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स्टॉप लॉस क्या होता है

स्टॉप लॉस क्या होता है
Stop Loss

Trailing Stop loss – ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस क्या है ?(What is Trailing Stop-loss)

दोस्तों आज हम सीखेंगे कि ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस क्या है ? ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करें?

ट्रैलिंग स्टॉप-लॉस के लाभ.

ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करें?

वास्तव में, इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) में ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। और ट्रेलिंग स्टॉप लॉस के जरिए आप अपनी इनकम को और भी ज्यादा बढ़ा सकते हैं।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए बने रहें।

स्टॉप लॉस क्या है -What is Stop Loss?

ट्रेलिंग स्टॉप लॉस शब्द स्टॉप लॉस (Stop -Loss) से आया है।

हमें स्टॉप लॉस के बारे में जानने की जरूरत है।

स्टॉप लॉस का मतलब है अतिरिक्त नुकसान से बचना। शेयर बाजार में लाभ और हानि दोनों होते हैं।

शेयर की मूल्य वृद्धि जितनी अधिक होगी, आपका लाभ उतना ही अधिक होगा।

लेकिन शेयर की मूल्य गिरावट जितनी अधिक होगी, आपका नुकसान उतना ही अधिक होगा। यदि शेयर की कीमत में अनियमित रूप से गिरावट जारी रहती है, तो आपको अधिक नुकसान होता है।

तो आपको इस अतिरिक्त नुकसान से बचने के स्टॉप लॉस क्या होता है लिए स्टॉप लॉस (Stop -Loss) का उपयोग करने की आवश्यकता है।

शेयर खरीदने से पहले आपको यह तय करना होगा कि शेयर की कीमत कितनी बढ़ जाएगी और अगर कीमत कम हो जाती है तो आप कितना नुकसान उठा सकते हैं।

मान लीजिए आपने 120 रुपये में एक शेयर खरीदा।

Stop Loss – Example

आप 140 रुपये या 20 रुपये के लाभ का लक्ष्य निर्धारित करते हैं, और आपको इसके विपरीत सोचना होगा, यदि शेयर की कीमत गिरती है, तो आप तय करते हैं कि आपके पास 5 रुपये या 7 रुपये का नुकसान करने की शक्ति है।

120-140 = 20/- प्रति शेयर लाभ

120-113 = 7/- प्रति शेयर हानि

यदि शेयर की कीमत गिरती है और 7 रुपये से नीचे आती है, तो शेयर अपने आप बिक जाएंगे।

देखा गया कि शेयर 120 रुपये से कमकर 100 रुपये हो गए, लेकिन जब से आपने स्टॉप लॉस का इस्तेमाल किया है तो आपको प्रति शेयर अधिकतम 7 रुपये का नुकसान होगा।

इस तरह आप अतिरिक्त नुकसान से बचेंगे। स्टॉप लॉस का उपयोग शेयरों को स्वचालित रूप से बेचने के लिए किया जाता है। आप जानते हैं, इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान शेयरों में बहुत उतार-चढ़ाव होता है।

बहुत से लोग हैं जो इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) में हर दिन घाटा कर रहे हैं, इन घाटे का मुख्य कारण स्टॉप लॉस का उपयोग नहीं करना है।

दूसरा सवाल है कि स्टॉप लॉस कैसे लगाया जाए?

जब आप कोई शेयर खरीदते हैं, तो आपको शेयर की कीमत दर लिखकर ऑर्डर बॉक्स (Order Box) में स्टॉप लॉस के लिए एक अलग घर मिलेगा।

उस स्थिति में, पहले खरीद आदेश (Order) पूरा करें।

फिर सेल ऑर्डर(Sell Order) चुनें और स्टॉपलॉस बॉक्स (Stop Loss Box) में स्टॉप लॉस प्राइस (Stop loss Price) दर्ज करें।

Stop Loss

Stop Loss

अब सवाल यह है कि किसी शेयर को कितना पैसा रोका जाए, यह महत्वपूर्ण है।

मान लीजिए आप 100 रुपये के शेयर पर 5 रुपये का स्टॉप लॉस लगाते हैं।

10000 रुपये के शेयर पर 5 रुपये का स्टॉप लॉस लगाते हैं।

यह गलत तरीका है, कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन सा स्टॉक खरीदते हैं, बड़ा या छोटा, स्टॉप लॉस बनाने का मुख्य तरीका उस स्टॉक के Support में स्टॉप लॉस लगाना है।

Support क्या है जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Read – What is Support & Resistance

दूसरा तरीका यह है कि लाभ और लॉस अनुपात 2:1 या 3:1 . होना चाहिए।

दूसरे शब्दों में, यदि आपके पास 1 टका खोने की क्षमता है, तो आपको 3 टका का लक्ष्य रखना होगा।

आइए अब अपने मुख्य विषय पर आते हैं – Trailing Stop loss

ट्रेलिंग स्टॉप लॉस वह राशि है जिसे आप नुकसान की क्षमता रखते हैं, उस नुकसान की मात्रा और कम हो जाती है।

मैंने इस मामले में स्टॉपलॉस का उदाहरण दिया।

आपके पास प्रति शेयर 7 रुपये नुकसान की शक्ति है। यदि शेयर खरीदने के बाद भी शेयर की कीमत बढ़ती रहती है, तो मान लीजिए कि यह एक 120 से बढ़कर 125 रुपये हो जाती है।

फिर आपको स्टॉप लॉस को और कम करना होगा।आप स्टॉप लॉस को 7 रुपये से घटाकर तीन रुपये या चार रुपये कर सकते हैं।

फिर देखने को मिला कि शेयर 130 रुपये तक पहुंच गया।

उस स्थिति में आप अपने शेयरों के खरीद मूल्य के करीब 120 रुपये पर स्टॉप लॉस लगा सकते हैं।

फिर देखने को मिला कि शेयर 135 रुपये तक पहुंच गया। तब आप अपना स्टॉप लॉस 125 रुपये कर सकते हैं।

एक शब्द में, शेयर की कीमत बढ़ने पर स्टॉप लॉस कमना चाहिए।

जब आप देखते हैं कि ट्रेलिंग स्टॉप लॉस आपके स्टॉक की कीमत से ऊपर पहुंच गया है, तो आप समझ सकते हैं कि आपको किसी भी तरह के नुकसान की कोई संभावना नहीं है, आपको 100% लाभ होगा।

दूसरा सवाल है कि ट्रेलिंग स्टॉप (Trailing Stop loss) कैसे लगाया जाए?

अब प्रश्न यह है कि आप ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करते हैं?

आपको अलग से कोई ट्रेलिंग स्टॉप लॉस नहीं उठाना पड़ेगा। स्टॉप लॉस ऑर्डर देने से पहले आपको स्टॉप लॉस बदलने का विकल्प मिलेगा।

जिससे आप अपने स्टॉप लॉस को धीरे-धीरे कम कर सकते हैं।

स्टॉप लॉस (Stop loss) आपको अतिरिक्त नुकसान से बचाने की कोशिश करता है

ट्रेलिंग स्टॉप लॉस (Trailing Stop loss) आपके प्रॉफिट मार्जिन को बढ़ाने की कोशिश करता है।

तो अगर आप शेयर बाजार में काम करना चाहते हैं।

तो आपको इन दो तरीकों को ध्यान में रखकर काम करना होगा।

अगर आपको शेयर बाजार के बारे में ज्यादा अनुभव नहीं है।

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मेरी आखिरी पंक्ति

मुझे आशा है कि आपको यह लेख Trailing Stop loss – ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस क्या है ?(What is Trailing Stop-loss) पसंद आया होगा। यदि आपका कोई प्रश्न या टिप्पणी है, तो बेझिझक हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।

मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने पूछा Stop स्टॉप लॉस क्या होता है Loss को हिंदी में क्या कहते हैं? Twitter पर आए ऐसे मजेदार रिएक्शन

Hindi Diwas 2022: हिंदी के चाहने वालों के लिए 14 सितंबर का दिन बेहद खास है. क्योंकि, इसे 'हिंदी दिवस' (Hindi Diwas 2022) के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद है दुनियाभर में हिंदी का प्रचार-प्रसार करना. साथ ही हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करना भी इसका एक मकसद है. विश्व में जहां भी भारतीय दूतावास हैं, वहां खासतौर पर इस दिन को मनाया जाता है. देशभर के सभी सरकारी कार्यालयों और विश्वविद्यालयों में इसे मनाया जाता है. बता दें कि देश में पहला हिंदी दिवस साल 1953 में मनाया गया था. आज इसे ही सेलिब्रेट करते हुए मार्केट गुरु और ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर ने भी मार्केट से जुड़ी टर्म को हिंदी में है.

स्टॉप लॉस को हिंदी क्या कहते हैं?

मार्केट को ट्रैक करने वाले, ट्रेड करने वाले और देखने वालों को पता होता है कि स्टॉक मार्केट में स्टॉप लॉस क्या होता है. Stop Loss, वह मूल्य है जो शेयर मार्केट में ट्रेडर को ज्यादा नुकसान होने से बचाता है. यह ट्रेडर्स के जोखिम को कम कर उन्हें सही समय पर मार्केट से बाहर निकलने की अनुमति देता है. ये तो हुई इसकी परिभाषा. लेकिन, सवाल ये है कि आखिर इस Stop Loss को हिंदी में क्या कहते हैं. अनिल सिंघवी ने दर्शकों से पूछा तो लोगों ने भी ट्वीट कर बताया कि इसकी हिंदी क्या हो सकती है.

यूजर्स ने दिए मजेदार रिएक्शन

अनिल सिंघवी के सवाल पर लोगों ने कई तरह से Stop Loss की हिंदी बताई है. एक यूजर ने इसे हानि रोधक लिखा है. वहीं, एक अन्य यूजर ने इसे भागने में भलाई बताया है.

© Zee Business हिंदी द्वारा प्रदत्त Stop Loss in Hindi: Zee Business managing editor Anil Singhvi asked audience what is Hindi of Stop loss on Hindi Diwas 2022 © Zee Business हिंदी द्वारा प्रदत्त Stop Loss in Hindi: Zee Business managing editor Anil Singhvi asked audience what is Hindi of Stop loss on Hindi Diwas 2022

आप भी करते हैं 10 रुपये से कम वाले शेयर में निवेश, जानें- पेनी स्टॉक के रिस्क और फायदे?

बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में सबसे ज्यादा नुकसान पेनी स्टॉक्स के निवेशकों को उठाना पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है कि एक बार में सारे पैसे डूब जाते हैं. साथ ही कई पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले भी निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी शेयर खरीद कर दाम बढ़ाते हैं.

पेनी स्टॉक्स के बारे में

सरबजीत कौर

  • नई दिल्ली,
  • 19 अक्टूबर 2021,
  • (अपडेटेड 19 अक्टूबर 2021, 9:18 PM IST)
  • पेनी स्टॉक्स से निवेशक को दूर रहने की सलाह
  • बेस्ट क्वालिटी शेयरों में निवेश करना चाहिए
  • बाजार में गिरावट आने से पेनी स्टॉक्स सबसे ज्यादा प्रभावित

पिछले दो साल से शेयर बाजार में आ रही तेजी ने कई नए निवेशकों को निवेश के लिए आकर्षित किया है. ऐसे में सिर्फ लंबी अवधि के निवेशक ही नहीं, बल्कि ट्रेडिंग करने वालों को भी काफी फायदा मिल रहा है. लेकिन कई लोग जो बाजार में नए हैं उनके के पास सेविंग के ज्यादा पैसे नहीं होते हैं. ऐसे में वो लोग कम कीमत वाले शेयरों में पैसा लगाना चाहते हैं. जिनमें निवेश से उन्हें पैसे भी ज्यादा न लगाने पड़े और फायदा भी ज्यादा मिल जाए. लेकिन ऐसे शेयरों में मुनाफे से ज्यादा रिस्क बहुत होता है. इन्ही कम कीमत वाले शेयरों को जिनका मार्केट कैप भी कम होता है, उन्हें हम पेनी स्टॉक या भंगार शेयर कहते हैं. साधारण भाषा में जानें तो ज्यादातर जिन कंपनियों के शेयर 10 रुपये या उससे कम के होते हैं उन्हें पेनी स्टॉक्स कहा जाता है.

कितना रिस्क है:

पेनी स्टॉक्स सस्ते जरूर होते हैं लेकिन इनमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है.

एस्कॉर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड- आसिफ इकबाल का मानना है कि जैसे कि-बाजार अपने नए स्तर को छू रहा है और अबतक की सबसे ज्यादा तेजी है. ऐसे में निवेशकों को संभलकर रहने की जरूरत और बेस्ट क्वालिटी शेयरों पर निवेश करना चाहिए. अगर बाजार में यहां से गिरावट आई तो पेनी स्टॉक्स में सबसे ज्यादा नुकसान होगा. ये एक तरह से बर्निंग ट्रेन में यात्रा करने के समान है. इसलिए, इससे बेहतर हैं कि आप ट्रेन में बोर्ड करने से पहले ही संभल जाएं. पेनी स्टॉक्स में निवेश से पहले कंपनी के गुड मैनेजमेंट, बिजनेस और आउटलुक को देखना बहुत जरूरी है. साथ ही ये देखना अनिवार्य होता है कि कंपनी के पास जीरो डेट या कर्ज ना के बराबर है.'

बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में सबसे ज्यादा नुकसान पेनी स्टॉक्स के निवेशकों को उठाना पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है कि एक बार में सारे पैसे डूब जाते हैं. साथ ही कई पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले भी निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी शेयर खरीद कर दाम बढ़ाते हैं. ऐसे समय में निवेशकों को बड़ी बारीकी से पेनी स्टॉक्स के रिस्क और मुनाफे को समझना होगा. बिना सही जानकारी के निवेश करने से भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

आसिफ के मुताबिक-‘पेनी स्टॉक्स में 5 फीसदी से ज्यादा निवेश न करें. हमेशा किसी भी स्टॉक में पोजिशन लेने से पहले अपने स्टॉप लॉस को ध्यान में रखकर ही निवेश करें’.

पेनी स्टॉक की कीमत बहुत कम होती है. जिसकी वजह से पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले लोग शेयर में खुद ही पैसा लगाकर उसकी कीमत बढ़ा देते हैं. जिसकी वजह से बाजार में निवेश रिटर्न और कीमत देखकर और निवेश करने लगते हैं. जिसका कारण है कि पेनी स्टॉक्स के शेयरों में तेजी आने लगती है. ऐसे समय में पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले शेयर को बेचकर निकल जाते हैं और मुनाफा कमा लेते हैं. इन सब बातों से कई बार नए निवेशक को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.

कितना फायदा:

पेनी स्टॉक्स की कीमत कम होने के कारण उनमें निवेश आसान होता है. कई बार बाजार में तेजी का फायदा ज्यादा होता है.

मान लिजिए उदाहरण के तौर पर X निवेशक ने किसी कंपनी के 5 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 10000 शेयर लिए. इन्वेस्टर ने कुल 50,000 रुपये का निवेश किया. अब शेयर की कीमत एक दिन में प्रति शेयर 10 रुपये तक गई. निवेशक को 5 रुपये प्रति शेयर का मुनाफा हुआ. कुल निवेश 50,000 रुपये का था जो बाजार में आई तेजी से बढ़कर 1,00,000 रुपये हो गया. यानी की एक दिन में 50,000 रुपये से अधिक का फायदा संभव है. बाजार में तेजी के रूख से सबसे ज्यादा फायदे की संभानवा होती है.

प्रॉफिटमार्ट सिक्योरिटी के डायरेक्टर, अविनाश गोरक्षकर के मुताबिक-‘आमतौर पर बाजार में जब तेजी का रुख आता है तो पेनी स्टॉक्स ही सबसे पहले भागते हैं और बाजार के गिरते ही लोग पेनी स्टॉक्स को भूलना शुरू कर देते हैं. ऐसा नहीं है कि सभी पेनी स्टॉक्स में निवेश करना खराब होता है. बिजनेस मॉडल कैसा है, फ्यूचर कैसा है, कितना कर्ज है ये सब पहले देख लें उसके बाद ही उस पेनी स्टॉक में निवेश करें’.

लेकिन कई बार स्थिति काफी अलग होती है. अविनाश का मानना है कि-‘पेनी स्टॉक्स जिनका बिजनेस मॉडल खराब है, जिस पर कर्ज है वो सबसे ज्यादा क्लासिक केस होते हैं जिनकी अंडरलाइंग वैल्यू बिना किसी कारण या सही तर्क के बढ़ जाती है. सबसे बेहतरीन उदाहरण है दीवान हाउसिंग, सुजलॉन, यस बैंक जैसी कंपनियां का, जहां रिटेल इन्वेस्टर्स ने अपने हिस्से को अचानक से बढ़ा दिया और इन कंपनियों के शेयर में इंस्टीट्यूशनल निवेशक आज बाहर हैं.’

अगर किसी के पास सीमित कैपिटल है और जिनके पास 100 फीसदी कैपिटल नुकसान को झेलने की शक्ति न हो तो ऐसे में उन लोगों को पेनी स्टॉक्स में निवेश नहीं करना चाहिए. इससे साफ है कि मुनाफ या रिवार्ड 5x या 20x संभव है. लेकिन, रिस्क की बात करें तो अगर पेनी स्टॉक्स सही परफॉर्म नहीं करेंगे तो निवेशक को 100 फीसदी कैपिटल नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.

आगे अविनाश कहते हैं कि-‘जहां तक पेनी स्टॉक में रिस्क और मुनाफे का सवाल है इसमें कोई मार्जिन की सुरक्षा गारंटी नहीं होती. साथ ही शेयर से जुड़े सभी उतार-चढ़ाव बाजार की खबरों पर निर्भर करता है. बहुत ही कम देखा गया है कि पेनी स्टॉक्स मल्टी बैगर के रूप में सामने आया. सबसे बेहतरीन उदाहरण है Symphony कंपनी का शेयर. कुछ साल पहले Symphony का शेयर 10 रुपये के नीचे था और आज की तारीख में देखें तो कंपनी का शेयर 2000 रुपये का स्टॉप लॉस क्या होता है शेयर है. लेकिन, ध्यान रहे कि पेनी स्टॉक्स में सक्कसेस रेट केवल 1 से 2 फीसदी के बीच का ही होता है.’

पेनी स्टॉक्स में निवेश करने से पहले रखें ध्यान:

·पेनी स्टॉक्स में निवेश करना हमेशा जोखिम भरा होता है. इसमें निवेशकों को लाभ से ज्यादा नुकसान का रिस्क होता है.
·लो-लिक्विडिटी की वजह से खरीद-बिक्री में मुश्किल होता है. साथ ही, उतार-चढ़ाव काफी होता है जिसकी वजह से अचानक कीमत के गिरने के निवेशकों को नुकसान सा सामना करना पड़ता है. इसलिए निवेशकों के लिए इन सब बातों का ध्यान देना जरूरी है.
·कई बार निवेशकों कंपनी के बिना किसी भविष्य की योजना को देखे निवेश कर देते हैं. ऐसे में निवेशकों को कंपनी की ग्रोथ का सही अंदाजा नहीं होता है और उन्हें नुकसान झेलना पड़ता है. इसका ध्यान देना बहुत जरूरी है.
·पेनी स्टॉक्स की ऊपर जाने की सीमा नहीं इसलिए गिरावट का भी उतना खतरा रहता है.
·केवल 2-3 शेयरों में निवेश करना बुद्धिमानी, केवल शॉर्ट-टर्म के लिए करें निवेश.
·पेनी स्टॉक से जुड़े अफवाहों पर ना जाएं. साथ ही, जल्दबाजी में निवेश करने के बचें.
·याद रखें, पेनी स्टॉक "उच्च जोखिम वाले" स्टॉक की तरह. खुदरा निवेशकों के लिए,म्यूचुअल फंड्स अधिक सुरक्षित हैं.
·कई बार पेनी स्टॉक ऑपरेट करने वाले शेयर में पैसा लगाकर कीमत बढ़ाते है. जिसके कारण रिटर्न और कीमत से होते हैं निवेशक आकर्षित. इसपर ध्यान दें.
· स्टॉक ऑपरेटर तेजी का फायदा उठाकर बाद में बेच देते हैं शेयर. इसलिए स्टॉक ऑपरेटर की चाल से निवेशक रहें सावधान.
·हमेशा कंपनी की ग्रोथ, योजनाओं को ध्यान में रखकर करें निवेश. साथ ही, बिजनेस मॉडल, फ्यूचर, कर्ज देखकर करें पेनी स्टॉक में निवेश
·पेनी स्टॉक्स में अगर ट्रेडिंग कर रहें हैं तो बच कर रहें. लंबी अवधि के निवेशक हमेशा रहें दूर.

लोगों को यही सलाह है कि वो पेनी स्टॉक्स में अगर ट्रेडिंग कर रहे हैं तो बच कर रहें और कोई लालच ना करें. बिना स्टॉपलॉस के ट्रेड ना करें और अपना सौदा हमेशा टारगेट के पूरा होते ही काट लें वरना भारी नुकसान बाद में झेल सकते हैं. अच्छे निवेशकों को यही सलाह है कि पेनी स्टॉक्स में निवेश से दूर रहें और फंडामेंटल मजबूत कंपनियों में निवेश करें. कंपनी की आर्थिक, बैलेंस शीट जरूर चेक करें. सबसे अहम बात है कि बिना किसी निवेश सलाहकार के कभी निवेश न करें. अगर अधूरे ज्ञान के साथ आप निवेश करेंगे तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए हमेशा समझदारी से सोच-समझकर निवेश करें.

Trailing Stop Loss टूल के साथ अपने मुनाफे को सुरक्षित करें

क्या आपने कभी अपने कंप्यूटर से दूर होने के दौरान अचानक बाजार में गिरावट की वजय से एक अच्छे ट्रेड में भी लाभ का एक बड़ा हिस्सा खो दिया है? आप अकेले नहीं हैं। सौभाग्य से, Olymp Trade का Trailing Stop Loss टूल पुन: इसे होने से रोक सकता है।

Trailing Stop Loss क्या है?

ट्रेडिंग पोज़िशन्स खोलने के लिए एक नियमित स्टॉप लॉस विशेषता की तरह Trailing Stop Loss टूल भी इनमें से एक है। यदि परिसंपत्ति की कीमत गलत दिशा में एक निश्चित राशि से अधिक जाती है तो ट्रेडर को नुकसान होने से यह रोकता है।

टूर्नामेंट के दौरान एक निश्चित स्तर प्राप्त करने के लिए पिछले 5 वर्ष के टूर्नामेंट के प्रतिभागियों को यह टूल इनाम स्वरुप पहली बार दिया गया था, यद्यपि अतिरिक्त ग्राहकों को जल्द ही इस अद्भुत सुविधा तक पहुंच प्राप्त होगी।

एक नियमित स्टॉप लॉस में और trailing stop loss में सबसे महत्वपूर्ण अंतर यह है कि यह एक ट्रेडर को पहले से ही किसी अच्छे ट्रेड पर किए गए लाभ को “लॉक इन” बिना पोज़िशन का अंत किए या “टेक प्रॉफिट” विकल्प का उपयोग किए कर सकता है।

इसके अतिरिक्त, यह ट्रेडर को इस चिंता के बिना अपने कंप्यूटर स्क्रीन या फोन से दूर रहने में सक्षम बनाता है कि अगर वे दूर रहें तो बाजार में आकस्मिक बदलाव से उनके पैसे डूब सकते हैं।

Trailing Stop Loss कैसे काम करता है?

Trailing stop loss उस परिसंपत्ति की कीमत के साथ चलता है जो आप ट्रेड कर रहे हैं और यह अप (बाय) और डाउन (सेल) दोनों के लिए काम करता है जो Olymp Trade प्लेटफॉर्म के विदेशी मुद्रा साइड में है।

यहाँ कुछ उदाहरण हैं:

आप $100 के एक ऑर्डर के साथ $1450 डॉलर प्रति औंस पर सोने पर एक ट्रेड खोलते हैं। आप ट्रेड राशि के $10 (10%) पर Trailing Stop Loss निर्धारित करते हैं। फिर सोने की कीमत वैसे ही बढ़ने लगती है जैसे आपने $1475 की भविष्यवाणी की थी, लेकिन आपको महसूस होता है कि यह और अधिक बढ़ सकती है और आप ट्रेड से निकलना नहीं चाहते हैं। आपका Trailing Stop Loss मूल्य वृद्धि के साथ चलता है और अब यदि आपकी स्थिति $1475 की कीमत में $10 गिरावट आती है तो स्वचालित रूप से बंद हो जाता है ।

यहीं पर Trailing Stop Loss आपको मन की शांति देता है। यदि मूल्य में वृद्धि जारी है, तो आपकी स्थिति सुरक्षित है क्योंकि यह अभी भी खुली हुई है। मान लीजिए कि सोना $1485 डॉलर को छूता है, लेकिन अचानक मोड़ लेकर वापस $1450 पर गिर जाता है। आपके Trailing Stop Loss द्वारा अपने लाभ को संरक्षित करते हुए $1475 में अपनी स्थिति बेच चुकी होगी, भले ही आप इसे नियंत्रित करने के लिए कंप्यूटर पर नहीं थे।

यह डाउन (सेल) स्थिति के साथ भी इसी तरह से काम करता है।

आपके Trailing Stop Loss द्वारा $1445 डॉलर में आप की पोज़िशन को बंद कर दिया जाएगा, फलस्वरूप कीमत में अचानक उलटफेर के बावजूद आपके लिए कुछ लाभ सरक्षित रहेंगे।

कुछ अतिरिक्त सलाह

Trailing stop loss का उपयोग करते समय कुछ अन्य बातों पर विचार करना ज़रूरी है।

  1. इसे बहुत छोटा न करें – यदि आप अपने trailing stop loss को बहुत छोटा करते हैं, तो यह किसी परिसंपत्ति की कीमत में छोटे उतार-चढ़ाव पर भी आपके ट्रेड को बंद कर सकता है। एक अच्छा नियम ट्रेड राशि का 10-20% है।
  2. Trailing stop loss इंटर करने की प्रतीक्षा न करें – कई निवेशक Trailing stop loss को सेट करने में विलम्ब करने की गलती करते हैं जब तक कि वे अपने कंप्यूटर को छोड़ने या कुछ और करने के लिए व्यस्त हो नहीं जाते हैं। यदि आपके पास एक समय में कई अलग-अलग खुले पोज़िशन हैं, तो आप आसानी से सभी Trailing stop loss सेटिंग्स सेट करना भूल सकते हैं।

इसके अतिरिक्त, भले ही आप अपने कंप्यूटर या फोन पर हों, लेकिन यदि आपके पास विभिन्न बाजारों में कई खुले पोज़िशन हैं, तो आप अचानक प्राइस रिवर्सल की वजय से घाटे में फँस सकते हैं क्योंकि आप इसे समझने और पोज़िशन को बंद करने में देरी कर सकते हैं।

बाद में निराश होने से अच्छा है सुरक्षित रहना |

अंत में, टूल का लाभ उठाने के लिए प्लेटफार्म पर सेटिंग मेनू में Stop Loss / Take Profit फ़ीचर को चालू करना सुनिश्चित करें।

निष्कर्ष

Olymp Trade अपने ग्राहकों के लिए पेशेवर टूल और संसाधनों में उत्कृष्ट प्रदान करना जारी रखता है और Trailing Stop Loss टूल इसका एक और शक्तिशाली उदाहरण है।

अधिक लाभ कमाने और अपने नुकसान को कम करने के लिए trailing stop loss से फायदा उठाएं। शुभ ट्रेडिंग।

कैसे पाएं शेयर में लॉस पर काबू और समझिये स्टॉक मार्किट सपोर्ट लेवल

What is a Stop Loss Order and how to recover loss techniques in hindi हिंदी

सुझाव है कि अगर कोई शेयर आपके स्टॉप लॉस को हिट कर रहा हो तो थोड़ा लॉस बुक कर उससे निकल जाइए। अगर आप उसे फिर से खरीदना चाहते हैं तो अंदाज के आधार पर मत खरीदिए। पता कीजिए कि उसका सपोर्ट लेवल क्या है।
सुनने में ये बात जरा असामान्य लग सकती है कि लॉस यानी नुकसान को आखिर ट्रेडिंग का अनिवार्य अंग कैसे माना जा सकता है। लेकिन यह सच है। वास्तविकता के धरातल पर हर ट्रेडर को इस सच का सामना करना ही पड़ता है। आपके फंडामेंटल और तकनीकी विश्लेषण चाहे कितने ही दुरुस्त हों, इसके बावजूद आपको ट्रेडिंग में नुकसान का झटका लग सकता है। वजह यह है कि शेयर बाजार इतना अनिश्चित है कि इसमें कई बार सारे विश्लेषण धरे रह जाते हैं। इसलिए ट्रेडिंग में प्रॉफिट की तरह लॉस भी स्वाभाविक है। जरूरत इस बात की है कि नुकसान को कैसे सीमित रखा जाए ताकि वह लाभ पर भारी नहीं पड़े। आज हम आपको नुकसान पर काबू पाने का एक नुस्खा बताते हैं।

कागजी नहीं रियल घाटे को स्टॉप लॉस क्या होता है पहचानें (Understand about Real Loss no paper loss)

सबसे पहले इस बात को समझना जरूरी है कि किसी ट्रेड में नुकसान होता क्यों है? सीधा जवाब है- शेयर का बाजार मूल्य आपके खरीद भाव के नीचे चला गया। लेकिन गौर से देखें तो यह जवाब पूरी तरह सही नहीं है। मान लीजिए कि आपने 100 रुपए में कोई शेयर खरीदा। उसका भाव गिरकर 99 रुपए हो गया। ऐसे में आपके ट्रेडिंग एकाउंट में प्रति शेयर एक रुपए का घाटा दिखेगा, लेकिन अभी यह घाटा सिर्फ कागज पर है। यह रियलाइज्ड नहीं हुआ है। रियलाइज्ड का अर्थ है कि अभी आपने इस घाटा सहते हुए अपने शेयर को बेचा नहीं है। आप इंतजार कर रहे हैं कि कीमत फिर चढ़ेगी। शेयर का भाव जब 100 रुपए से ऊपर जाएगा, तब आप उसे फायदे में बचेंगे। इस तरह वह घाटा सिर्फ एकाउंट में है, वास्तविकता में नहीं। लॉन्ग टर्म निवेशक तो इस तरह की हलचल पर ध्यान भी नहीं देते हैं। वे जानते हैं कि लॉन्ग टर्म में 100 रुपए में खरीदा शेयर, 90 रुपए पर जाकर भी वापस लौट सकता है और कुछ महीनों या एक साल बाद 125 रुपए में बिक सकता है। लेकिन आप अगर शॉर्ट टर्म ट्रेडर हैं तो आपको ज्यादा चौंकन्ना होने की जरूरत है, क्योंकि आपने ट्रेडिंग का जो तरीका चुना है, उसमें शेयर को होल्ड करने के लिए वक्त ज्यादा नहीं है।

भाव गिरने पर घबराएं नहीं (Don;t Fear while price decreasing)

आम तौर पर नए ट्रेडर लॉस की सूरत में एक बड़ी गलती करते हैं। अगर किसी शेयर की कीमत 100 से गिरकर 98 रुपए हो जाती है। तो अनाड़ी ट्रेडर का संतुलन बिगड़ने लगता है। वह एक साथ डर और लालच दोनों मनोभावों से ग्रस्त हो जाता है। डर का मतलब है कि उसे लॉस बुक करने में घबराहट होती है। वह जानता है कि स्टॉप लास 98 के आस पास है, लेकिन वह नुकसान के डर के मारे स्टॉप लॉस नहीं लगाता है। लालच का मतलब है कि उसे लगता है गिरते हुए शेयर को पकड़ कर वो मोटा मुनाफा कमा सकता है। उसे लगता है कि 98 तक गिरने के बाद शेयर वापस चढ़ेगा। इसलिए वह 98 के भाव पर एक बार फिर उसे खरीद लेता है। अब उसका औसत भाव 99 हो गया है। गौर करने लायक बात यह है कि 98 पर खरीद के पीछे उसके पास कोई सुनिश्चित आधार नहीं है। उसने जो सोचा है, बाजार उसके विपरीत करवट लेता है। शेयर और गिरकर 96 पर चला जाता है। वह अनाड़ी ट्रेडर थोड़ा और डरता है, उसका लालच एक बार फिर हावी होता है। ऊपर लिखी मानसिक प्रक्रिया दोहराते हुए वह एक बार फिर उसी शेयर को खरीद लेता है। अपनी बची खुची पूंजी भी उसमें झोंक देता है। लेकिन इस बार भी उसकी खरीद के बाद शेयर के गिरने का सिलसिला जारी रहता है, वह 95 पर पहुंच जाता है। अब ट्रेडर के पास न तो पूंजी बची है, और न ही धैर्य। वह अपने मूल स्टॉप लॉस के मुकाबले ज्यादा नुकसान सहते हुए उसे बेचता है।
इसलिए सुझाव है कि अगर कोई शेयर आपके स्टॉप लॉस को हिट कर रहा हो तो थोड़ा लॉस बुक कर उससे निकल जाइए। अगर आप उसे फिर से खरीदना चाहते हैं तो अंदाज के आधार पर स्टॉप लॉस क्या होता है मत खरीदिए। पता कीजिए कि उसका सपोर्ट लेवल क्या है।

तीन तरह के सपोर्ट लेवल (Three Types of Support Level)

आम तौर पर किसी शेयर के तीन सपोर्ट लेवल होते हैं। आप हर दो या तीन लेवल पार करने के बाद थोड़ी थोड़ी मात्रा में खरीद सकते हैं। लेकिन खरीदने से पहले इस बात का हिसाब जरूर कर लें कि आप इसे किन स्तरों पर कितनी संख्या में खरीदेंगे। अपने कुल ट्रेडिंग कैपिटल का कितना हिस्सा इस पर लगाएंगे। जैसा कि हम आपको पहले भी आगाह कर चुके हैं, अपनी पूरी पूंजी को किसी एक शेयर में नहीं लगाएं। इस बात का आकलन भी जरूर करें कि कितना नुकसान सहने की क्षमता आपके अंदर है।
इस प्रकार अगर आप लालच और डर से हटकर ट्रेडिंग करेंगे तो आप नुकसान को नियंत्रित कर सकेंगे। एक कहावत याद रखिए, जिस ट्रेडर ने नुकसान बुक करना सीख लिया, वो अक्सर फायदे में रहता है।
ट्रेडिंग में नुकसान कम करने के जरूरी सूत्र

1. फायदा चाहते हैं तो घाटा सहना सीखें
2. स्टॉप लॉस हिट हो रहा हो तो घबराएं नहीं
3. लॉस बुक करने में डरने से बड़े घाटे के आसार
4. सिर्फ अंदाज के आधार पर स्टॉक मत खरीदें
5. अगर कोई शेयर लगातार गिर रहा हो तो अपनी पोजिशन मत बढ़ाएं
6. स्ट्रॉन्ग सपोर्ट लेवल के पास ही दोबारा खरीदें
7. थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ही खरीदें, कारोबार के लिए हमेशा अपनी लिमिट का ध्यान रखें\

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