CRM कैसे काम करता है

पराली जलाए बिना मिलेगी इससे निजात, यह कंपनी किसानों को फ्री में मुहैया CRM कैसे काम करता है करा रही सॉल्युशन
मुंबई की कंपनी UPL की इकाई नर्चर डॉट फार्म (nurture.farm) ने क्रॉप रेजिड्यू मैनेजमेंट (CRM) प्रोग्राम शुरू किया है। प्रोग्राम के तहत पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने (Stubble) की प्रथा खत्म करने के लिए 5 लाख एकड़ से अधिक रकबे को शामिल करते हुए 25000 से अधिक किसानों को कंपनी ने अपने साथ जोड़ा है।
पराली जलाए बिना मिलेगी इससे निजात, यह कंपनी किसानों को फ्री में मुहैया करा रही सॉल्युशन
क्या है नर्चर डॉट फार्म
मुंबई की कंपनी यूपीएल की इकाई नर्चर डॉट फार्म ने क्रॉप रेजिड्यू मैनेजमेंट (CRM) प्रोग्राम शुरू किया है। प्रोग्राम के तहत पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की प्रथा खत्म करने के लिए 5 लाख एकड़ से अधिक रकबे को शामिल करते हुए 25000 से अधिक किसानों को कंपनी ने अपने साथ जोड़ा है। नर्चर डॉट फार्म इन किसानों को फ्री में पूसा बायोडिकंपोजर की छिड़काव सेवा दे रही है, जो 20-25 दिनों के भीतर पराली को खाद में बदल देता है।
नर्चर डॉट फार्म ने पूसा डिकंपोजर के स्प्रे की सर्विस किसानों को फ्री में उपलब्ध कराने के लिए आईएआरआई और आईआईएम रोहतक के साथ साझेदारी की है। किसान एक मोबाइल ऐप पर रजिस्ट्रेशन कराकर नर्चर डॉट फार्म को अपने खेत में पूसा स्प्रे कराने के लिए रिक्वेस्ट डाल सकते हैं। इसके बाद नर्चर डॉट फार्म स्प्रे और स्प्रेइंग मशीन की पूरी व्यवस्था कर देगी। जब पराली को जलाया जाता है तो खेत के एक एकड़ से लगभग 2600 किलोग्राम कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है।
कैसे काम करता है पूसा बायो डिकंपोजर
पूसा बायो-डिकंपोजर एक बायो-एंजाइम है जो पराली को विघटित करता है। धान की कटाई के बाद ठूंठ और पुआल को हटा देना चाहिए। इसके बाद पराली पर पूसा स्प्रे किया जाता है। स्प्रे दो बार होता है। छिड़काव के 48 घंटों के अंदर रोटावेटर या कल्टीवेटर CRM कैसे काम करता है की मदद से पराली को मिट्टी में दबा दिया जाता है। फिर खेत की सिंचाई की जाती है। 8 दिन बाद खेत में दूसरी फसल बोई जा सकती है। पूसा के छिड़काव वाली अधगली पराली की वजह से नए बीज को कोई नुकसान नहीं होता है। इस दौरान मिट्टी के अंदर पराली को पूरी तरह गलने में 20-25 दिन का वक्त लगता है।
नर्चर डॉट फार्म का कहना है कि पूसा स्प्रे और डिकंपोजिशन की प्रक्रिया से मिट्टी, उपजाऊपन या अगली फसल को कोई नुकसान नहीं होता है। उल्टा गली हुई पराली खाद का काम करती है, जिससे अगली फसल में खाद कम लगानी पड़ती है और फसल की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है। याद रहे फसल बोने के लिए खेत में पर्याप्त नमी होना जरूरी है।
700 स्प्रेइंग मशीन की व्यवस्था
नर्चर डॉट फार्म ने 25000 से ज्यादा रजिस्टर्ड किसानों के 5 लाख एकड़ से ज्यादा की भूमि पर पूसा स्प्रे कि छिड़काव के लिए लगभग 700 स्प्रेइंग मशीन CRM कैसे काम करता है की व्यवस्था की है। हरियाणा के कुरुक्षेत्र, अंबाली, करनाल, यमुनानगर, फतेहाबाद, कैतल और हिसार के किसानों को साथ लिया गया है। वहीं पंजाब के बठिंडा, मानसा, मुक्तसर, बरनाला, फरीदकोट, तरणतारण, गुरदासपुर, मोगा, फिरोजपुर, लुधियाना व पटियाला, फतेहगढ़, नवांशहर, कपूरथला, रूपनगर और जालंधर के किसान नर्चर डॉट फार्म से जुड़े हैं। इन लोकेशंस के किसानों को ही पहले लेने की वजह है कि पराली जलाने में सबसे ज्यादा योगदान पंजाब और हरियाणा की ओर से ही रहता है। नर्चर डॉट फॉर्म ने अभी दिल्ली, पंजाब और हरियाणा सरकार के साथ पूसा स्प्रेइंग सर्विस मुहैया कराने के लिए बात की है। आगे चलकर देश की अन्य राज्य सरकारों के साथ भी साझेदारी करने की योजना है।
कैप्सूल को बदला पाउडर में
नर्चर डॉट फार्म ने आईएआरआई के पूसा बायो डिकंपोजर कैप्सूल को पाउडर में बदला है और इसे 10 लीटर की ट्रान्सपोर्टेबल कैन्स की कमर्शियल पैकेजिंग में उपलब्ध कराया है। एक एकड़ भूमि के लिए 250 ग्राम पाउडर पर्याप्त है। इस पाउडर को पानी में घोलकर मशीन में डाला जाता है और फिर मशीन पर्याप्त पानी लेकर इसका छिड़काव पराली पर करती है। नर्चर डॉट फार्म के सीटीओ प्रणव तिवारी का कहना है कि पराली को मैनेज करने का यह सबसे सस्ता तरीका है। इसकी लागत करीब 600 रुपये प्रति एकड़ है, जो अन्य मेथड के जरिए पराली से निजात पाने की लागत से करीब एक चौथाई कम है।
किसानों का क्या है कहना
हरियाणा के जमालपुर के कुछ किसानों का कहना है कि पराली से मुक्ति पाने के लिए पूसा स्प्रे के छिड़काव की तकनीक अच्छी है। अभी CRM कैसे काम करता है उन्हें यह सर्विस मुफ्त मिल रही है। अगर आगे चलकर उन्हें इसके लिए पैसा देना पड़े तो वे ऐसा करेंगे क्योंकि इससे पर्यावरण और मिट्टी को नुकसान भी नहीं है और खाद भी मिल रही है। हालांकि कुछ किसानों का यह भी कहना है कि यह तकनीक उन किसानों के लिए मददगार नहीं है जिनके धान की कटाई, दूसरी फसल की बुवाई से ठीक पहले होती है। पूसा स्प्रे के छिड़काव के 8 दिन बाद दूसरी फसल बोई जा सकती है। ऐसे में अगर किसी को धान की कटाई के 3-4 दिन बाद ही दूसरी फसल बोनी है तो उसे पराली को जलाने का ही सहारा लेना होगा।
रोजगार सृजन भी कर रही कंपनी
नर्चर डॉट फॉर्म अपनी इस फ्री ऑफ कॉस्ट स्प्रेइंग सर्विस के जरिए रोजगार सृजन में CRM कैसे काम करता है भी योगदान दे रही है। चूंकि किसानों के लिए यह टेक्नोलॉजी नई है, इसलिए उन्हें इस बारे में समझाने के लिए नर्चर डॉट फॉर्म ने कृषि मित्रों की एक विस्तृत फील्ड टीम बनाई है। कंपनी ने विभिन्न लोकेशंस पर जो फील्ड ऑफिसर नियुक्त किए हैं, वे आसपास के गावों से ही लिए गए हैं। स्प्रेइंग मशीन के जरिए छिड़काव करने वाले भी लोकल व्यक्ति ही हैं। कंपनी लोगों की क्वालिफिकेशन के आधार पर उनका काम तय करती है और फिर उन्हें ट्रेनिंग देती है। किसानों को इस नई तकनीक के बारे में समझाने के लिए उन्हीं के बीच से लोगों को हायर किया जा रहा है। कृषि मित्र बनने के लिए फील्ड ऑफिसर से संपर्क किया जा सकता है।