बोलिंगर बैंड्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी

और इन 3 क्रियाओं के आधार पर हमें बाजार में buying कर selling के संकेत बोलिंगर बैंड्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बोलिंगर बैंड्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी मिलते हैं।
Arshad Fahoum
23 जनवरी 2021 से हम अपने कैन्डल खुलने के समय को मार्केट ओपन होने के समय के साथ मिला रहे हैं। यहाँ हम कु
From 23 rd of January 2021, we are calibrating our candle open time to respective market open timing. Here are some important details we want to share so that you are well prepared
कोरोना वायरस के समय में ट्रेड कैसे करें
COVID19 या कोरोना वायरस, जीवन की अनिश्चितताओं के लिए एक गंभीर अनुस्मारक हो सकता है। लेकिन शु
COVID19 or Coronavirus, might have been a grim reminder to the uncertainties of life. But thankfully, there are few certainties in the world of investing. One certainty is that big rallies in markets
कैमरिला पिवट्स के साथ डे ट्रेड करना सीखें
आज मैं मार्केट पल्स एप पर नए शुरू किए गए एक इंडिकेटर- कैमरिला पिवट्स के बारे में बात
Today, I want to talk about a new indicator we have introduced on the Market Pulse app that happens to be one of my favorites and one that you can depend upon for
लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स को चैकिन मनी फ़्लो से कैसे फायदा हो सकता है
पिछले आर्टिकल में हमने जाना कि कैसे एक ट्रेंड की मजबूती का पता लगाने के लिए बोलिंगर बैंड्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी वॉल्यूम के साथ
इंडिकेटर का आधार एक ही इंडिकेटर में प्राइज़ और वॉल्यूम की जानकारी को साथ लाने के लि
बोलिंगर बैंड्स इंडिकेटर | बोलिंगर लाइन्स
बोलिंगर बैंड्स इंडिकेटर (नेम्ड आफ्टर इतस इन्वेंटर) वर्तमान बाजार अस्थिरता में परिवर्तन प्रदर्शित करता है, दिशा की पुष्टि करता है, एक संभव निरंतरता या तोड़ आउट प्रवृत्ति का, समेकन, ब्रेक-बहिष्कार के रूप में अच्छी तरह के रूप में स्थानीय और चढ़ाव के लिए बोलिंगर बैंड्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी अस्थिरता बढ़ रही की अवधियों की चेतावनी देते हैं .
तीन चलते एवरेज के इंडिकेटर होते हैं :
- उप्पेर बैंड - 20-दिन साधारण चलायमान एवरेज (SMA) प्लस डबल मानक विचलन की कीमत .
- मिडिल बैंड - 20-दिन SMA.
- लोअर बैंड - 20-दिन SMA डबल मानक कीमत विचलन शून्य से कम करें .
एक मूल्य एक प्रवृत्ति की मध्य रेखा की दिशा के साथ इसे संबद्ध किस दिशा में विकसित करने की ऊपरी और कम अस्थिरता बढ़ रही है, जबकि बैंड के बीच बढ़ती दूरी पता चलता है। इसके बाद के संस्करण, जब बैंड में, बंद कर रहे हैं कई बार की अस्थिरता घटते के विपरीत हम बगल की ओर किसी श्रेणी में स्थानांतरित करने के लिए मूल्य होना चाहिए की उम्मीद।.
बोलिंगर बैंड्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी
बोलिंगर बैंड्स ट्रेडिंग रणनीति या शर्तों पर बाजार से लाभ के लिए करना है। कीमतों पर उल्टा जब वे ऊपरी बैंड टच माना जाता है। जब वे कम बैंड टच वे नकारात्मक पक्ष पर, कर रहे हैं। इस रणनीति के रूप में एक तत्काल संकेत खरीदने या बेचने के सुरक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है। ऊपरी और निचली कीमत लक्ष्य के रूप में बैंड का उपयोग बैंड की रणनीति का उपयोग करने का सबसे सरल तरीका के रूप में संदर्भित किया जाता है। अगर 20 दिन औसत से नीचे कीमतों पार, कम बैंड कम कीमत लक्ष्य बन जाता है। ऊपरी बैंड ऊपरी कीमत लक्ष्य दिखाता है बोलिंगर बैंड्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी अगर कीमतें 20 दिन के औसत से ऊपर पार .
बोलिंगर बैंड्स व्यापार प्रणाली एक ऊपरी और मध्यम बैंड के बीच अस्थिर कीमतों द्वारा दिखाया गया है। अगर कीमतें नीचे मध्यम बैंड के लिए, पार ऐसे मामलों में यह नकारात्मक पक्ष एक बेचने के संकेत का संकेत करने के लिए एक प्रवृत्ति उत्क्रमण की चेतावनी देते .
bollinger bands strategy for intraday in hindi- बोलिंगर बैंड्स स्ट्रेटेजी फॉर इंट्राडे इन हिंदी
आज हम इंडिया में सबसे ज्यादा उसे होने वाला इंडिकेटर के बारे में चर्चा करने वाले हैं उम्मीद हैं की आपको पता लग गया होगा की हम किस इंडिकेटर की बात कर रहे हैं , क्या आपको नहीं मालूम चला की वो कोण सा इंडिकेटर है ।
चलिए हम बता देते है उसका नाम bollinger bands है । यह इंडिकेटर हमारे भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल में लिया जाता हैं और इसको समझना भी बहुत आसान है । आज हम इसी के बारे में चरचा करेंगे और इसपर एक demo के तौर पर offline ट्रेड के द्वारा समझेंगे की आखिर यह इतना फेमस क्यों है ।
आगे बढ़ने से पहले इसके थोड़ा इतिहास के बारे में जान लेते हैं की इसका अविष्कार किसने किया था । bollinger bands 1980 के दौरान जॉन बोलिंगर द्वारा बनाया गया एक सिंपल टेक्निकल चार्ट इंडिकेटर है जो किसी भी ट्रेड जैसे शेयर मार्किट , फोरेक्स मार्किट, mcx आदि में आसानी से अप्लाई कर इस्तेमाल किया जा सकता है ।
bollinger bands strategy for intraday – bollinger bands strategy for intraday in hindi
वैसे तो केवल bollinger बोलिंगर बैंड्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी bands से भी स्टॉक को खरीद और बेच सकते है लेकिन हम इसमें किसी दूसरे इंडिकेटर को लगा दे तो हमारी accuracy 70% तक पहुँच जाती हैं जिससे हमारा काम से कम 10 ट्रेड में 7 ट्रेड में आसानी से मुनाफा कमा सकते हैं । स्टॉक का चुनाव हम nifty50 या nifty bank से करेंगे ताकि हमारा ट्रेड लेते समय कहीं false signal ज्यादा न मिले बोलिंगर बैंड्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बोलिंगर बैंड्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी और हमारी एक्यूरेसी भी ठीक रहे ।इस स्ट्रेटेजी को अप्लाई करने के लिए हमे जो इंडिकेटर चाहिए वो इस प्रकारहै ।
- macd :- सबसे पहले हम टेक्निकल चार्ट के ऊपर वाले सेक्शन में जाएंगे और इंडिकेटर वाले बॉक्स जाकर macd टाइप करेंगे । इसके सेटिंग में कोई बदलाव नहीं करेंगे ।
- bollinger bands :-इसको भी हम ऊपर इंडिकेटर वाले बॉक्स में जाकर bollinger bands टाइप करेंगे तो हमे बड़े आसानी से निचे के तरफ दिख जायेगा इसे भी सेलेक्ट करेंगे । इसका सेटिंग डिफॉल्ट्स पर ही रहने देंगे ।
- time :- जो की हमे इंट्राडे के लिए कोई ट्रेड लेना है तो हुमकोई छोटा टाइम पीरियड को ही चुनेंगे । इसलिए intraday ट्रेड लेने के लिए हमने 15 मिनट का टाइम पीरियड का चुनाव कर लिया । आप चाहे तो इससे swing trading भी कर सकते हैं इसके बारे में भी हम अपने अगले ब्लॉग में बताएँगे बोलिंगर बैंड्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी की इस के मदद से हुमकिसी स्टॉक में स्विंग ट्रेडिंग कैसे कर सकते हैं । स्विंग ट्रेडिंग में इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता हैं ।
buy position
इस टेक्निकल चार्ट पर किसी स्टॉक को खरीदते समय हमे कुछ विशेष टॉपिक पर ध्यान देना आवस्यक है तभी हम कोई बढ़िया रिजल्ट को प्राप्त कर सकते है ।
- macd के सिग्नल को इनक्रीस रहना बहुत जरुरी हैं और इसके क्रॉस ओवर भी ध्यान देना होगा जैसे ही क्रॉस करे हम केवल किसी स्टॉक को buy करने के रेडी होना है , उस समय buy नहीं करना हैं ।
- जैसा की आप ऊपर इमेज में देख सकते हैं की इसमें में जो middle वाली रेखा है उसपर कोई छोटा ग्रीन कैंडल क्लोजिंग दे तभी हम बुय करेंगे वो भी उसका जो अगला कैंडल बनेगा वो उस ग्रीन कैंडल के हाई को ब्रेक कर दे तब । इमेज में आप देख सकते है की जहाँ पर मैंने buy किया है वो रेड कैंडल हैं जो पिछले ग्रीन कैंडल के हाई को तोडा है ।
- सबसे नीचेवाले लाइन का मूवमेंट(bollinger bands) में यदि ऊपर रहे तो हमारे लिए ट्रेड लेना बहुत अच्छा रहता है ।
आरओसी और बोलिंगर बैंड्स संग मोमेंटम बर्स्ट ट्रेडिंग
पहले के एक आर्टिकल में हमने पढ़ा कि पुलबैक्स को ट्रेड करने के लिए कैसे आरएसआई को बॉलिंगर बैंड्स के बोलिंगर बैंड्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी साथ कम्बाइन किया जाता है। इस हफ्ते देखते हैं कैसे बॉलिंगर बैंड्स को दूसरे लोकप्रीय मोमेंटम ऑसिलेटर- आरओसी(रेट ऑफ चेंज) के साथ कम्बाइन किया जा सकता है।
रेट ऑफ चेंज (आरओसी) इंडिकेटर
टेक्निकल एनालिसिस में सबसे प्रसिद्ध ऑसिलेटर है रेट ऑफ चेंज (आरओसी) इंडिकेटर। यह मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण मेजर है।यह उस रेट का वर्णन करता है जिस पर प्राइज़ में परिवर्तन होते हैं। आरओसी को रिलेटिव चेंज के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसमें बहुत ज़्यादा भविष्यसूचक शक्ति है और यह आश्चर्यजनक नहीं है कि यह एक बहुत लोकप्रिय इंडिकेटर बन गया है।
यह अब की प्राइज़ और टी पीरियड पहले की प्राइज़ के बीच का पर्सेंटेज अंतर है।
Bollinger Bands Structure in Hindi
Bollinger Band में मुख्य ३ लाइने होती हैं।
- ऊपर वाली लाइन को कहते हैं Upper Band.
- बीच वाली लाइन को कहते हैं Middle Band (SMA).
- निचे वाली लाइन को कहते हैं Lowe Band.
- जो Middle Band होता हैं वह लाइन SMA को दर्शाता हैं मतलम Simple Moving Average.
- और Upper Band और Lower Band जो हैं वह (SMA) का Standard Deviation दर्शाते हैं।
- Standard Deviation मतलम की Simple Moving Average और उसमे ली हुई value का difference .
Bollinger Bands कैसे काम करते हैं ?
जैसे की Bollinger Band में ३ लाइने होती हैं Upper, Middle और Lower .
Middle Band पिछले कुछ दिनों का Simple Moving Average हैं और Upper Band, Middle Band Moving Average का Standard Deviation हैं।
1.Bollinger Band – Standard Deviation.
Bollinger Band – Standard Deviation.
यह Bands Price में होने वाली volatility के हिसाब से बदलते हैं।
अगर Price में volatility बढ़ (High) जाती हैं तो यह Band large हो जाता हैं याने के Bands के बिच अंतर बढ़ जाता हैं।
2.Bollinger Band – High Volatility.
हम Bollinger Bands के उन उपयोग को समझेंगे जो की शेयर बाजार में काम करते हैं।
Price touch to Bollinger Bands.
1.Price touch to Upper Bollinger Band.
Price touch to Upper Bollinger Band.
Price जब Upper Band को छूते हुवे ऊपर की तरफ जाता हैं तब हमें मार्किट/शेयर bullish trend में हैं इसका पता चलता हैं। इससे पता चलता हैं की अभी शेयर बेचने का समय नहीं आया हैं।
2.Price touch to Lower Bollinger Band.
Bollinger Bands Indicator Strategy in Hindi
Price make support and resistance at middle band .
1.Support
अगर price बोलिंगर बैंड्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी Lower Band से बढ़ते हुए Middle Band पर सपोर्ट लेकर Upper Band तक जाने में सफल होता हैं तो यह एक Bullish trend हैं।
और जब price Middle Band पर सपोर्ट लेता हैं तब Buying का संकेत होता हैं।
Bollinger Band Support.
2.Resistance
अगर price upper band से घटते हुए middle band पर resistance ले कर lower band तक जाने में सफल होता हैं तो यह एक bearish trend हैं।
और जब price Middle Band पर resistance लेता हैं तब selling का संकेत होता हैं।