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बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं?

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बांग्लादेश को निर्यात के लिए कृषि-वस्तुओं के सप्लायरों के पेनल बनाये जाने के लिए ईओआई

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अंतिम नवीनीकरण: 16/11/2022

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पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर पेड़ों की कटाई का मामला, SC ने केंद्र सरकार से पूछे सवाल

पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर रेलवे ओवर ब्रिज ( RoB) के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई का मामले पर सुप्रीम बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं? कोर्ट ने पर्यावरण प्रभाव एसेसमेंट नियमों पर केंद्र सरकार पर सवाल उठाया.

पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर पेड़ों की कटाई का मामला, SC ने केंद्र सरकार से पूछे सवाल

अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी (फाइल फोटो- सुप्रीम कोर्ट)

पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर रेलवे ओवर ब्रिज ( RoB) के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई का मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण प्रभाव एसेसमेंट नियमों पर केंद्र सरकार पर सवाल उठाया. अदालत ने कहा कि 100 किमी से कम सड़क परियोजना को EIA की आवश्यकता नहीं है,ये नियम टिकने वाला नहीं है. CJI एस ए बोबडे ने कहा अगर सरकार Go East का फैसला करती है तो मौजूदा समुद्री/रेल बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं? मार्गों पर विचार क्यों नहीं किया जाता ? चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के अनुसार आप यह मानकर चल रहे हैं कि 100 किमी तक की परियोजना में आप पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.

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कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया हम इसे ठहरने वाला नहीं मानते हैं. हम इस बात से सहमत नहीं हैं कि यदि परियोजना 100 किमी से कम है तो आपको EIA की आवश्यकता नहीं है, हम किसी को इसे चुनौती देने के लिए कहेंगे या खुद नोटिस जारी करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कि वे ऐसी परियोजनाओं के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार करना चाहते हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उन विकल्पों पर विचार किया जाए जो पर्यावरण की दृष्टि से कम हानिकारक हैं. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण को ड्राफ्ट प्रोटोकॉल तैयार करने को कहा है. अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी.

दरअसल पश्चिम बंगाल पर हेरिटेज पेड़ों के मुद्दे पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और समिति के एक सदस्य सुनीता नारायण की एक अलग रिपोर्ट दी गई है. उक्त विशेषज्ञ समिति को एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किया गया था. याचिका में 4036 पेड़ों (लगभग 200 वर्ष या उससे अधिक पुराने और विलुप्तप्राय पेड़ों को शामिल किया गया है) की रक्षा करने का अनुरोध किया गया है, जो सड़क चौड़ीकरण परियोजना और पश्चिम बंगाल में रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) के निर्माण के लिए काटे जाने हैं. रिपोर्ट में विशेषज्ञ समिति ने प्राकृतिक पूंजी को भी ध्यान में रखते हुए लागत बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं? / लाभ विश्लेषण किया है.

रिपोर्ट एक पूर्ण विकसित पेड़ के वित्तीय मूल्य को ध्यान में रखती है, जिसे अक्सर परियोजना के प्रस्तावकों द्वारा अनदेखा किया गया है. उनके विश्लेषण के अनुसार, 300 पूर्ण विकसित पेड़ों का मूल्य जो उनकी प्राकृतिक उम्र से 100 साल पहले कम से कम 2.2 बिलियन (220 करोड़) है. इससे पहले पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर रेलवे ओवर ब्रिज ( RoB) के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई के मामले में सुनवाई के दौरान देश के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा था. ग्रीन कवर को संरक्षित किया जाना चाहिए. ये गिरावट इतनी तेजी से हो रही है कि किसी को भी पता चलने से पहले कई चीजें स्थायी रूप से चली जाएंगी. लोग विकल्प तलाशने को तैयार नहीं हैं। पेड़ों को काटे बिना रास्ता बनाने का कोई तरीका हो सकता है.

दरअसल रेलवे लाइनों के पास लगभग 800 मौतें हुईं. सरकार ने 4 किमी फुट ओवरब्रिज के निर्माण का निर्णय लिया, जिसके लिए कई पेड़ों को काटने की आवश्यकता है. अदालत ने कहा था कि हम यह देखना चाहेंगे कि क्या हम कुछ सिद्धांतों का पालन कर सकते हैं. हम कुछ सुझाव चाहेंगे. पेड़ों को काटे बिना रास्ता बनाने का कोई तरीका हो सकता है. यह थोड़ा अधिक महंगा हो सकता है, लेकिन यदि आप संपत्ति को महत्व देते हैं, तो यह बेहतर होगा. पीठ ने कहा कि वो विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट आने पर विचार करेंगे. दरअसल 9 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया है जो पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर रेलवे ओवर ब्रिज ( RoB) के निर्माण और बारासात से पेट्रापोल तक राष्ट्रीय राजमार्ग-112 के चौड़ीकरण के लिए 350 से अधिक पेड़ों की कटाई के विकल्प का सुझाव देगी.

पीठ ने कहा कि जब हम एक विरासत के पेड़ को काटते हैं तो इन सभी वर्षों में पेड़ द्वारा उत्पादित ऑक्सीजन के मूल्य की कल्पना भी करें. पीठ ने चार सदस्यीय समिति, जिसमें विज्ञान और पर्यावरण केंद्र की पर्यावरणविद् सुनीता नारायण शामिल हैं, को चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था. पीठ ने कहा था कि यह मामला पर्यावरण की गिरावट और विकास के बीच सामान्य दुविधा प्रस्तुत करता है. जाहिर है प्रत्येक स्थिति में अलग-अलग विचार शामिल होते हैं. इसमें कहा गया है कि पर्यावरण को होने वाले नुकसान के मूल्यांकन के लिए जो भी तरीका अपनाया जाना है, ये वांछनीय है कि विरासती पेड़ों की प्रस्तावित कटाई के विकल्पों पर विशेषज्ञों द्वारा विचार किया जाए.

सुनवाई के दौरान पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा था कि जब एक विरासत के पेड़ को काटते हैं, तो इन सभी वर्षों में ऑक्सीजन के पेड़ के मूल्य की कल्पना करें. इसकी तुलना करें कि इन पेड़ों के बराबर ऑक्सीजन के लिए आपको कितना भुगतान करना होगा, अगर इसे कहीं और से खरीदना है.शुरुआत में एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (APDR) के वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि कोई विकल्प नहीं खोजा गया और पेड़ों को गिराने की अनुमति दी गई जो लगभग 80-100 वर्ष की आयु के धरोहर हैं. उन्होंने कहा कि हर कोई ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जानता है और अध्ययन में कहा गया है कि यदि वनस्पति की रक्षा नहीं की गई तो अगले 10-20 वर्षों में मानव प्रजाति खतरे में पड़ जाएगी.

भूषण ने सुझाव दिया था कि बजाय पुलों के अंडरपास बनाए जा सकते हैं और पेड़ों की कटाई से बचने के लिए सड़कों के संरेखण को बदला जा सकता है. दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि इसके कारण हर साल 800 लोगों की मौत हो जाती है. कलकत्ता उच्च न्यायालय उन सभी पहलुओं पर विचार कर चुका है जिसके बाद उसने 356 पेड़ गिराने की अनुमति दी गई थी, जो कि RoB के निर्माण और सड़क के चौड़ीकरण के लिए आवश्यक है. दरअसल 31 अगस्त, 2018 को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण का रास्ता खोला था और जेसोर रोड के चौड़ीकरण के लिए 350 से अधिक पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी, इस शर्त पर कि हर पेड़ काटने के बदले पांच पेड़ लगाए जाएंगे.ये सड़क शहर को भारत-बांग्लादेश सीमा पर पेट्रापोल से जोड़ती है. NH-112 या जेसोर रोड भारत और बांग्लादेश के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है और राज्य सरकार ने इसे व्यापक बनाने के लिए एक परियोजना शुरू की है.

सड़क के दोनों ओर सैकड़ों पुराने पेड़ों की कतार है, जिनमें से कुछ को सड़क के चौड़ीकरण के उद्देश्य से काटने का निर्णय लिया गया था. पेड़ों को काटने की राज्य की योजना को चुनौती देने वाली उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई थी. कई महीनों तक बहस के बाद उच्च न्यायालय ने बारासात से लेकर जेसोर रोड के किनारे पेट्रापोल सीमा तक पांच स्थानों पर 356 पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी.

एलएएस "सार्वजनिक प्रभार" नियम पर कानूनी संसाधन प्रदान करने के लिए कार्रवाई दिवस में शामिल हुआ

23 अक्टूबर को, लीगल एड सोसाइटी बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं? पब्लिक एडवोकेट जुमाने विलियम्स द्वारा समुदाय-आधारित संगठनों के साथ साझेदारी में आयोजित एक डे ऑफ़ एक्शन में शामिल हुई सबसे सुरक्षित, प्रोजेक्ट न्यू यॉर्कर और बांग्लादेश समाज जो सभी क्वींस में दक्षिण एशियाई पहाड़ी समुदाय की सेवा करते हैं।

इसका लक्ष्य समुदाय के सदस्यों को इसके बारे में कानूनी संसाधन उपलब्ध कराना था "सार्वजनिक आरोप" नियम और साझा करें अपने अधिकारों को जानें अन्य विषयों की एक श्रृंखला को कवर करने वाली सामग्री।

SAFEST और प्रोजेक्ट न्यू यॉर्कर के सदस्यों ने पूरी शाम बंगाली और उर्दू व्याख्या सेवाएं प्रदान कीं और समग्र जुड़ाव के लिए महत्वपूर्ण थे। विधानसभा सदस्य डेविड वेप्रिन, जो उस जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं, भी उपस्थित थे।

Blog: हम हिंदू मुस्लिम करते रहे उधर.

हम हिंदू मसलमान करते रह गये और बांग्लादेश कहीं आगे निकल गया. हम बांग्लादेशियों को दीमक कहते रहे और बांग्लादेश ने विश्वगुरु को कई मायनों में पछाड़ दिया. सवाल उठता है कि ऐसा क्यों हो रहा है. क्या सिर्फ कोरोना काल में पिटी अर्थव्यवस्था इसके लिए दोषी है या कुछ सालों से चला आ रहा सिलसिला है.

आईएमएफ की रिपोर्ट चौंकाने वाली है. रिपोर्ट कहती है कि भारत की विकास दर इस साल नेगेटिव रहने वाली है जबकि बांग्लादेश की विकास दर चार फीसद हो सकती है. यहां तक कि पाकिस्तान की विकास दर भी एक फीसद के आसपास रह सकती है. रिपोर्ट आगे बताती है कि भारत में विकास दर पिछले चार सालों में 8.3 प्रतिशत से गिरकर 3.1 फीसद तक पहुंची जबकि इस दौरान बांग्लादेश की विकास दर नौ फीसद के आसपास रही. कोरोना काल में भारत की विकास दर माइनस में आ गयी. माइनस 24 फीसद. उधर बांग्लादेश मजबूत बना रहा.

रिपोर्ट में आगे अनुमान लगाया गया है कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक भारत को प्रति व्यक्ति आय के मामले में बांग्लादेश पीछे छोड़ सकता है. अभी भारत में ये 2100 डालर के आसपास है जो वित्तीय वर्ष के अंत तक गिरकर 1877 डालर हो जाएगी. इस दौरान बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय 1888 डालर हो जाएगी. भारत से कुछ ज्यादा लेकिन बांग्लादेश का आगे निकलना ही खबर है. भारत की प्रति व्यक्ति बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं? आय में दस फीसद की कमी आएगी उधर बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय चार फीसद बढ़ जाएगी.

वैसे ये रिपोर्ट अनुमान पर आधारित है. जरुरी नहीं है कि आईएमएफ का अनुमान बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं? सही ही साबित हो. इससे पहले भी आईएमएफ जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के कई अनुमान गलत साबित हुए हैं. बहुत संभव है कि इस बार भी ऐसा ही हो. वैसे भी अभी वित्तीय वर्ष खत्म होने में पांच महीने से ज्यादा बचे हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर भी धीरे धीरे लौट रही है. अगर परिस्थितियां अनुकूल रहती हैं तो भारत आईएमएफ के अनुमान को झुठला भी सकता है.

लेकिन कहानी ये नहीं है. कहानी ये है कि ऐसा क्यों हो रहा है. आखिर पांच साल पहले भारत की प्रति व्यक्ति आय बांग्लादेश से चालीस फीसद ज्यादा थी. पिछले पांच साल में बांग्लादेश इस गैप को कम कर देता है और आगे निकलने की स्थिति में आ जाता है और हम मुंह ताकते रह जाते हैं. पांच ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था की बात करते हैं लेकिन प्रति व्यक्ति आय को गिरने से संभाल नहीं पाते. कहानी ये नहीं है कि भारत के पड़ोसी देश अच्छा कर रहे हैं. कहानी ये है कि भारत क्यों पिछड़ रहा है. हमें इसकी ही चिंता ज्यादा होनी चाहिए.

भारत के मुकाबले बांग्लादेश केवल दो ही पैरामीटर पर पीछे हैं. एक, प्रति व्यक्ति आय के मामले में और दूसरा, ह्यूमन डेवलेपमेंट इंडेक्स के मामले में. एक में वो आगे निकल सकता है और दूसरे में वो भारत से सिर्फ दो अंक पिछड़ा हुआ है. औसत भारतीय बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं? की उम्र 69 साल है जबकि औसत बांग्लादेशी चार साल ज्यादा जीता है. भारत की जन्म दर 2.33 फीसद है जबकि बांग्लादेश की जन्म दर 2.1 है. यहां गौरतलब है कि 1971 से पहले जब बांग्लादेश पाकिस्तान का हिस्सा थी तब वहां जन्म दर 6.6 फीसद थी और तब भारत की जन्म दर 3.9 फीसद. भारत में प्रति हजार में से चालीस बच्चे पांच साल के होने से पहले मर जाते हैं इसे इनफैंट मोरटैलिटी रेट कहा जाता है. बांग्लादेश में ये दर 31 प्रति हजार ही है. यहां भी बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं? वो भारत से अच्छा कर रहा है. साक्षरता दर दोनों देशों की करीब करीब बराबर है.

बांग्लादेश से भारत को एक बात सीखनी चाहिए. वो ये कि बांग्लादेश कपड़ा गारमेंट निर्यात का बड़ा केन्द्र बन गया है. यहां उसे कुछ रियायतें हासिल हैं जिसका पूरा लाभ उसने उठाया है. बांग्लादेश कुल मिलाकर निर्यात पर जोर देने वाली अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ रहा है.

इसके मुकाबले भारत में क्या हो रहा है? हर चीज पर राजनीति हो रही है, हर चीज को हिंदू मुस्लिम में बांटने की कोशिश हो रही है, हर छठे सातवें महीने कोई न कोई चुनाव हो जाता है और विकास जाति में बदल जाता है. बिहार के चुनाव में कश्मीर के आतंकवादी आ जाते हैं, कहीं रेप के नाम पर राजनीति होती है तो कहीं रेप के आरोपियों की जाति के नाम पर राजनीति होती है. राजस्थान में पुजारी के जलने और यूपी में पुजारी के जलने में फर्क किया जाता है. संसद में जिसके पास बहुमत जुट जाता है वो अपने हिसाब से नियम तय करने लगता है. विवादास्पद बिल बिना बहस के पास हो जाते हैं. ऐसे में पक्ष विपक्ष के बीच बदला लेने और बदला चुकाने की राजनीति होने लगती है. साहिर का गाना याद आता है. प्यासा फिल्म का था शायद - जिन्हें नाज है हिंद पे वो कहां हैं.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

Published at : 15 Oct 2020 06:14 PM (IST) Tags: Bangaladesh GDP IMF India हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

नागरिकता संशोधन क़ानून भारत का आंतरिक मसला: बांग्लादेश बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं? के सूचना मंत्री

एक कार्यक्रम में होने के लिए भारत आए बांग्लादेश के सूचना एवं प्रसारण मंत्री हसन महमूद ने कहा कि क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने में भारत की भूमिका से बांग्लादेश को राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने में मदद मिली है, जिससे अंतत: देश को विकास के पथ पर आगे बढ़ने में सहायता मिली. The post नागरिकता संशोधन क़ानून भारत का आंतरिक मसला: बांग्लादेश के सूचना मंत्री appeared first on The Wire - Hindi.

एक कार्यक्रम में होने के लिए भारत आए बांग्लादेश के सूचना एवं प्रसारण मंत्री हसन महमूद ने कहा कि क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने में भारत की भूमिका से बांग्लादेश को राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने में मदद मिली है, जिससे अंतत: देश को विकास के पथ पर आगे बढ़ने में सहायता मिली.

प्रेस क्लब में बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसन महमूद. (फोटो: ट्विटर/@PCITweets)

नई दिल्ली: बांग्लादेश के सूचना एवं प्रसारण मंत्री मोहम्मद हसन महमूद ने मंगलवार को कहा कि क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने में भारत की भूमिका से बांग्लादेश को राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने में मदद मिली है, जिससे अंतत: देश को विकास के पथ पर आगे बढ़ने में सहायता मिली.

महमूद ने मीडिया से बातचीत में यह भी कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध बहुत विविध हैं और यह केवल तीस्ता जल बंटवारे पर निर्भर नहीं हैं.

उन्होंने कहा, ‘किसी देश में राजनीतिक स्थिरता समृद्धि के लिए सबसे आवश्यक पूर्व-शर्तों में से एक है. मेरा दृढ़ विश्वास है कि बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय स्थिरता भी महत्वपूर्ण है.’

राष्ट्रीय राजधानी स्थित प्रेस क्लब में बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, ‘मैं (भारत) को धन्यवाद देना चाहता हूं. क्षेत्रीय स्थिरता और बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने में भारत ने एक भूमिका निभायी है.’

भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध पिछले कुछ वर्षों में व्यापार और संपर्क सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़े हैं. महमूद ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत की भूमिका को भी याद किया.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान उन्होंने कहा कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए बनाया गया नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) भारत का एक ‘आंतरिक मामला’ है.

महमूद ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘सीएए आपका (भारत) आंतरिक मामला है और इस तथ्य के साथ कि सर्वोच्च न्यायालय में एक अपील प्रस्तुत की गई है, यह एक कानूनी मुद्दा भी बन गया है.’ उन्होंने इस मामले में गहराई से जाने से इनकार कर दिया, क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं? विचाराधीन है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों के निहितार्थ और भारत में मुसलमानों को निशाना बनाने के बारे में पूछे जाने पर महमूद ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर इस तरह के हमलों के लिए कट्टरपंथी समूहों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि हसीना सरकार ने देश में हिंदुओं की सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित की है.

यह कहते हुए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना के नेतृत्व में दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच संबंध गहरे हुए हैं महमूद ने कहा, ‘बांग्लादेश की प्रगति कभी भी भारत के पूर्ण समर्थन के बिना संभव नहीं होगी. हम बांग्लादेश को समर्थन देने के लिए भारत और उसकी सरकार के आभारी हैं. देश में राजनीतिक स्थिरता समृद्धि के लिए बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं? सबसे आवश्यक पूर्व शर्तों में से एक है और यह पिछले 14 वर्षों से बांग्लादेश में जारी है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं दृढ़ता से मानता हूं कि बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय स्थिरता महत्वपूर्ण है और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए और इसी तरह बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता के लिए भारत ने एक भूमिका निभाई है.’

मालूम हो कि बांग्लादेश में अगला आम चुनाव 2023 के अंत तक होने की उम्मीद है. हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग 2009 से देश पर शासन कर रही है, जिसने लगातार तीन चुनाव जीते हैं.

तीस्ता जल-बंटवारा समझौते को लेकर भी उनसे सवाल पूछा गया, जो बांग्लादेश में एक भावनात्मक मुद्दा है. महमूद ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि गतिरोध टूट जाएगा.

उन्होंने आगे कहा, ‘भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध बहुत विविध हैं. यह केवल तीस्ता जल बंटवारे पर निर्भर नहीं करता है. हम बहुत सी बातें साझा कर रहे हैं. बांग्लादेश और भारत इस मुद्दे को सुलझाने के लिए लगे हुए हैं और प्रगति हो रही है. भारत के संविधान के तहत कुछ दायित्व और प्रक्रियाएं हैं, मुझे उम्मीद है कि सभी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद भविष्य में इसका समाधान हो जाएगा.’

अपने देश में अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर महमूद ने कहा, ‘(बांग्लादेश में) कोई भी अल्पसंख्यक नहीं है. हमारी प्रधानमंत्री कहती हैं कि महसूस मत करो कि तुम अल्पसंख्यक हो, तुम मिट्टी के बेटे हो; यह आपका देश है. बांग्लादेश के संविधान के तहत, सभी को समान अधिकार हैं. बेशक, भारत और बांग्लादेश दोनों में कट्टरपंथी समूह हैं, जो कट्टरता को बढ़ावा देने और धार्मिक समूहों में सद्भाव को अस्थिर करने का प्रयास करते हैं. ऐसा हर जगह होता है.’

उन्होंने दावा किया कि पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश सरकार ने ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है.

उन्होंने कहा, ‘इस साल दुर्गा पूजा उत्सव के तरीके से मनाई गई. पिछले साल की तुलना में पूजा पंडालों की संख्या में 700 का इजाफा हुआ है.’

उन्होंने हिंदुओं के खिलाफ पिछले साल के हमलों के लिए सोशल मीडिया पर प्रसारित फर्जी समाचार और प्रचार को जिम्मेदार ठहराया.

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