शुरुआती लोगों के लिए अवसर

चलती औसत तुलना

चलती औसत तुलना

Nifty 50 ETF: निवेश के लिए एक बेहतर तरीका

कई निवेशक जिन्हें इक्विटी के बारे में पूरी समझ नहीं हैं, वे अक्सर आश्चर्य करते हैं कि सही निवेश के मौके आने पर शुरुआत कैसे करें। लोग इक्विटी की ओर आमतौर पर इसलिए आकर्षित होते हैं, क्योंकि इसमें लंबी अवधि में मुद्रास्फीति को पछाड़ने की संभावना होती है।

Published: November 11, 2022 10:29:32 am

कई निवेशक जिन्हें इक्विटी के बारे में पूरी समझ नहीं हैं, वे अक्सर आश्चर्य करते हैं कि सही निवेश के मौके आने पर शुरुआत कैसे करें। लोग इक्विटी की ओर आमतौर पर इसलिए आकर्षित होते हैं, क्योंकि इसमें लंबी अवधि में मुद्रास्फीति को पछाड़ने की संभावना होती है। इसके अलावा, हमारे सभी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए इक्विटी एक्सपोजर के तत्व की आवश्यकता होती है, चाहे वह म्यूचुअल फंड के माध्यम से हो या सीधे स्टॉक या इन दोनों के मिले जुले माध्यम से हो। लेकिन, अगर आप इक्विटी में नए हैं और सीधे शेयरों के साथ शुरुआत करना चाहते हैं, तो निवेश करने के लिए सही कंपनी पर निर्णय लेना आसान नहीं है और इससे पहले आपको कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाओं, वैल्यूएशन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियों आदि को समझने की जरूरत है। यहां पर निफ्टी 50 ईटीएफ सामने आता है। ईटीएफ, जो एक विशिष्ट सूचकांक को ट्रैक करता है, इससे एक्सचेंजों पर स्टॉक की तरह कारोबार किया जाता है, लेकिन इसे एक म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा ऑफर किया जाता है।

Nifty 50 ETF: निवेश के लिए एक बेहतर तरीका

बहुत कम राशि में भी एक्सपोजर
ऐसे निवेशकों के लिए निफ्टी 50 ईटीएफ बहुत कम राशि में भी एक्सपोजर देगा। ईटीएफ की एक यूनिट को आप कुछ सौ रुपए में खरीद सकते हैं। उदाहरण के लिए, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ एनएसई पर 185 रुपए की कीमत पर ट्रेड करता है। इस प्रकार आप 500 से 1000 रुपए तक का निवेश कर सकते हैं और एक्सचेंज से निफ्टी 50 ईटीएफ की इकाइयां खरीद सकते हैं। आप हर महीने व्यवस्थित निवेश भी कर सकते हैं। ऐसा करने से आप बाजार के सभी स्तरों पर खरीदारी करेंगे और आपके निवेश की लागत औसत होगी। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ का ट्रैकिंग एरर, जो किसी अंतर्निहित इंडेक्स से फंड रिटर्न के विचलन का एक पैमाना है - 0.03 फीसदी चलती औसत तुलना है, जो निफ्टी 50 ईटीएफ यूनिवर्स में सबसे कम है। सीधे शब्दों में कहें तो यह संख्या जितना कम है, उतना बेहतर।

सबसे बड़ी भारतीय कंपनियां होती है शामिल
निफ्टी 50 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण के मामले में सबसे बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं। इसलिए, निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश एक निवेशक के लिए शेयरों और सेक्टर्स में उम्दा विविधीकरण प्रदान करता है, चलती औसत तुलना क्योंकि यह सूचकांक की राह पर चलता है। आप बाजार समय के दौरान एक्सचेंजों से ईटीएफ के यूनिट्स खरीद और बेच सकते हैं। इस संबंध में, निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार स्टॉक निवेशकों के लिए और सामान्य रूप से अपनी इक्विटी यात्रा शुरू करने वालों के लिए एक स्टार्टिंग पॉइंट में से एक है। एक विविध पोर्टफोलियो किसी निवेशक के लिए जोखिम को कम करता है, जो कि किसी स्टॉक में निवेश करने के मामले में नहीं होता है, क्योंकि यहां बाजार में आने वाला उतार-चढ़ाव कंपनियों के एक बास्केट की तुलना में किसी एक स्टॉक की कीमत को अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है। साथ ही, निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश से मिलने वाला रिटर्न अंतर्निहित सूचकांक में उतार-चढ़ाव की नकल करेगा। केवल ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपको एक डीमैट खाते की आवश्यकता पड़ती है, जिनके पास डीमैट खाता नहीं है वे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।

चलती औसत तुलना

हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं ? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं ? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।

हम औसत का प्रयोग इसलिए करते हैं क्योंकि दो देशों की आर्थिक स्थिति को जाने का यह सबसे अधिक सरल मापदंड हैं। किसी देश की आय को यदि उसकी कुल जनसंख्या से विभाजित कर दिया जाए तो हमें उसकी औसत आय प्राप्त हो जाती हैं। इसी प्रकार औसत विभिन्न विषयों के बारे में प्राप्त की जा सकती हैं।
हालांकि 'औसतें' तुलना के लिहाज़ से उपयोगी हैं, इससे आसमानताएँ छुपती हैं।
उदाहरण के लिए, दो 'देश क' और 'ख' देखते हैं। सरलता के लिए, हम जानते हैं की प्रत्येक देश में 5 निवासी हैं। निम्न तालिका में दिए आँकड़ों के अनुसार, दोनों देशों की औसत आय निकालिए।

देश 2007 में नागरिकों की मानसिक आय (रुपए में )
I II III IV V औसत
देश क 9500 10500 9800 10000 10200 10000
देश ख 500 500 500 500 48000 10000

क्या आपको दोनों देशों में रहने पर बराबर ख़ुशी होगी? क्या दोनों देश बराबर विकसित हैं? शायद हममें से कुछ लोग देश 'ख' में रहना पसंद करेंगे अगर हमें यह आश्‍वासन हो की हम उस देश के पाँचवें नागरिक होंगे। लेकिन अगर हमारी नागरिकता संख्या लॉटरी के ज़रिए निश्चित होगी तो शायद हममें से ज्यादातर लोग देश 'क' में रहना पसदं करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि हालांकि दोनों देशों की औसत आय एक सामान है, देश 'क' के लोग न तो बहुत अमीर हैं न बहुत गरीब, जबकि देश 'ख' के ज़्यादातर नागरिक गरीब हैं और एक व्यक्ति बहुत अमीर है । इसलिए हालाँकि औसत आय तुलना के लिए उपयोगी है इससे यह पता नहीं चलता कि यह आय लोगों में किस तरह वितरित हैं।

गुजरात में 50 सीटों पर लिंग अनुपात 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक हुई कम, जानिए इन क्षेत्रों में महिला और पुरुष मतदाताओं की संख्या में अंतर

Gujarat Election: 2022 की मतदाता सूची के अनुसार सबसे ज्यादा लिंग अनुपात वाले विधानसभा क्षेत्र- व्यारा, महुवा, निज़ार, मनस्वी, वांस्दा हैं. यह सभी आदिवासी आरक्षित सीटें हैं.

By: ABP Live | Updated at : 11 Nov 2022 05:12 PM (IST)

गुजरात विधानसभा चुनाव 2022

Gujarat Election 2022: गुजरात में 2022 की मतदाता सूची के मुताबिक 50 विधानसभा सीटों में लिंग अनुपात गिर गया है. यह 2011 जनगणना की तुलना में कम है. जबकि महिला मतदाताओं में वृद्धि हुई है. 2011 की जनगणना के मुताबिक गुजरात में लिंग अनुपात 937 था. यह जो राष्ट्रीय औसत 943 से काफी नीचे है. हालांकि, गुजरात की 2001 की जनगणना में यह आंकड़ा महज 918 था. ऐसे में चुनाव आयोग के 2022 के मतदाता सूची के आंकड़े से तुलना की जाए तो राज्य में लिंग अनुपात 934 है. इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि 1,000 पुरुषों पर 934 महिलाएं हैं. वहीं, 2017 में कुल मतदाता सूची लिंग अनुपात 921 था.

गुजरात के इस विधानसभा चुनाव में कुल 4.9 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से 2.53 करोड़ पुरुष और 2.37 करोड़ महिलाएं हैं. गुजरात के 33 जिलों में से 21 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर मतदाता सूची में लिंग अनुपात जनगणना संख्या की तुलना में कम है. चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि इस श्रेणी के 50 विधानसभा क्षेत्र में, सबसे कम महिला मतदाता सूरत जिले के उधना में हैं, जहां प्रति 1000 पुरुष मतदाताओं पर महज 731 महिला मतदाता हैं.

महुवा सीट पर 1,000 पुरुषों पर 1048 महिलाएं
सूरत जिले की ही अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित 'महुवा' विधानसभा सीट पर प्रति 1,000 पुरुषों पर 1048 महिलाएं हैं. इसके अलावा आयोग की मतदाता सूची के अनुसार, पूरे राज्य में सबसे ज्यादा लिंग अनुपात वाली सीट तापी जिले के व्यारा है, जहां 1,000 पुरुषों पर 1057 महिलाएं हैं. व्यारा भी आदिवासी सीट है.

इसी तरह 2022 की मतदाता सूची के अनुसार सबसे ज्यादा लिंग अनुपात वाले विधानसभा क्षेत्र- व्यारा, महुवा, निज़ार, मनस्वी, वांस्दा हैं. आपको बता दें कि यह सभी आदिवासी आरक्षित सीटें हैं. हालांकि, ज्यादा जनजातीय आबादी वाली कुछ सीटों पर महिला मतदाता भी कम देखने को मिल रही हैं. जैसे डांग निर्वाचन क्षेत्र में, जनगणना के अनुसार 1000 पुरुषों पर 1007 महिलाएं थीं. हालांकि मतदाता सूची में 995 महिलाएं हैं. इसी तरह, छोटा उदेपुर और पड़ोसी जेतपुर की आदिवासी सीटों में, जनगणना में क्रमशः 994 और 987 के मुकाबले, मतदाता सूची में 949 और 951 लिंग अनुपात है.

News Reels

ग्रामीण सीटों पर कम लिंगानुपात
इसके साथ ही ग्रामीण सीटों पर भी लिंगानुपात कम देखने को मिल रहा है. गुजरात का कृषि प्रधान जिला माने जाने वाले बनासकांठा की नौ विधानसभा सीटों में से छह सीटों का लिंगानुपात जनगणना के आंकड़ों की तुलना में कम है. इसी तरह कांग्रेस के गढ़ अमरेली जिले में पांच में से चार सीटों का लिंगानुपात कम है.

गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद में भी इसी तरह का पैटर्न दिखाई देता है. साबरमती सीट पर जनगणना में 922 की तुलना में सिर्फ 908 महिला मतदाता हैं. वहीं, ऑटोमोबाइल हब साणंद में 943 महिला मतदाता हैं, जबकि जनगणना संख्या में 950 महिला हैं.

इसके अलावा गांधीनगर दक्षिण, साबरमती, गोंडल, धारी, अमरेली, लाठी और कपराडा में 2017 विधानसभा की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या कम है. घाटलोदिया और डांग विधानसभा में 2017 और 2022 के दरमियान लिंग अनुपात में कोई बदलाव नहीं देखा गया है.

Published at : 11 Nov 2022 05:10 PM (IST) Tags: Gujarat Election Gujarat Assembly Election 2022 Gujarat Election 2022 हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Elections News in Hindi

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के ग्लेशियर 2050 तक होंगे गायब, इस नई रिपोर्ट ने दुनिया को फिर डराया

डोलोमाइट्स और योसेमाइट सहित प्रमुख ग्लेशियर 2050 तक गायब हो जाएंगे.(File)

UNESCO Report: यूनेस्को ने कहा कि 50 विश्व धरोहर स्थलों में से एक तिहाई में ग्लेशियर 2050 तक गायब हो जाएंगे अगर मौजूदा हालात बने रहे. अफ्रीका में, सभी विश्व धरोहर स्थलों में ग्लेशियर 2050 तक समाप्त हो जाएंगे, जिसमें किलिमंजारो नेशनल पार्क और माउंट केन्या शामिल हैं. यूरोप में, पाइरेनीज़ और डोलोमाइट्स में कुछ ग्लेशियर भी शायद तीन दशकों के चलती औसत तुलना समय में गायब हो जाएंगे.

  • News18Hindi
  • Last Updated : November 11, 2022, 15:18 IST

हाइलाइट्स

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के ग्लेशियर 2050 तक होंगे गायब
50 विश्व धरोहर स्थलों पर 18,600 ग्लेशियरों का किया गया अध्ययन
UN के मुताबिक ग्लेशियर हर साल 58 बिलियन टन बर्फ खो रहे हैं

जिनेवा. संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट के अनुसार येलोस्टोन और किलिमंजारो नेशनल पार्क सहित चलती औसत तुलना कई यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के ग्लेशियर 2050 तक गायब हो जाएंगे. UN की संस्था UNESCO ने 50 विश्व धरोहर स्थलों पर 18,600 ग्लेशियरों के अध्ययन के बाद लगभग 66,000 वर्ग किलोमीटर (25,000 वर्ग मील) पर ग्लोबल वार्मिंग के पड़ रहे प्रभाव का आकलन किया है. यूनेस्को ने कहा, “अध्ययन से पता चलता है कि ये ग्लेशियर CO2 उत्सर्जन के कारण लगातार पिघल रहे हैं.” एजेंसी ने समझाया कि ग्लेशियर हर साल 58 बिलियन टन बर्फ खो रहे हैं, जो फ्रांस और स्पेन के संयुक्त वार्षिक जल उपयोग के बराबर था, और लगभग पांच प्रतिशत वैश्विक समुद्री स्तर में वृद्धि के लिए जिम्मेदार थे.

एक तिहाई ग्लेशियर 2050 तक होंगे गायब

यूनेस्को ने कहा कि 50 विश्व धरोहर स्थलों चलती औसत तुलना में से एक तिहाई में ग्लेशियर 2050 तक गायब हो जाएंगे अगर मौजूदा हालात बने रहे. अफ्रीका में, सभी विश्व धरोहर स्थलों में ग्लेशियर 2050 तक समाप्त हो जाएंगे, जिसमें किलिमंजारो नेशनल पार्क और माउंट केन्या शामिल हैं. यूरोप में, पाइरेनीज़ और डोलोमाइट्स में कुछ ग्लेशियर भी शायद तीन दशकों के बाद गायब हो जाएंगे. आगे संस्था ने कहा कि यदि पूर्व-औद्योगिक अवधि की तुलना में तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होती है, तो शेष दो तिहाई स्थलों में हिमनदों को बचाना अभी भी संभव है. हालांकि यह टारगेट किसी भी रिपोर्ट में पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा है.

कार्बन उत्सर्जन लगातार जारी

मिस्र में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के बीच आई “ग्लोबल कार्बन बजट 2022” रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022 में 40.6 बिलियन टन CO2 का कुल उत्सर्जन अनुमान 2019 के उच्चतम वार्षिक उत्सर्जन 40.9 बिलियन टन CO2 के करीब है. रिपोर्ट के अनुसार, यदि मौजूदा उत्सर्जन स्तर बना रहता है, तो 50 प्रतिशत संभावना है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस की वार्मिंग नौ वर्षों में पार हो जाएगी. पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित ग्लोबल वार्मिंग सीमा 1.5 डिग्री सेल्सियस है, जो दुनिया को उम्मीद देती है कि यह जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए पर्याप्त चलती औसत तुलना होगी. पूर्व-औद्योगिक (1850-1900) स्तरों के औसत की तुलना में पृथ्वी की वैश्विक सतह के तापमान में लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है और इस बढ़ोतरी को दुनिया भर में रिकॉर्ड सूखे, जंगल की आग और पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़ का कारण माना जाता है.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

Analysis: क्या रोहित शर्मा के अंदर बचा है पुराना क्लास? नए टेम्पलेट का दावा साबित हुआ बकवास

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा का नए टेम्पलेट से खेलने का दावा पूरी तरह खोखला साबित हुआ और इस वजह से टीम इंडिया को टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में हार का मुंह देखना पड़ा। खराब ओपनिंग टीम इंडिया के लिए पूरे टूर्नामेंट में परेशानी का सबब बनी रही।

Updated Nov 12, 2022 | 10:18 AM IST

Rohit-Sharma

रोहित शर्मा( साभार AP)

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम सेमीफाइनल में इंग्लैंड से बुरी तरह हारकर टी20 विश्व कप 2022 से बाहर हो गई। एक बार फिर भारतीय क्रिकेट प्रशंसको का अपनी टीम को वर्ल्ड चैंपियन बनता देखने का सपना पूरा नहीं हो सका। 15 साल से भारतीय टीम की टी20 वर्ल्ड कप में खिताबी जीत की बाट जोह रहे हैं लेकिन उनका इंतजार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा।

टीम इंडिया बार-बार आईसीसी ट्रॉफी जीतने से चूक रही है। साल 2013 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद से टीम इंडिया का सफर नॉकआउट दौर में ही थम रहा है। दो बार फाइनल में पहुंचने का मौका मिला लेकिन साल 2014 में श्रीलंका के खिलाफ और 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान के खिलाफ भारत को मुंह की खानी पड़ी और खिताब हाथ नहीं लगा।

सलामी जोड़ी बनी हार की वजह

इस बार विश्व कप में ग्रुप दौर में भारतीय टीम की खिताब नहीं जीत पाई इसकी मुख्य चलती औसत तुलना वजह टीम की सलामी जोड़ी रही। आठवीं बार टी20 विश्व कप में शिरकत कर रहे कप्तान रोहित शर्मा बल्ले से वो जलवा लगातार दूसरी बार दिखाने में नाकाम रहे। 2019 में इंग्लैंड में वनडे विश्व कप में रोहित शर्मा ने 5 शतक जड़कर जो धमाल किया था। वो धमक लगातार फीकी होती गई लेकिन प्रशंसक, टीम मैनेजमेंट और चयनकर्ता सभी हिटमैन के फॉर्म में आ रही गिरावट को नजर अंदाज करते रहे।

IND vs ENG

IND vs ENG: सेमीफाइनल में करारी हार के बाद भावुक हुए रोहित शर्मा, छलक पड़े आंसू

 20

हार के बाद अब होगी बड़े बदलाव की शुरुआत, कई सीनियर खिलाड़ी नहीं खेलेंगे टी20ः सूत्र

हिटमैन रहे सुपर फ्लॉप

रोहित शर्मा टी20 विश्व कप 2022 में बल्ले से पूरी तरह फ्लॉप रहे। टूर्नामेंट में खेले 6 मैच की 6 पारियों में उन्होंने 19.33 के औसत और 106.42 के स्ट्राइक रेट से केवल 116 रन बना सके। उनका सर्वाधिक स्कोर 53(39) रन रहा। ये पारी उन्होंने नीदरलैंड जैसी कमजोर टीम के खिलाफ खेली थी। वो भारत के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों में पांचवें स्थान पर रहे। पिछले साल यूएई में आयोजित विश्व कप में उनका प्रदर्शन बेहतर रहा था। पिछले साल उन्होंने 5 मैच की 5 पारियों में 34.80 के औसत और 151.30 के स्ट्राइक रेट से 174 रन बनाए थे। 74 उनका सर्वाधिक स्कोर रहा था और उन्होंने 2 अर्धशतक जड़े थे।

नहीं रहा बल्ले में पुराना पैनापन

मेरा सवाल रोहित शर्मा के प्रशंसकों से है आपको याद है रोहित ने आखिरी बार कब बगैर ताकत के मिड विकेट या मिड ऑन की दिशा में छक्के जड़े हों या शॉट बॉल पर पुल शॉट खेलकर गेंद को बिना किसी परेशानी के बाउंडी के पार पहुंचाकर विरोधी गेंदबाजों की बखिया उधेड़ी हो। आपको भी इसके लिए अपने दिमाग पर जोर लगाना पड़ रहा है क्योंकि जो बात कुछ साल पहले रोजमर्रा की थी वो अब कभी-कभी होने वाली वारदात जैसी हो गई है। रोहित भी अगर आईने के सामने खड़े होकर खुद से यह सवाल पूछें कि क्या उनमें पुरानी बात रह गई है तो झूठ नहीं बोल पाएंगे। हकीकत तो यही है कि उनके बल्ले में पुराना पैनापन नहीं रह गया है।

तीन साल से आईपीएल में हाल बेहाल

आंकड़े भी साल 2019 के बाद से रोहित के टी20 क्रिकेट में फॉर्म में गिरावट की तस्दीक करते हैं। आईपीएल में देखें तो पिछले तीन सीजन में रोहित ने 39 मैच खेल और इस दौरान 25.15 के औसत और 125.44 के स्ट्राइक रेट से 981 रन बनाए। तीन सीजन में वो एक बार भी 400 रन के आंकड़े को पार नहीं कर सके। आईपीएल पिछले तीन सीजन में रोहित ने 268, 381 और 332 रन बनाए। इन तीन सीजन में वो केवल 4 अर्धशतक जड़ सके, 80 रन उनका सर्वाधिक स्कोर रहा।

T20 world Cup

T20 world Cup: सेमीफाइनल में हार के बाद माइकल वॉन ने उठाए टीम इंडिया की काबीलियत पर सवाल

आईपीएल 2022 में किया सबसे खराब प्रदर्शन

पिछला आईपीएल सीजन उनके करियर का सबसे खराब सीजन रहा जिसमें 14 मैच में वो 19.14 के औसत और 120.89 के स्ट्राइक रेट से कुल 268 रन बना सके। उनका सर्वाधिक स्कोर 48 रन रहा और वो एक बार भी पचास रन के आंकड़े को पार नहीं कर सके।

साल 2022 में अंतरराष्ट्रीय टी20 में फीका रहा प्रदर्शनसाल 2022 में रोहित शर्मा ने कुल 29 अंतरराष्ट्रीय टी20 मुकाबले खेले। इस दौरान 29 पारियों चलती औसत तुलना में से 2 बार नाबाद रहते हुए उन्होंने 24.29 के औसत 134.42 के स्ट्राइक रेट से कुल 656 रन बनाए। इस दौरान केवल तीन अर्धशतक उनके बल्ले से निकले। 72 रन उनका सर्वाधिक स्कोर रहा।

प्रदर्शन में आई बड़ी गिरावट

साल 2019 से 2021 तक रोहित शर्मा ने कुल 29 अंतरराष्ट्रीय टी20 मैच खेल। इस दौरान उन्होंने 29 मैच की 29 चलती औसत तुलना पारियों में एक बार नाबाद रहते हुए 960 रन 660 गेंदों का सामना करते हुए बनाए। इस दौरान उनका औसत 34.28 और स्ट्राइक रेट 145.45 का था और उन्होंने 11 अर्धशतक जड़े थे।

खोखला साबित हुआ नया टेम्पलेट

इन दोनों आंकड़ों की तुलना करने पर पता चलता है कि रोहित शर्मा ने अपने खेल का तरीका बदला ये दावा बिलकुल खोखला है। रोहित का पुराना तरीका ही टीम इंडिया के लिए और व्यक्तिगत तौर पर उनके लिए फायदेमंद था। इस साल रोहित 29 मैच में केवल 488 गेंद खेल सके जबकि पिछले 29 मैचों में उन्होंने 660 गेंदों का सामना किया था। नए अंदाज की क्रिकेट खेलने से उनके औसत में तकरीबन 10 और स्ट्राइक रेट में 11 की गिरावट आई है। इन 29 मैचों में 3 बार 50 रन से ज्यादा बना सके। जबकि इससे पहले के 29 मैचों में उन्होंने 11 बार अर्धशतक जड़ा था और 85 उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर रहा था।

रेटिंग: 4.91
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 331
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *