निवेश करने दो प्रमुख तरीके

4-डायवर्सिफाइड होने से काफी कम उतार-चढ़ाव होता है
निवेश करने दो प्रमुख तरीके
जब एक निवेशक म्युचुअल फंड के सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) में निवेश करने का विकल्प चुनता है तो उसका उद्देश्य ज्यादा शेयरों की खरीदारी की लागत की एवरेजिंग करने की होती है। इसके साथ ही वे बाजार के रोजाना उतार-चढ़ाव से चिंतित नहीं होना चाहते हैं। निवेशक किसी शेयर के विश्लेषण से जुड़ी चिंताओं को भी नजरअंदाज करना चाहते हैं। क्या कोई निवेशक जो शेयरों में प्रत्यक्ष तरीके से निवेश करना चाहते हैं उन्हें इस सिद्घांत को अपनाना चाहिए? विश्लेषकों का कहना है कि यह सीधा तरीका है लेकिन निवेशकों को शेयर में निवेश की बारीकियों को जरूर समझना निवेश करने दो प्रमुख तरीके चाहिए। एक निवेशक जिसने म्युचुअल फंड के सिप में निवेश करना शुरू किया है तो अपने पोर्टफोलियों में विविधता लाने के बाद यह प्रत्यक्ष तौर पर निवेश कर सकता है।
इंटरनैशनल मनी मैटर्स के वित्तीय योजनाकार और प्रबंध निदेशक लोवई नवलक्खी का कहना है, 'यह इक्विटी निवेश के 20-25 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। विविधतापूर्ण इक्विटी फंड के जरिये संतुलन होना चाहिए। नवलक्खी की तरह दूसरी ब्रोकर कंपनियां आईसीआईसी सिक्योरिटीज का कहना है कि ऐसे निवेश रणनीति की मांग है। इसी वजह से कंपनी ने एक ऐसी सेवा लॉन्च की है जिससे लोग शेयर और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में प्रत्यक्ष तरीके से निवेश कर सकते हैं। उनकी सेवाओं का इस्तेमाल करके एक व्यक्ति गोल्ड ईटीएफ में नियमित अंतराल पर निवेश कर सकता है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के ऑनलाइन ब्रोकिंग के प्रमुख विशाल गुलेचा का कहना है, 'हमने यह देखा है कि निवेशक बाजार के सही समय का अंदाजा बना पाने में सफल नहीं हो पाते हैं हालांकि यह असंभव भी है।
Investment Tips: अगर SIP करते हैं तो इन 3 बातों का रखें विशेष ध्यान, केवल 5000 के निवेश से बनेगा 2 करोड़ का फंड
SIP benefits: एसआईपी निवेश का सबसे शानदार और सही तरीका है. अमाउंट छोटा ही सही, लेकिन लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो रिटर्न शानदार निवेश करने दो प्रमुख तरीके मिलेगा. अगर हर साल SIP को 10-15 फीसदी से टॉप-अप कर देंगे तो रिटर्न और कई गुना ज्यादा मिलेगा.
Investment Tips: SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान को निवेश का सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है. इसे महीनवारी, तिमाही या छमाही आधार पर किया जा सकता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि छोटी-छोटी रकम होने के कारण निवेशकों पर बोझ कम रहता है. खासकर लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो SIP सबसे कारगर तरीका है. लंबी अवधि के कारण कम्पाउंडिंग बेनिफिट मिलता है और रिटर्न कई गुना हो जाता है. अगर आप भी SIP की मदद से म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो तीन प्रमुख बातों को ध्यान में रखना जरूरी है.
हर हाल में SIP जारी रखें
आनंदराठी वेल्थ मैनेजमेंट के डिप्टी CEO फिरोज अजीज ने जी बिजनेस के कार्यक्रम मनी गुरु में कहा कि SIP को जारी रखना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. बाजार में उठापटक चलते रहता है. इसके कारण आपका पोर्टफोलियो कभी फायदे में रहेगा तो कभी नुकसान में रहेगा, लेकिन हर परिस्थिति में इसे जारी रखना है. SIP में यह बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता है कि हर महीने आप कितना जमा करते हैं. अगर रकम छोटा है, लेकिन कंटीन्यूटी कायम है तो जितनी लंबी अवधि के लिए टिके रहेंगे, रिटर्न उतना ज्यादा मिलेगा.
एक्सपर्ट ने कहा कि SIP के अलावा बीच-बीच में एकमुश्त पैसा भी जमा करते रहें. अगर आपको कहीं से एडिशनल इनकम हो रही है तो उस पैसे से एक्स्ट्रा यूनिट खरीदना फायदेमंद होगा. अगर बाजार में गिरावट आती है और म्यूचुअल फंड के NAV (नेट असेट वैल्यु) की कीमत घटती है तो उसे मौके का फायदा उठाएं और एकमुश्त रकम निवेश करें.
SIP को टॉप-अप करें
चूंकि महंगाई बढ़ रही है, ऐसे में आने वाले समय में आपको जरूरत पूरा करने के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत होगी. हर साल आपकी कमाई भी बढ़ती है. अगर नौकरी करते हैं तो हर साल इंक्रीमेंट का लाभ मिलता है. इसी तर्ज पर हर साल SIP को टॉप-अप करें. आसान शब्दों में कहें तो हर साल SIP अमाउंट को बढ़ाना और ज्यादा फायदेमंद होगा. SIP टॉप-अप करने का कितना फायदा होता है, इसे उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं.
मान लीजिए कि 'A' की उम्र 35 साल है और उसने रिटायरमेंट के लिहाज से SIP की शुरुआत की. अगर उसने हर महीने 5000 रुपए की एसआईपी 35 साल की उम्र में शुरू की और रेट ऑफ रिटर्न 12 फीसदी उम्मीद करता है तो 60 साल की उम्र में उसे कुल 95 लाख रुपए मिलेंगे. इन 25 सालों में 'A'का टोटल इन्वेस्टमेंट 15 लाख रुपए होगा. रिटर्न 80 लाख के करीब होगा और नेट रिटर्न 95 लाख रुपए होंगे.
Mutual Funds vs Shares: आपके लिए क्या है निवेश का बेहतर तरीका? जानिए पूरी डिटेल
Mutual Funds vs Shares: अगर आप शेयर बाजार में पैसा लगाना चाहते हैं तो सीधा स्टॉक खरीद सकते हैं जिसके लिए डीमैट अकाउंट जरूरी है. इसके अलावा म्यूचुअल फंड की मदद से भी बाजार में पैसा निवेश किया जा सकता है. दोनों में कौन बेहतर है, यह निवेश करने दो प्रमुख तरीके आपके लक्ष्य और रिस्क लेने की क्षमता पर निर्भर करता है.
Mutual Funds vs Shares: शेयर बाजार में निवेश का दो प्रमुख तरीका है. पहला तरीका है कि आप सीधा डीमैट अकाउंट से शेयर खरीदें और लंबी अवधि के निवेशक बनें. दूसरा तरीका है कि आप म्यूचुअल फंड की मदद से बाजार में SIP करें और लंबी अवधि में आपको मोटा रिटर्न मिलेगा. निवेश का दोनों तरीका बेहद पॉप्युलर है. आपके लिए इसमें कौन तरीका ज्यादा सुटेबल है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आफकी बाजार को लेकर समझ कितनी है. अगर समझदारी से निवेश का फैसला नहीं किया तो आपका पैसा डूब भी सकता है.
कब करें सीधा शेयर बाजार में निवेश?
अगर आप शेयर बाजार में दिलचस्पी रखते हैं और बाजार के उठापटक को समझते हैं तो सीधा स्टॉक में निवेश किया जा सकता है. स्टॉक में निवेश के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट अकाउंट की मदद से स्टॉक खरीद और बेच सकते हैं. आपको कहां निवेश करना, किस सेक्टर में निवेश करना है और किस कंपनी का स्टॉक खरीदना है, यह आपका निजी फैसला होगा. हालांकि, बाजार के जानकारों की राय लेना जरूरी होता है. आप सीधा स्टॉक में निवेश करेंगे तो संभव है कि आपक रिटर्न ज्यादा मिले. दूसरी तरफ स्टॉक के गिरने पर नुकसान भी मोटा होगा.
बाजार में निवेश से पहले रिसर्च करना जरूरी होता है. स्टॉक के निवेशक दो तरह के होते हैं. पहला ट्रेडर होते हैं, जिनका यहा पेशा होता है. दूसरा आप धीरे-धीरे स्टॉक में निवेश करें और लंबी अवधि के निवेशक निवेश करने दो प्रमुख तरीके बनें. इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है कि स्टॉक के प्रदर्शन से आपके पोर्टफोलिय पर डायरेक्ट असर होता है, ऐसे में यह आपके लिए इमोशनल जर्नी होती है.
किनके लिए निवेश करने दो प्रमुख तरीके है म्यूचुअल फंड?
जो निवेशक शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें इसके बारे में कम जानकारी है या फिर वे रिस्क नहीं लेना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड बेहतर विकल्प है. म्यूचुअल फंड में आपका पैसा फंड मैनेजर निवेश करता है जिसके पास निवेश और बाजार का लंबा अनुभव होता है. म्यूचुअल फंड का एक और फायदा ये है कि आपका पैसे अलग-अलग असेट्स, अलग-अलग सेक्टर और अलग-अलग स्टॉक में निवेश किया जाता है. डायवर्सिफिकेशन के कारण आपका पोर्टफोलियो बैलेंस्ड रहता है.
आपके लिए दोनों में कौन बेहतर विकल्प है? यह एक कठिन प्रश्न है. हालांकि, यह पूरी तरह आपके लक्ष्य और रिस्क पर निर्भर करता है. अगर निवेश की शुरुआत कर रहे हैं तो म्यूचुअल फंड बेहतर विकल्प माना जाता है. म्यूचुअल फंड में भी इक्विटी फंड का रिस्क ज्यादा होता है, जबकि डेट फंड में रिस्क कम होता है. अगर आप नए हैं और कम रिस्क उठाना चाहते हैं तो एक्सचेंज ट्रेडेड फंड भी निवेश का शानदार विकल्प है. दोनों में कई समानताएं भी हैं.
विदेशी शेयर बाजारों में इन दो तरीकों से आप भी लगा सकते हैं पैसा और कमा सकते हैं मोटा मुनाफा
कोई भी निवेशक घरेलू शेयर बाजारों की तरह विदेशी शेयर बाजारों में भी निवेश कर सकता है। इस निवेश के दो प्रमुख तरीके हैं। पहला तरीका यह है कि निवेशक म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करे। दूसरा तरीका यह है कि वह सीधे ही विदेशी शेयर बाजारों से खरीदारी कर सकता है। म्यूचुअल फंड में कई प्रकार के फंड हैं ,जो विदेश में निवेश का प्रस्ताव देते हैं।
म्यूचुअल फंड में फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) विदेश में निवेश की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। यह फंड आपसे भारतीय करेंसी में पैसा लेकर उसे विदेशी करेंसी में तब्दील कर निवेश करते हैं। एफओएफ और ईटीएफ में मुख्य अंतर यह है कि ईटीएफ की यूनिट एक्सचेंज में ट्रेड करती है। एफओएफ और ईटीएफ को फीडर फंड्स भी कहा जाता है।
सीधे शेयरों में लगाए पैसा या म्यूचुअल फंड का रास्ता अपनाएं?
बाजार की समझ होनी चाहिए
साथ ही शेयर बाजार को प्रभावित करने वाली खबरों की जानकारी भी रखनी चाहिए. कई बार शेयर बाजार आपकी उम्मीद के मुताबिक रिटर्न्स नहीं दे पाता है. इसलिए सही रिटर्न पाने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है. यदि आप सीधे शेयरों में निवेश करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो बाजार की समझ और बहुत ज्यादा धैर्य होना बहुत जरूरी है.
फंड मैनेजर पर जिम्मेदारी
म्यूचुअल फंड के मुकाबले शेयर बाजार में निवेश करना आसान होता है क्योंकि आपके निवेश की नब्ज आपके फंड मैनेजर के पास रहती है. आप म्यूचुअल फंड के माध्यम से जो पैसा निवेश करते हैं उसका प्रबंधन फंड मैनेजर्स करते है. फंड मैनेजर को बाजार के उतार-चढ़ाव की अच्छी समझ होती है. फंड मैनेजर, पोर्टफोलियो जोखिम को कम करने के लिए आपके पैसे को अलग-अलग जगह निवेश करके आपके पैसे का ख्याल रखते हैं. आपको बस निर्धारित समय सीमा के अनुसार उम्मीद के मुताबिक रिटर्न पाने के लिए सही म्यूचुअल फंड स्कीम का चयन करना होता है.