व्यापार तकनीक क्या है?

बिज़नेस अकॉउंटिंग सॉफ्टवेयर
जो काम करे
ऑनलाइन और ऑफ़लाइन
व्यापार एक मुफ़्त बिज़नेस अकॉउंटिंग सॉफ्टवेयर है जो भारत के छोटे बिज़नेसमैन के लिए इनवॉइस, इन्वेंट्री, अकॉउंटिंग की ज़रूरत को पूरा और बहुत कुछ आसान करने के लिए बना है! इसका लक्ष्य है कि यह एक बिज़नेसमैन के कामों के बोझ को कम कर सके ताकि वे अपना बिज़नेस बढ़ाने पर ज़्यादा ध्यान दे सकें ना कि कागज़ी कामों पर।
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स्मॉल/मीडियम बिज़नेस (SME)
आज भी, भारत में 70% SMEs कागज़ पर ही बिल बनाते हैं। ऐसा होने से, उनका ज़्यादातर समय मैन्युअल एंट्री और कैलकुलेशन करने में ही चला जाता है। जब छोटी चीज़ें गलत हो जाती हैं, तो पूरे बिज़नेस का नुकसान होता है, वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि इसमें शुरू से ठीक करने की गुंजाइश नहीं होती है। संसाधन/रिसोर्सेज़ नहीं होने के कारण भी बिज़नेस का मालिक बहुत परेशान हो जाता है और ज़रूरी चीज़ें भी नहीं कर पाता है। स्माल बिज़नेस अकॉउंटिंग को डिजिटल अपग्रेड की ज़रूरत है। एक ऐसा अपग्रेड जो आसान हो और प्रभावशाली भी। हमने उनके लिए एक बेहद आसान समाधान लाने की कोशिश की है और इसलिए बनाया VYAPAR!
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"हम अपने देश के ऐसे हिस्से की ज़िंदगी आसान बनाने की बात कर रहे हैं जो कि सबसे बड़ा है, यानी कि ‘स्मॉल बिज़नेस सेक्टर हमारे अर्थव्यवस्था की धड़कन। स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज (SME ) को पिछड़ा बनाने में कईं कारणों में से एक मुख्य कारण है सही तकनीक तक उनका ना पहुँच पाना। इस स्थिति को आसान बनाने से SME को पोषण मिलेगा और आगे फलने -फूलने में मदद भी मिलेगी । आने वाले सालों में भारत को सबसे शानदार बिज़नेस क्षेत्र के रूप में सामने लाने के लिए सभी बिज़नेस को पैसा गिनते रहने की जगह पैसा बनाने पर ध्यान देना चाहिए। असल में Vyapar मॉडर्न डिजिटल तरीक़े से बिज़नेस अकॉउंटिंग को आसान बनाने में मदद करता है!"
- Sumit Agarwal, CEO, Vyapar.
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सबसे ज़रूरी बात है कि Vyapar (एंड्रॉइड/डेस्कटॉप ऐप दोनों रूप में उपलब्ध) जैसा बिज़नेस अकॉउंटिंग ऐप बिज़नेस का व्यापार तकनीक क्या है? फाइनेंशियल डेटा हमेशा 100% सही रखता है। यह ऑफ़लाइन काम करता है, और कभी भी धोखा देने वाले इंटरनेट से बिना जोड़े भी इस्तेमाल किया जा सकता है। व्यापार ऐप एक ढाँचा तैयार कर देता है कि बिज़नेस के पास क्या क्या है(असेट्स), बिज़नेस पर कितना उधार है(लाइबिलिटीज़) और बिज़नेस की वैल्यू क्या है(इक्विटी)। यह बिज़नेस के कामों के लिए एक सही योजना बनाने में मदद करता है।
जानिए क्या है बायो बिटुमेन तकनीक, जिससे सड़क बनाने में होगा पराली का इस्तेमाल
Bio Bitumen Technique: प्रदूषण से बचने के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी एक बड़ा प्लान तैयार कर रहे हैं. गडकरी के मुताबिक, अब सड़कों को बनाने में पराली का उपयोग किया जाएगा. यह प्लान अगले दो से तीन महीने के अंदर लागू कर दिया जाएगा. आइए जानते हैं किस तरह सड़कें बनाने में पराली का इस्तेमाल किया जाएगा.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 09 नवंबर 2022,
- (अपडेटेड 09 नवंबर 2022, 2:07 PM IST)
उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बना है. दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के बाद बढ़ी पराली जलाने की घटनाओं के से पॉल्यूशन लेवल खतरनाक स्तर को पार कर चुका है. प्रदूषण से निपटने और पराली जलाने की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए विभिन्न राज्यों की सरकार अपने-अपने स्तर पर कार्य कर रही हैं.
प्रदूषण से निपटने के लिए गडकरी का ये है प्लान
प्रदषण से बचने के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बड़ा प्लान तैयार कर रहे हैं. गडकरी के मुताबिक, अब सड़कों को बनाने में पराली का उपयोग किया जाएगा. ऐसा संभव होगा बायो-बिटुमन तकनीक से. दरअसल, अब तक बायो-बिटुमन में बजरी व अन्य पत्थरों का उपयोग होता था. अब गडकरी के नए प्लान के मुताबिक, इसे बनाने में पराली का इस्तेमाल किया जाएगा. यह प्लान अगले दो से तीन महीने के अंदर प्रभाव में आ जाएगा.
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क्या है बायो बिटुमेन?
यह सड़कों पर डाला जाने वाला काले रंग का द्रव होता है. इसमें बजरी व अन्य पत्थरों का इस्तेमाल कर सड़क बनाई जाती है. बायो बिटुमेन ऐसे पदार्थाें से मिलाकर बनाया जाता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन व्यापार तकनीक क्या है? कम हो. इसका उपयोग सड़कों और छतों के निर्माण के लिए उपयोग किया जाता है.
बायो बिटुमेन तकनीक कैसे करती है काम?
काले रंग के इस द्रव्य को कोलतार भी कहते हैं. यह चिपचिपा होता है, जो मकान और सड़क बनाने के लिए उपयोग होने वाले तत्वों को एक साथ बांध कर रखती है. इसका ज्यादातर उपयोग पक्की सड़कों की सतहों को बांधने के लिए किया जाता है. इससे सड़कें लंबी समय तक सुरक्षित रहती हैं.
ये तकनीक पराली के इस्तेमाल से कम करेगी प्रदूषण
बायो बिटुमेन तकनीक से सड़क बनाने में अभी तक पराली का उपयोग नहीं देखा गया है. भारत इस तरह का पहला प्रयोग करने जा रहा है. सड़कें बनाने में अब तक डामर या कंक्रीट का उपयोग होता है. इसमें कार्बन उत्सर्जन ज्यादा होता है. ये स्थिति प्रदूषण के लिए भी हानिकारक है. ऐसी स्थिति में सड़क पराली का उपयोग प्रदूषण के स्तर को कम कर सकता है. इसके अलावा किसानों को पास अतिरिक्त मुनाफा कमाने का भी मौका होगा.
मेक इन इंडिया
भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।
'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।
'मेक इन इंडिया' पहल के संबंध में देश एवं विदेशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। अभियान के शुरु होने के समय से इसकी वेबसाईट पर बारह हजार से अधिक सवाल इनवेस्ट इंडिया के निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ द्वारा प्राप्त किया गया है। जापान, चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया जैसे देशों नें विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत में निवेश करने हेतु अपना समर्थन दिखाया है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत निम्नलिखित पचीस क्षेत्रों - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है की पहचान की गई है:
सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है एवं कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से हटाया गया है।
सरकार का लक्ष्य देश में संस्थाओं के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं के विकास द्वारा व्यापार के लिए मजबूत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। सरकार व्यापार संस्थाओं के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट सिटी का विकास करना चाहती है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है के माध्यम से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पेटेंट एवं ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अभिनव प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई है। रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव व्यापार तकनीक क्या है? में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई है।
29 दिसंबर 2014 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उद्योग से संबंधित मंत्रालय प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत प्रत्येक मंत्रालय ने अगले एक एवं तीन साल के लिए कार्यवाही योजना की पहचान की है।
कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। 'इनवेस्ट इंडिया' में एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। नये निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक अनुभवी दल भी निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ में उपलब्ध है।
निर्माण को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य
- मध्यम अवधि में निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में प्रति व्यापार तकनीक क्या है? वर्ष 12-14% वृद्धि करने का उद्देश्य
- 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में 16% से 25% की वृद्धि
- विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करना
- समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण
- घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्माण में तकनीकी गहराई में वृद्धि
- भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
- विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना
- भारत ने अपनी उपस्थिति दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप दर्ज करायी है
- 2020 तक इसे दुनिया की शीर्ष तीन विकास अर्थव्यवस्थाओं और शीर्ष तीन निर्माण स्थलों में गिने जाने की उम्मीद है
- अगले 2-3 दशकों के लिए अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश। गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों की निरंतर उपलब्धता।
- जनशक्ति की लागत अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है
- विश्वसनीयता और व्यावसायिकता के साथ संचालित जिम्मेदार व्यावसायिक घराने
- घरेलू बाजार में मजबूत उपभोक्तावाद
- शीर्ष वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा समर्थित मजबूत तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमतायें
- विदेशी निवेशकों के लिए खुले अच्छी तरह विनियमित और स्थिर वित्तीय बाजार
भारत में परेशानी मुक्त व्यापार
'व्यापार तकनीक क्या है? मेक इन इंडिया' इंडिया' एक क्रांतिकारी विचार है जिसने निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और देश में विश्व स्तरीय विनिर्माण बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए प्रमुख नई पहलों की शुरूआत की है। इस पहल नें भारत में कारोबार करने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया है। नयी डी-लाइसेंसिंग और ढील के उपायों से जटिलता को कम करने और समग्र प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता काफी बढ़ी हैं।
अब जब व्यापार करने की बात आती है तो भारत काफी कुछ प्रदान करता है। अब यह ऐसे सभी निवेशकों के लिए आसान और पारदर्शी प्रणाली प्रदान करता है जो स्थिर अर्थव्यवस्था और आकर्षक व्यवसाय के अवसरों की तलाश कर रहे हैं। भारत में निवेश करने के लिए यह सही समय है जब यह देश सभी को विकास और समृद्धि के मामले में बहुत कुछ प्रदान कर रहा है।
व्यापार एवं वाणिज्य के क्षेत्र में क्या उपलब्धियाँ हैं?
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व्यापार एक मुफ़्त बिज़नेस अकॉउंटिंग सॉफ्टवेयर है जो भारत के छोटे बिज़नेसमैन के लिए इनवॉइस, इन्वेंट्री, अकॉउंटिंग की ज़रूरत को पूरा और बहुत कुछ आसान करने के लिए बना है! इसका लक्ष्य है कि यह एक बिज़नेसमैन के कामों के बोझ को कम कर सके ताकि वे अपना बिज़नेस बढ़ाने पर ज़्यादा ध्यान दे सकें ना कि कागज़ी कामों पर।
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