अभौतिक खाता

- अगर आप भी अपने खाते में नॉमिनी का नाम जोड़ना चाहते हैं तो सबसे पहले अभौतिक खाता आप नामांकन फॉर्म भर कर उस अभौतिक खाता पर हस्ताक्षर कर सकते हैं और हेड ऑफिस (जिस ब्रोकर कंपनी से डीमैट खाता खोला है. जैसे अभौतिक खाता जेरोधा.) के पते पर कुरियर कर अभौतिक खाता सकते हैं.
- नॉमिनेशन आपके ट्रेडिंग और डीमैट खाते पर लागू होगा, इस नॉमिनी को आपके डीमैट खाते में जोड़ा जाएगा, वही नॉमिनेशन अभौतिक खाता आपके कॉइन (म्यूचुअल फंड) होल्डिंग्स के लिए भी लागू होगा.
- आपको नॉमिनेशन फॉर्म के साथ नॉमिनी का आईडी प्रूफ भेजना होगा.
- अभौतिक खाता इसके लिए आप कोई भी आईडी प्रूफ जैसे आधार, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस आदि भेज सकते हैं.
- यदि आप अपना खाता खोलने और किसी को नॉमिनी बनाने के बाद नॉमिनी को बदलना चाहते हैं, तो आपको 25+18% जीएसटी शुल्क अभौतिक खाता देना होगा.
- इसके लिए आपको अकाउंट मॉडिफिकेशन फॉर्म के साथ नॉमिनेशन फॉर्म की हार्ड कॉपी भेजनी होगी.
अभौतिक खाता
Year: Apr, 2018
Volume: 15 / Issue: 1
Pages: 1094 - 1099 (6)
Publisher: Ignited Minds Journals
Source:
E-ISSN: 2230-7540
DOI:
Published URL: https://ignited.in/I/a/252553
Published On: Apr, 2018
प्राचीन भारतीय हिन्दू संस्कृति का महत्व और उसकी विशेषताएँ | Original Article
Shveta Kumari*, Ramakant Sharma, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research
Demat Account Update: डीमैट अकाउंट वाले जरूर पढ़ लें ये खबर, शेयर बाजार के निवेशकों के लिए SEBI ने किया बड़ा ऐलान
Demat Account: अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो आपके लिए खुशखबरी है. दरअसल, सेबी ने इन्वेस्टर्स के लिए बड़ा ऐलान किया है. इस ऐलान के बाद निवेशकों को अभौतिक खाता बड़ा फायदा हुआ है.
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शील, बुद्धि, मेधा, प्रज्ञा, विवेक,
शील:-
शील शब्द छोटा जरूर है किंतु इसका अर्थ बहुत विस्तृत है। शील का अर्थ होता है आदर्शवादिता या पवित्रता और अपवित्रता या सामान्यता के बीच जो सीमा रेखा होती है उसे ही शील कहते है। अगर सामान्य भाषा मे समझा जाए तो जिसप्रकार कोई नया अभौतिक खाता सामान किसी डब्बे में पैक करके शील कर दिया जाता है , जिसका सीधा अर्थ होता है बिना प्रयोग और दुरुप्रयोग की वस्तु डब्बे के अंदर है और हम उस पर कहीं ज्यादा विस्वास करते है किसी बिना शील किए हुई डब्बे से प्राप्त वस्तु के सापेक्ष। किंतु सामान्य जीवन मे शील का अभौतिक खाता अर्थ केवल प्रयोग है दुरुप्रयोग नही । शील की सीमारेखा इतनी नाजुक होती है कि एकबार टूटने पर पुनः नही बनती। जैसे जीभ का प्रयोग खाना खाने और बात करने के लिए होता है। अगर जीव का प्रयोग आप खाने से ज्यादा स्वाद लेने और लोगों को गाली-गलौज करने या झूठ बोलने के लिए करेंगे तो शील भंग होगा। इसी प्रकार विवेक का प्रयोग दूसरों को ठगने के लिए होगा तो शील भंग होगा, और शरीर का प्रयोग यदि दूसरों को डराने और मारने-पीटने के लिए होगा तो शील भंग होगा.
इसी शील में स्त्री शील भी आता है और पुरूष शील भी. किन्तु समाज की पुरुषवादी मानसिकता के कारण स्त्री शील पर हो हल्ला मचता रहता है और पुरुष शील को नजर अंदाज कर दिया जाता है। एक पतिव्रता नारी और एक पत्नि व्रता पुरुष भी शील के दायरे में ही आते है।
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1 . Question
निम्नलिखित में से किसने महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” कहा था?
- a) जवाहरलाल नेहरू
- b) सरदार वल्लभभाई पटेल
- c) अभौतिक खाता गोपाल कृष्ण गोखले
- d) सुभाष चंद्र बोस