रुपये का मूल्य और विदेशी मुद्रा भंडार

सन 1970 की शुरुआत में कई देशों ने मुद्रास्फीति से लड़ने के रुपये का मूल्य और विदेशी मुद्रा भंडार लिए डॉलर के बदले सोने की मांग शुरू कर दी थी. ये देश अमेरिका को डॉलर देते और बदले में सोना ले लेते थे. ऐसा होने पर अमेरिका का स्वर्ण भंडार खत्म होने लगा. उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने अपने सभी भंडारों को समाप्त करने की अनुमति देने के बजाय डॉलर को सोने से अलग कर दिया और इस प्रकार डॉलर और सोने के बीच विनिमय दर का करार खत्म हो गया और मुद्राओं का विनिमय मूल्य; मांग और पूर्ती के आधार पर होने लगा.
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.21 अरब घटकर 545.65 अरब डॉलर हुआ
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, 23 सितंबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.21 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर हो गया, जबकि फॉरेन करेंसी असेट्स 4.698 अरब डॉलर गिरकर 484.901 अरब डॉलर रह गया। इसके साथ ही फॉरेक्स रिजर्व 2 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। इस …
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, 23 सितंबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.21 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर हो गया, जबकि फॉरेन करेंसी असेट्स 4.698 अरब डॉलर गिरकर 484.901 अरब डॉलर रह गया। इसके साथ ही फॉरेक्स रिजर्व 2 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 45.8 करोड़ डॉलर घटकर 38.186 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी है। 16 सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह 5.219 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर रह गया। विदेशी मुद्रा भंडार इससे पिछले सप्ताह 2.23 अरब डॉलर घटकर 550.87 अरब डॉलर रह गया था। वैश्विक घटनाक्रमों के कारण केंद्रीय बैंक के रुपये की विनियम दर में गिरावट को रोकने के बीच भंडार में यह कमी आई है।
किसके निर्यात से भारत अधिकतम विदेशी मुद्रा अर्जित करता है?
Key Points
- विदेशी मुद्रा :
- भारतीय रुपये का मूल्य और विदेशी मुद्रा भंडार रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, देश का विदेशी मुद्रा (विदेशी मुद्रा) भंडार 16 अक्टूबर 2020 को समाप्त सप्ताह में 3.615 अरब अमरीकी डालर की वृद्धि के बाद 555.12 अरब अमरीकी डालर के उच्चतम स्तर को छू गया।
- कुल भंडार में वृद्धि विदेशी मुद्रा आस्तियों (FCA) में तेज वृद्धि के कारण हुई , जो समग्र भंडार का एक प्रमुख घटक है ।
- FCA 3.53 अरब अमरीकी डॉलर से बढ़कर 512.322 अरब अमरीकी डॉलर हो गई ।
- विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी मुद्रा में एक केंद्रीय बैंक द्वारा आरक्षित पर रखी गई संपत्ति है , जिसमें बांड, ट्रेजरी बिल और अन्य सरकारी प्रतिभूतियां शामिल हो सकती हैं ।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में आरक्षित किए जाते हैं ।
डॉलर दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा क्यों मानी जाती है?
एक समय था जब एक अमेरिकी डॉलर सिर्फ 4.16 रुपये में खरीदा जा सकता था, लेकिन इसके बाद साल दर साल रुपये का सापेक्ष डॉलर महंगा होता जा रहा है अर्थात एक डॉलर को खरीदने के लिए अधिक डॉलर खर्च करने पास रहे हैं. ज्ञातव्य है कि 1 जनवरी 2018 को एक डॉलर का मूल्य 63.88 था और 18 फरवरी, 2020 को यह 71.39 रुपये हो गया है. आइये इस लेख में जानते हैं कि डॉलर दुनिया में सबसे मजबूत मुद्रा क्यों मानी जाती है?
दुनिया का 85% व्यापार अमेरिकी डॉलर की मदद से होता है. दुनिया भर के 39% क़र्ज़ अमेरिकी डॉलर में दिए जाते हैं और कुल डॉलर की संख्या के 65% का इस्तेमाल अमरीका के बाहर होता है. इसलिए विदेशी बैंकों और देशों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की ज़रूरत होती है. आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि आखिर डॉलर को विश्व में सबसे मजबूत मुद्रा के रूप में क्यों जाना जाता है?
विदेशी मुद्रा व्यापार कैसे काम करता है
हिंदी
सबसे पहले, यह समझना जरूरी है कि विदेशी मुद्रा बाजार क्या है। विदेशी मुद्रा या विदेशी मुद्रा बाजार वह जगह है जहां एक मुद्रा का दूसरे के लिए कारोबार किया जाता है। यह दुनिया के सबसे सक्रिय रूप से कारोबार किए गए वित्तीय बाजारों में से एक है। वॉल्यूम इतने विशाल हैं कि वे दुनिया भर के शेयर बाजारों में सभी संयुक्त लेनदेन से अधिक हैं।
विदेशी मुद्रा बाजार की एक वैश्विक पहुंच है जहां दुनिया भर से खरीदार और विक्रेता व्यापार के लिए एक साथ आते हैं। ये व्यापारी एक दूसरे के बीच सहमत मूल्य पर धन का आदान प्रदान करते हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से व्यक्ति, कॉर्पोरेट और देशों के केंद्रीय बैंक एक मुद्रा का दूसरे में आदान-प्रदान करते हैं। जब हम विदेश यात्रा करते हैं, तो हम सभी विदेशी देश की कुछ मुद्रा खरीदते हैं। यह अनिवार्य रूप से एक विदेशी मुद्रा लेनदेन है।
विदेशी मुद्रा व्यापार कैसे करें?
अब जब आप जानते हैं कि विदेशी मुद्रा व्यापार कैसे काम करता है, तो मुद्रा व्यापार करने के लिए तीन अलग-अलग प्रकार के विदेशी मुद्रा बाजारों को समझना आवश्यक है।
स्पॉट मार्केट:
यह एक मुद्रा जोड़ी के भौतिक आदान-प्रदान को संदर्भित करता है। एक स्पॉट लेनदेन एक ही बिंदु पर होता है – व्यापार को ‘स्पॉट’ पर बसाया जाता है। ट्रेडिंग एक संक्षिप्त अवधि के दौरान होता है। मौजूदा बाजार में, मुद्राएं मौजूदा कीमत पर खरीदी और बेची जाती है। किसी भी अन्य वस्तु की तरह, मुद्रा की कीमत आपूर्ति और मांग पर आधारित होती है। मुद्रा दरें अन्य कारकों से भी प्रभावित होती हैं जैसे ब्याज दरों, अर्थव्यवस्था की स्थिति, राजनीतिक स्थिति, दूसरों के बीच अन्य। एक स्पॉट सौदे में, एक पार्टी किसी अन्य पार्टी को एक विशेष मुद्रा की एक निश्चित राशि प्रदान करती है। बदले में, यह एक सहमत मुद्रा विनिमय दर पर दूसरी पार्टी से एक और मुद्रा की एक सहमत राशि प्राप्त करता है।
विदेशी मुद्रा व्यापार भारत में कैसे करें:
अब जब हमने मुद्रा व्यापार की मूल बातें देखी हैं, तो हम भारत में मुद्रा व्यापार करने के तरीके के बारे में और बात करेंगे।
भारत में, बीएसई और एनएसई मुद्रा वायदा और विकल्पों में व्यापार करने की पेशकश करते हैं। यू एस डॉलर /भारतीय रुपया सबसे अधिक कारोबार वाली मुद्रा जोड़ी है। हालांकि, जब मुद्रा व्यापार की बात आती है तो अन्य अनुबंध भी लोकप्रिय हो रहे हैं। यदि आप एक व्यापारी जो मुद्रा बदलावों पर एक स्थान लेना चाहता है, तो आप मुद्रा वायदा में व्यापार कर सकते हैं। मान लीजिए कि आप रुपये का मूल्य और विदेशी मुद्रा भंडार उम्मीद करते हैं कि अमेरिकी डॉलर जल्द ही भारतीय रुपए मुकाबले बढ़ जाएगा । आप तो अमरीकी डालर/ भारतीय रुपया वायदा खरीद सकते हैं। दूसरी ओर, यदि आप उम्मीद करते हैं कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले INR मजबूत होगा, तो आप यू एस डॉलर /भारतीय रुपया वायदा बेच सकते हैं।
हालांकि, यह समझने की जरूरत है कि विदेशी मुद्रा व्यापार हर किसी के लिए नहीं है। यह उच्च स्तर के जोखिम के साथ आता है। विदेशी मुद्रा में व्यापार करने से पहले, अपने जोखिम की भूख को जानना आवश्यक है और इसमें आवश्यक स्तर का ज्ञान और अनुभव भी होना चाहिए। विदेशी मुद्रा में व्यापार करते समय, आपको पता होना चाहिए कि कम से कम शुरुआत में पैसे खोने का एक अच्छा डर बना रहता है।
लगातार चौथे हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार में 1.15 अरब डॉलर की रही गिरावट
नई दिल्ली। आर्थिक र्मोचे पर झटका देने वाली खबर है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार चौथे हफ्ते गिरावट दर्ज हुई है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 22 जुलाई को समाप्त हफ्ते में 1.152 अरब डॉलर घटकर 571.56 अरब डॉलर रह गया। इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 14.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 38.502 अरब डॉलर हो गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी। आरबीआई के मुताबिक 22 जुलाई को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 1.152 अरब डॉलर घटकर 571.56 अरब डॉलर रह गया, जबकि इससे पहले 15 जुलाई को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 7.541 अरब डॉलर घटकर 572.712 अरब डॉलर रह गया था। वहीं, 8 जुलाई को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 8.062 अरब डॉलर गिरकर 580.252 अरब डॉलर रह गया था, जबकि एक जुलाई को विदेशी मुद्रा भंडार 5.008 अरब डॉलर घटकर 588.314 अरब डॉलर पर था।