वित्त प्रबंधन

सार्वजनिक व्यय में सरकारी पारदर्शिता के लिए बेहतर नकदी प्रबंधन के माध्यम से सार्वजनिक वित्त प्रबंधन में प्रभावशीलता और मितव्ययिता का परिणाम और सभी योजनाओं में संसाधनों की उपलब्धता और उपयोग पर वास्तविक समय की जानकारी। रोल-आउट वित्त प्रबंधन के परिणामस्वरूप बेहतर कार्यक्रम प्रशासन और प्रबंधन, सिस्टम में फ्लोट में कमी, लाभार्थियों को सीधे भुगतान और सार्वजनिक धन के उपयोग में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही होगी। शासन में सुधार के लिए प्रस्तावित प्रणाली एक महत्वपूर्ण उपकरण होगी।
सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस)
सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) एक वेब-आधारित ऑनलाइन सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन है जिसे नियंत्रक महालेखाकार (सीजीए), व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विकसित और कार्यान्वित किया गया है। पीएफएमएस की शुरुआत 2009 के दौरान भारत सरकार की सभी योजनाओं के तहत जारी निधियों पर नज़र रखने और कार्यक्रम कार्यान्वयन के सभी स्तरों पर व्यय की रीयल टाइम रिपोर्टिंग के उद्देश्य से हुई थी। इसके बाद, सभी योजनाओं के तहत लाभार्थियों को सीधे भुगतान को शामिल करने का दायरा बढ़ाया गया। धीरे-धीरे, यह परिकल्पना की गई है कि खातों का डिजिटलीकरण पीएफएमएस के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा और वेतन और लेखा कार्यालयों के भुगतान के साथ शुरुआत करते हुए, सीजीए कार्यालय ने पीएफएमएस के दायरे में भारत सरकार की और अधिक वित्तीय गतिविधियों को शामिल करके मूल्यवर्धन किया। पीएफएमएस के विभिन्न तरीकों / कार्यों के लिए आउटपुट / डिलिवरेबल्स में शामिल हैं (लेकिन इन तक सीमित नहीं हैं):
वित्तीय प्रबंधन का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं
vittiy prabandh Meaning in hindi; वित्त व्यवसाय का जीवन का रक्त होता है। वित्तीय प्रबंध व्यावसायिक प्रबंध का ही एक भाग है। वित्तीय प्रबंध किसी उपक्रम के वित्त तथा वित्त से सम्बंधित पहलुओं पर निर्णय करने और नीति निर्धारण करने से सम्बंधित क्रियाओं का समूह होता है।
इसमे पुँजी, रोकड़ प्रवाह, मूल्य एवं लाभ नीतियाँ, निष्पत्ति नियोजन एवं मूल्यांकन तथा बजटरी नियंत्रण नीतियाँ एवं प्रणालियों प्रमुख रूप से वित्तीय प्रबंध के क्षेत्र मे आती है, परन्तु ये अन्य विभागों के सहयोग एवं सहमति के बगैर प्रभावपूर्ण ढंग से कार्यान्वियन नही किये जा सकते वित्तीय प्रबंध उपक्रम के व्यापक हितों का वित्त प्रबंधन प्रतिनिधित्व करता है तथा वह इनके लिए संस्था का रखवाला कर्ता होता है।
छोटी व्यावसायिक इकाईयों के लिए वित्त की व्यवस्था करना कोई कठिन समस्या नही होती है परन्तु बड़ी व्यावसायिक इकाईयों के लिए वित्त व्यवस्था काफी कठिनाईपूर्ण है। यहॉं पर वित्त का स्वरूप अवैयक्तिगत होता है तथा इसकी मात्रा भी अधिक होती है जिसके फलस्वरूप इसकी व्यवस्था में अनेक कठिनाइयॉं आती है। अत: वर्तमान समय में वित्त उत्पादन का एक महत्वपूर्ण अंग है, इसलिए इसकी उचित व्यवस्था हेतु विभिन्न उपक्रमों मे एक अलग से विभाग खोला जाता है जिसे वित्त विभाग कहते है।
वित्तीय प्रबंधन की परिभाषा (vittiy prabandh ki paribhasha)
वैस्टन एवं ब्राइघम " वित्तीय प्रबंध एक व्यवसाय की वह संचालनात्मक प्रक्रिया है जो व्यक्तिगत उद्देश्यों और उपक्रम के उद्देश्यो के समन्वय स्थापित करती है।
हाॅवर्ड एवं उपटन " वित्तीय प्रबंध नियोजन तथा नियंत्रण को वित्त वित्त प्रबंधन कार्य पर लागू करना है।
जे. एफ. ब्रेडले " वित्तीय प्रबंध व्यावसाय का वह क्षेत्र है जिसका सम्बन्ध पूँजी के विवेकपूर्ण उपयोग एवं पूँजी साधनों के सतर्क चयन से है, ताकि व्यय करने वाली इकाई (फर्म) अपने उद्देश्यों की प्राप्ति की ओर बढ़ सके।
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि " वित्तीय प्रबंधन व्यावसायिक प्रबंधन का एक वह क्षेत्र है जिसके अन्तर्गत व्यवसाय की वित्तीय क्रियाओं एवं वित्त कार्य का कुशल संचालन किया जाता है। इसके लिए नियोजन, आंवटन एवं नियंत्रण के कार्य किये जाते है।
वित्तीय प्रबंधन की विशेषताएं या लक्षण (vittiy prabandh ki visheshta)
1. आवश्यकता का अनुमान
वित्तीय प्रबंधन के द्वारा वित्त प्रबंधन व्यवसाय की वित्त सम्बन्धी आवश्यकताओं का अनुमान लगाना आसान वित्त प्रबंधन हो जाता है।
2. वित्तीय स्त्रोतों का निर्धारिण
वित्तीय प्रबंध ऐसा प्रबंध है जिसके अन्तर्गत व्यवसायी आसानी से पूँजी प्राप्ति के श्रेष्ठ स्त्रोतों को ज्ञात कर सकता है।
3. वित्तीय कार्यों का केन्द्रीयकरण
वित्तीय प्रबंध मे वित्त सम्बन्धी समस्त कार्तों का एक समूह बन गया है, जिसमे वित्त सम्बन्धी समस्याओं, विचारो, नियोजन, नियंत्रण, निर्णय व्यवस्थाएँ, उत्पादन, विपणन एवं कर्मचारी प्रबंध वित्तीय कार्य एक ही प्रबंध मे किया जाता है अर्थात् वित्तीय प्रबंध, वित्तीय कार्यों को केन्द्रीकृत कर चुका है।
4. पूँजी संरचना का निर्माण
व्यवसाय की पूंजी संरचना, अल्पकालीन, दीर्घकालीन, स्थायी एवं कार्यशील पूँजी आदि से निर्मित होती है और इसे सगंठित करने का कार्य वित्तीय प्रबंध का होता है, इसीलिए हम कहते है कि वित्तीय प्रबंध पूंजी संरचना का निर्माण करता है।
5. व्यावसायिक समन्वय
व्यवसाय के विभिन्न विभागों के साथ सहयोग एवं समन्वय करके व्यवसाय के सभी वित्तीय मामलों को निपटाने वाला ऐसा एक ही विभाग है जो वित्तीय प्रबंध है।
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