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डिजिटल मुद्रा

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आखिर किस तरह देश में तैयार किया जाएगा डिजिटल मुद्रा का आधार? RBI ने रिपोर्ट जारी कर दिया ये सुझाव

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि भारत को शुरुआत में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का बुनियादी मॉडल अपनाने और भुगतान प्रणाली ढांचे के इस्तेमाल की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। इस तरह डिजिटल मुद्रा अत्याधुनिक डिजिटल मुद्रा का आधार तैयार किया जा सकेगा। आरबीआई ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट ‘भारत में बैंकिंग …

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि भारत को शुरुआत में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का बुनियादी मॉडल अपनाने और भुगतान प्रणाली ढांचे के इस्तेमाल की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। इस तरह अत्याधुनिक डिजिटल मुद्रा का आधार तैयार किया जा सकेगा। आरबीआई ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट ‘भारत में बैंकिंग का रुझान एवं प्रगति 2020-21’ में कहा कि सीबीडीसी अपने बुनियादी स्वरूप में भौतिक मुद्रा का एक सुरक्षित, सशक्त एवं सुविधाजनक विकल्प देता है।

विभिन्न डिजाइन विकल्पों को देखते हुए इसे एक वित्तीय साधन का जटिल रूप भी माना जा सकता है। रिजर्व बैंक ने कहा, ”वृहद-आर्थिक नीति-निर्माण पर अपने प्रभाव को देखते हुए शुरुआत में बुनियादी मॉडल को अपनाना जरूरी है ताकि इसे अच्छी तरह परखा जा सके। इस तरह मौद्रिक नीति एवं बैंकिंग प्रणाली पर इसका कम-से-कम असर होगा।”

केंद्रीय बैंक ने कहा कि अपने नागरिकों एवं वित्तीय संस्थानों को अत्याधुनिक सीबीडीसी मुहैया कराने के लिए भुगतान प्रणालियों में प्रगति करना जरूरी है। परंपरागत मुद्रा की तुलना में डिजिटल मुद्रा तरलता, स्वीकार्यता और लेनदेन की सुगमता जैसे लाभ उपयोगकर्ताओं को दे सकती है। आरबीआई ने वित्तीय क्षेत्र में चुनौतियों से निपटने के लिए सावधानीपूर्वक रणनीति बनाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन और प्रौद्योगिकी संबंधी नवाचारों के साथ ही कोविड महामारी से उपजी चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार रहना होगा।

रिपोर्ट कहती है कि अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता पर जलवायु परिवर्तन के प्रणालीगत असर का आकलन अभी विकास के दौर में है। दुनिया भर के केंद्रीय बैंक इससे निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को लेकर अभी स्पष्ट नहीं हैं। आरबीआई ने कहा, ”संक्षेप में कहें, तो भारत का वित्तीय क्षेत्र अभी चौराहे पर है। महामारी के दुष्प्रभाव अल्पकालिक असर डालेंगे लेकिन जलवायु परिवर्तन एवं तकनीकी नवाचारों से संबंधित कहीं बड़ी चुनौती के लिए ध्यानपूर्वक बनाई गई रणनीति की जरूरत होगी।”

केंद्रीय बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के आने वाले समय में भी तेज बने रहने की उम्मीद है। अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार और टीकाकरण की तेज होती रफ्तार से एनबीएफसी क्षेत्र को समर्थन मिलने की उम्मीद है। आरबीआई ने कहा कि वित्तीय प्रणाली एक हाइब्रिड व्यवस्था की तरफ बढ़ रही है जिसमें गैर-बैंकिंग मध्यवर्तियों को अहमियत मिल रही है। आने वाले वर्षों में इसकी प्रगति जारी रहने की संभावना है।

डिजिटल करेंसी की भारत में फिलहाल कोई गुंजाइश नहीं, RBI ने साफ किया इनकार

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि दुनिया भर में सरकारें तथा केंद्रीय बैंक निजी डिजिटल मुद्रा के खिलाफ हैं, डिजिटल मुद्रा क्योंकि मुद्रा जारी करने का अधिकार सरकारी एजेंसी के पास है.

केंद्रीय बैंक ने कहा है कि डिजिटल करेंसी पर अभी स्टडी की जा रही है. इस पर अभी कुछ कहना या कोई कदम उठाना जल्दबाजी होगी.

बिटकॉइन (Bitcoin) या क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) जैसी डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार और साफ कर दिया है कि इस तरह की किसी भी आभासी मुद्रा के चलन को भारत में मंजूरी नहीं दी जाएगी. क्रिप्टो करेंसी के चलन पर सरकार ने इस साल जुलाई में रोक लगा दी थी. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि डिजिटल करेंसी पर अभी स्टडी की जा रही है. इस पर अभी कुछ कहना या कोई कदम उठाना जल्दबाजी होगी.

गुरुवार को आरबीआई (RBI) की क्रेडिट पॉलिसी की जारी करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor) ने कहा कि दुनिया भर में सरकारें तथा केंद्रीय बैंक निजी डिजिटल मुद्रा के खिलाफ हैं, क्योंकि मुद्रा जारी करने का अधिकार सरकारी एजेंसी के पास है.

उन्होंने कहा कि अन्य डिजिटल मुद्रा देशों की सरकारों तथा केंद्रीय बैंकों के साथ सरकारी डिजिटल मुद्रा के बारे में चर्चाएं हुई हैं, लेकिन अभी इस बारे में कुछ कह पाना जल्दीबाजी होगी.

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उन्होंने कहा कि जब पर्याप्त सुरक्षा के साथ प्रौद्योगिकी और विकसित हो जाएगी, मुझे लगता है कि यह ऐसा क्षेत्र है जिसके ऊपर सही समय आने पर रिजर्व बैंक निश्चित रूप से गौर करेगा.

क्यों भारत में डिजिटल करेंसी की राह आसान नहीं है, यहां जानिए इससे जुड़ी चुनौतियों के बारे में…

डिजिटल करेंसी की इस राह में साक्षरता भी एक बाधा है, क्योंकि भारत की साक्षरता दर लगभग 78 प्रतिशत ही है. ऐसे में डिजिटल करेंसी का उपयोग करने और उसे सुरक्षित रखने के लिए कम्प्यूटर की समझ तो सबके लिए नितांत जरूरी है

क्यों भारत में डिजिटल करेंसी की राह आसान नहीं है, यहां जानिए इससे जुड़ी चुनौतियों के बारे में.

TV9 Bharatvarsh | Edited By: सुनील चौरसिया

Updated on: Dec 11, 2021 | 11:35 AM

दुनियाभर में डिजिटल करेंसी की बढ़ती लोकप्रियता के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी भारत की अपनी डिजिटल करेंसी लॉन्‍च करने की तैयारियों में जुटा है. इस डिजिटल मुद्रा की कीमत निश्चित होगी और इसका मूल्‍य प्रिंटिड करेंसी यानी छपे हुए नोटों के बराबर होगी. वैसे इस मामले में हम सब काफी कुछ सुन और देख चुके हैं. लेकिन खबर तो ये है कि भारत में डिजिटल करेंसी की राह आसान नहीं होने वाली है.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का भी यही मानना है. दरअसल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) की राह में साइबर सिक्‍योरिटी और डिजिटल धोखाधड़ी सबसे बड़ी बाधा है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने CBDC से जुड़े साइबर सुरक्षा खतरे और संभावित डिजिटल धोखाधड़ी को नकली नोटों की समस्‍या जैसा बताया है. जिसे तमाम कोशिशों के बाद भी जड़ से खत्‍म नहीं किया जा सका है.

RBI के सामने तकनीकी इन्‍नोवेशन से जुड़ी चुनौतियां

बता दें, इस समस्‍या से निपटना सरकार और आरबीआई दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, भारतीय रिजर्व बैंक के सामने तकनीकी इन्‍नोवेशन से जुड़ी चुनौतियां भी हैं. हालांकि, डिजिटल करेंसी पर सवाल इतने डिजिटल मुद्रा ज्‍यादा हैं कि भारतीयों की समझ से अभी परे है. क्‍योंकि भारत की लगभग 70 प्रतिशत आबादी गांवों डिजिटल मुद्रा में रहती है.

डिजिटल करेंसी की राह में साक्षरता एक बाधा

डिजिटल करेंसी की इस राह में साक्षरता भी एक डिजिटल मुद्रा बाधा है, क्‍योंकि भारत की साक्षरता दर लगभग 78 प्रतिशत ही है. ऐसे में डिजिटल करेंसी का उपयोग करने और उसे सुरक्षित रखने के लिए कम्‍प्‍यूटर की समझ तो सबके लिए नितांत जरूरी है. इन सब बातों से भारत में डिजिटल करेंसी की राह आसान नजर नहीं आती है.भारत में डिजिटल करेंसी को अमलीजामा पहनाने के लिए अभी बहुत माथा-पच्‍ची करनी होगी.

पिछले दिनों डिजिटल करेंसी की बढ़ी लोकप्रियता

पिछले दिनों क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता काफी देखी गई, उस दौरान वह लोग जिनको डिजिटल करेंसी को लेकर अच्छी जानकारी है और दूसरी ओर वो लोग डिजिटल मुद्रा भी जिनको शायद ही इसकी जानकारी हो, लेकिन इस तरफ बढ़ते रुझान को देखते हुए काफी लोगों को इस डिजिटल मुद्रा डिजिटल करेंसी ने प्रभावित किया. जिसके बाद ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने डिजिटली करेंसी की दिशा में काम करने की बात तो कही है. लेकिन भारत में यह पूरी प्रक्रिया बिल्कुल भी आसान नहीं है. बेशक इस ओर काम करने को लेकर कई बातें कही जा रही है, लेकिन कुछ खास परेशानियों जो सामने आ रही हैं, उससे यह काफी हद तक मुश्किल हो सकता है.

– साइबर सिक्‍योरिटी और डिजिटल धोखाधड़ी – तकनीकी इन्‍नोवेशन से जुड़ी चुनौतियां – भारत की साक्षरता दर

रिजर्व बैंक प्रायोगिक तौर पर शुरू करेगी डिजिटल मुद्रा

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) शीघ्र ही विशिष्ट उपयोग के मामलों के लिए डिजिटल रुपए ( ई-रुपए) की प्रायोगिक रूप से शुरुआत करेगा। रिजर्व बैंक (Reserve Bank) ने भारत (India) के लिए केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) पर एक अवधारणा नोट जारी किया है जिसमें कहा गया है कि जैसे-जैसे इस तरह की प्रायोगिक शुरुआत की सीमा और दायरा बढ़ता है, रिजर्व बैंक समय-समय पर ई रुपए की विशेषताओं और लाभों के बारे में सूचित करेगा। डिजिटल मुद्रा इस अवधारणा नोट को जारी करने का उद्देश्य सामान्य रूप से सीबीडीसी (CBDC) और विशेष रूप से डिजिटल रुपए (Digital Rupee) (ई-रुपए) की योजनाबद्ध विशेषताओं के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना है।

यह भारत में सीबीडीसी (CBDC) जारी करने के उद्देश्यों, विकल्पों, लाभों और जोखिमों की व्याख्या करता है। यह नोट सीबीडीसी की शुरूआत के प्रति रिजर्व बैंक (Reserve Bank) के दृष्टिकोण को दर्शाने का भी प्रयास करता है। अवधारणा नोट में प्रौद्योगिकी और डिजाइन विकल्प, डिजिटल रुपए के संभावित उपयोग, जारी करने का तंत्र आदि जैसे प्रमुख विषयों पर भी चर्चा की गई है। यह बैंकिंग प्रणाली, मौद्रिक नीति, वित्तीय स्थिरता पर सीबीडीसी की शुरूआत के तात्पर्य की जांच करता है और गोपनीयता के मुद्दों का विश्लेषण करता है। (वार्ता)

Cryptocurrency कभी भी वैध मुद्रा नहीं बनेगी, टैक्सेशन के बाद वित्त सचिव ने क्रिप्टो पर कही यह बड़ी बात

वित्त सचिव टी वी सोमनाथन ने कहा कि ‘क्रिप्टो कभी भी वैध मुद्रा नहीं होगी. कानून के हिसाब से वैध मुद्रा का मतलब है कि उसे कर्ज के निपटान में स्वीकार डिजिटल मुद्रा किया जाएगा. भारत किसी भी क्रिप्टो संपत्ति को वैध मुद्रा नहीं बनाएगा. केवल भारतीय रिजर्व बैंक का डिजिटल रुपया ही देश में वैध मुद्रा होगा.’

Cryptocurrency कभी भी वैध मुद्रा नहीं बनेगी, टैक्सेशन के बाद वित्त सचिव ने क्रिप्टो पर कही यह बड़ी बात

वित्त सचिव टी वी सोमनाथन ने गुरुवार को क्रिप्टोकरेंसी की वैधता को लेकर चीजें साफ करते हुए कहा कि निजी डिजिटल मुद्रा कभी भी कानूनी मुद्रा नहीं बनेगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सप्ताह संसद में पेश 2022-23 के बजट में क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल संपत्तियों में लेन-देन पर होने वाले लाभ को लेकर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव किया. साथ ही एक सीमा से अधिक के लेन-देन पर एक प्रतिशत टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाने की भी घोषणा की.

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सोमनाथन ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि जिस प्रकार सोना और हीरा मूल्यवान होने के बावजूद वैध मुद्रा नहीं है, निजी क्रिप्टोकरेंसी भी कभी वैध मुद्रा नहीं होंगी. उन्होंने कहा, ‘क्रिप्टो कभी भी वैध मुद्रा नहीं होगी. कानून के हिसाब से वैध मुद्रा का मतलब है कि उसे कर्ज के निपटान में स्वीकार किया जाएगा. भारत किसी भी क्रिप्टो संपत्ति को वैध मुद्रा नहीं बनाएगा. केवल भारतीय रिजर्व बैंक का डिजिटल रुपया ही देश में वैध मुद्रा होगा.'

दुनिया में केवल अल-सल्वाडोर ने ही पिछले साल सितंबर में बिटकॉइन को वैध मुद्रा के रूप में स्वीकार किया है. किसी भी अन्य देश में क्रिप्टो को वैध मुद्रा का दर्जा नहीं मिला है.

देश में क्रिप्टो मुद्रा के लिये नियम बनाने को लेकर विचार-विमर्श जारी है. लेकिन अब तक कोई मसौदा जारी नहीं किया गया है. इस बीच, केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा अगले वित्त वर्ष से परिचालन में आएगी.

यह पूछे जाने पर कि संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टो संपत्ति के नियमन को लेकर विधेयक लाने की बात संसद के कामकाज में शामिल थी लेकिन मौजूदा बजट सत्र में ऐसा नहीं है, सोमनाथन ने कहा, ‘यह महसूस किया गया कि क्रिप्टो पर कानून लाने से पहले इस पर व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत है. इस विचार-विमर्श का मकसद इस डिजिटल मुद्रा बात पर गौर करना है कि क्या इसके लिये नियमन की जरूरत है.'

वित्त सचिव ने कहा, ‘हमारी व्यवस्था लोकतांत्रिक है. लोकतंत्र में सरकार कुछ शुरू करती है लेकिन फिर प्रतिक्रिया होती है. सरकार उस प्रतिक्रिया को सुन रही है और उसके आधार अभी तक अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा गया है. इस बीच, चूंकि क्रिप्टो और अन्य डिजिटल संपत्तियों में लेन-देन लगातार बढ़ रहा था, अत: कर स्पष्टता की जरूरत थी.'

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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