को ग्लोबल इक्विटीज यानी वैश्विक शेयर बाजार में निवेश क्यों करना चाहिए? ग्लोबल फंडों/शेयरों में निवेश से आपको रुपए के अवमूल्यन का फायदा उठाने में भी मदद मिलती है. पिछले 35 साल में रुपया हर साल औसतन 6 फीसदी अवमूल्यित हुआ है. तो यदि आप अपने बेटियों या बेटों को अगले कुछ वर्षों में विदेश में पढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं तो आपको बढ़ती फीस और रुपS के अवमूल्यन की वजह से ज्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है.

वैश्विक शेयर बाजारों (Global Stock Market) में निवेश भारतीय निवेशकों के लिए तुलनात्मक रूप से नई बात है. यह यात्रा लगभग उसी तरह से है जैसे निवेशक इक्विटी म्यूचुअल फंडों में निवेश करता है. अब हमारे देश में निवेशकों का ऐसा वर्ग है जिन्होंने कई चक्र में निवेश किया है और एक अवधारणा के रूप में म्यूचुअल फंडों के साथ सहज हैं. वे अब सामान्य संवाद से आगे बढ़ रहे हैं और अपने सलाहकारों से ऐसी रणनीतियों पर बात करने लगे हैं कि इक्विटी और डेट से भी आगे किस तरह से पोर्टफोलियो में विविधता लाई जाए.

एक एसेट वर्ग के रूप में किस तरह से करेंसी का फायदा उठाया जाए और ऐसे वैश्विक कारोबारों में कैसे हिस्सेदारी ली जाए जिनका भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में प्रतिनिधित्व नहीं है. अब ज्यादा लोग इस तथ्य को स्वीकार करने लगे हैं कि बाजारों में उतार-चढ़ाव का स्रोत दुनिया में कहीं से भी हो सकता है और आगे के लिए एकमात्र रास्ता यही है कि अपने पोर्टफोलियो का जितना संभव हो सके उतने एसेट वर्ग में विविधीकरण किया जाए. इसी वजह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निवेश का आकर्षण बढ़ रहा है.

डायरेक्ट ग्लोबल इक्विटी में निवेश सीधे वैश्विक शेयरों में निवेश करने के कई फायदे हैं जैसे निवेशक अपनी समझ, सुविधा और सूझबूझ के मुताबिक कुछ चुनींदा शेयरों के पोर्टफोलियो पर अपना ध्यान केंद्रित रख सकता है (एक शेयर से लेकर 10 शेयरों तक). उसका इसमें पूरा नियंत्रण होता अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? है और यह एक आसान विकल्प लग रहा है. लेकिन इसीलिए यह किसी मंझे हुए निवेशक ही लिए ही है जिसके पास पर्याप्त संसाधन और समय हो. इसके अलावा, उसके पास ऐसी क्षमताएं होनी चाहिए कि वह ऐसी वैश्विक घटनाओं को पहचान सके और उन पर नजर रख सके जो उसके शेयरों पर असर डाल सकती हैं, ऐसे निवेशक के पास अनुपालन और नियामक मसलों से भी निपटने की क्षमता होनी चाहिए. उदाहरण के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) के शेड्यूल एफए में निवेशकों को अपने पास रहने वाले विदेशी एसेट का विस्तृत ब्योरा देना अनिवार्य होता है. इसी तरह, लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत प्रति व्यक्ति के सालाना 2.5 लाख डॉलर ही भेजने की सीमा तय है.

म्यूचुअल फंडों के जरिए निवेश दूसरी तरफ, किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करने (चाहे वह इंटरनेशनल फंड ऑफ फंड्स हो या फीडर फंड) के कई फायदे हैं, जैसे-

>> इनके साथ घरेलू फंड जैसा ही बर्ताव होता हैः इन फंडों में निवेश को उसी तरह से देखा जाता है जैसा किसी घरेलू फंड में निवेश करना. इनके लिए कोई अतिरिक्त नियम-कायदा नहीं है, जैसा कि शेयरों में निवेश के मामले में होता है. >> इन पर लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) लागू नहीं होता. >> इन फंडों का प्रबंधन विशेषज्ञों के द्वारा होता हैः इनका प्रबंधन पेशेवर फंड मैनेजर करते हैं जिनके पास शेयरों और पोर्टफोलियो की पहचान, विश्लेषण और उन पर निगरानी रखने की विशेषता, टेक्नोलॉजी और वैश्विक पहुंच होती है. >> विविधीकरणः आमतौर पर म्यूचुअल फंडों में कई देशों और विभिन्न तरह के उद्योगों से जुड़े कई शेयर होते हैं (एक्टिव फंडों की बात करें तो यह संख्या 30 से 50 शेयरों की होती है), जिनके द्वारा भौगोलिक क्षेत्रों, सेक्टर और मुद्रा की विविधता हासिल होती है.

हालांकि, म्यूचुअल फंडों के द्वारा निवेश के कई नुकसान भी हैं, जैसे- लागू एनएवी एक दिन बाद आता है, मुद्रा का जोखिम होता है, तीन साल से कम रखने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लग जाता है.

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कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि छोटे निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंडों के द्वारा वैश्विक शेयरों में निवेश करना, सीधे शेयरों में निवेश करने से बेहतर होता है. ज्यादा सलाहकार पहली बार इक्विटी में निवेश करने वाले निवेशकों को डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स में निवेश करने की सलाह देते हैं. इनमें उन फंडों को पहला विकल्प रखना चाहिए जो कि दुनिया भर में निवेश करते हैं. इसी तरह समझदार हाई नेटवर्थ वाले यानी बड़े निवेशक, जिनके पास पर्याप्त संसाधन हैं और जो सभी तरह की रिपोर्टिंग और रिसर्च को हासिल कर सकते हैं, वे रुपये के प्रभुत्व वाले ग्लोबल फंडों के साथ ही सीधे शेयरों में निवेश कर सकते हैं या अन्य इक्विटी विकल्पों में जो LRS के मुताबिक उनके लिए उपलब्ध हो.

(लेखक- श्रीनिवास राव रावुरी, CIO-इक्विटीज, PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड)

10 बेस्ट म्यूचुअल फंड जिन्होंने पैसा दुगना किया ! 10 Best Mutual Funds | Nov 2022

10 बेस्ट म्यूचुअल फंड


जानिए उन म्यूचुअल फंड्स के बारे में जिसमें पैसा दुगना हुआ !

अगर आप अपना पैसा म्यूचुअल फंड (Top 10 Mutual Funds) में लगाकर दुगना-चौगुना करना चाहते हैं तो हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे 10 म्यूचुअल फंड्स के बारे में जिन्होंने 3 साल की अवधि में बाज़ार में जबरदस्त रिटर्न दिया।

म्यूचुअल फंड में पैसा क्यों लगाते हैं लोग ? Why do people invest in Mutual Funds ?

आपने अक्सर सुना होगा कि अगर आप अमीर बनना चाहते हैं तो अपने पैसे को काम पर लगाइए। इसका मतलब है कि अपने पैसे का किसी काम-धंधे में निवेश कीजिए। नौकरी करते हुए कोई दूसरा काम कर पाना बहुत कठिन होता है ऐसे में लोग स्टॉक मार्केट के ज़रिए दूसरी कंपनियों के मुनाफे कमाने वाले धंधों में पैसा लगा सकते हैं लेकिन दूसरों के धंधे की पूरी जानकारी रखना बहुत मुश्किल होता है। यहां हम निवेश करने के लिए म्यूचुअल फंड का इस्तेमाल करते हैं। इस लेख में हम आपको टॉप 10 म्यूचुअल फंड बताएंगे जो 1 से 2 साल में पैसा डबल करने की ताकत रखते हैं।

म्यूचुअल फंड क्या होता है ? What is Mutual Fund?

म्यूचुअल फंड लोगों के पैसे का पूल होता है जिसे बाज़ार या स्टॉक एक्सचेंस के एक्सपर्ट मैनेज करते हैं और इस पैसे पर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा बनाने के लिए निवेश करते हैं। इन एक्सपर्ट्स के पास स्टॉक मार्केट, कोमोडिटी मार्केट, मनी मार्केट, अंतर्राष्ट्रीय स्टॉक मार्केट या गोल्ड निवेश की पूरी जानकारी होती है। ये लोग निवेश की सबसे अच्छे मौके तलाशते हैं और लोगों का पैसा लगाते हैं और मुनाफा होने पर अपना कमीशन या फीस काटकर पैसा निवेशकों को अनुपात में बांट देते हैं।

म्यूचुअल फंड कितने प्रकार के होते हैं ? Types of Mutual Funds ?

म्यूचुअल फंड कई तरह के होते हैं। इसका वर्गीकरण निवेश के क्षेत्र, कंपनियों के आकार, टैक्स सेविंग और सेक्टर आदि के आधार पर होता है। मुख्य तौर पर म्यूचुअल फंड निम्नलिखित प्रकार के होते हैं। इन म्यूचुअल फंड्स में आप अपने जोखिम की क्षमता के हिसाब से रिटर्न का पिछला रिकॉर्ड देखकर निवेश कर सकते हैं।

  • इक्विटी फंड (लार्ज कैप, स्मॉल कैप, मिड कैप) Equity Funds
  • डेब्ट फंड Debt Funds
  • हाईब्रिड फंड Hybrid Funds
  • टैक्स सेविंग फंड (ELSS) Tax Saving Funds
  • सेक्टर या थीम बेस्ड म्यूचुअल फंड Sectorial Funds-Theme Based Funds

इक्विटी फंड क्या होते हैं? What are Equity funds?

इक्विटी फंड वो म्यूचुअल फंड होते हैं जिसके तहत इनवेस्टमेंड एक्सपर्ट पैसे को स्टॉक मार्केट की कंपनियों में लगाते हैं। ये एक्सपर्ट तेज़ी से बढ़ने वाली कंपनियों के शेयर पर फंड के पैसे लगाते हैं। इन्हें ग्रोथ फंड भी कहा जाता है। ये जोखिम से भरपूर होते हैं।

डेब्ट फंड क्या होते हैं? What are Debt Funds?

डेब्ट फंड एक ऐसा म्यूच्यूअल फंड होता है जो निश्चित आय के साधनों में निवेश करता है, जैसे बॉन्ड (कॉर्पोरेट या सरकारी), कॉर्पोरेट डेब्ट सिक्योरिटीज या मनी मार्केट आदि जहां पैसे के बढ़ने की प्रबल उम्मीद हो। ये निवेश का सुरक्षित जरिया होते हैं।

हाइब्रिड फंड क्या होते हैं? What are Hybrid Funds?

हाइब्रिड फंड वो म्यूचुअल फंड होते हैं जिनमें इक्विटी और डेब्ट दोनों में निवेश किया जाता है। ये ऐसा फंड होता है जो कई तरह के एसेट में निवेश करता है। इसमें जोखिम कम होता है और रिटर्न भी भरपूर मिलता है।

हाई रिटर्न देने वाले टॉप 10 म्यूचुअल फंड Top Mutual Funds offering High return

अब हम आपको बताने जा रहे हैं उन टॉप 10 म्यूचुअल फंड्स के बारे में जिन्होंने उतार-चढ़ाव भरे बाज़ार के बावजूद चौंकाने वाले रिटर्न दिए। हमने 3 साल की निवेश अवधि के तहत ये लिस्ट तैयार की है। इस लिस्ट में शामिल किए गए म्यूचुअल फंड ELSS, इक्विटी और हाइब्रिड कैटेगरी से लिए गए हैं।

MUTUAL FUNDS ESTIMATED RUTURN IN LAST 3 YEARS
1. Quant Tax Plan Direct-Growth 43.8% p.a.
2. Quant Active Fund 38.55% p.a.
3. Quant Absolute Fund 34.89% p.a
4. HDFC Focussed 30 Fund 32.15% p.a.
5. Nippon India Multi Cap Fund 31.48% p.a.
6. Quant Multi Asset Fund 30.61% p.a.
7. IDFC Tax Advantage (ELSS) Direct Plan-Growth 28.9% p.a.
8. ICICI Prudential Thematic Advantage Fund (FOF) 27.95% p.a.
9. Quant Focused Fund 27.84% p.a.
10. Parag Parikh Tax Saver Fund Direct – Growth 27.78% p.a.

ये लिस्ट पिछले 3 साल दिए गए रिटर्न के आधार पर तैयार की गई है। हर निवेश में बाज़ार का जोखिम होता है इसलिए निवेश से पहले फंड की पूरी तरह जांच करें और उसके बारे में ज़रूर पढ़ें। ख़बर Click किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश की सिफारिश नहीं करता, ये लेख निवेशकों को शिक्षित करने के मकसद से लिखा गया है।

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