कई समय सीमा विश्लेषण

कई समय सीमा विश्लेषण
ANNOUNCEMENT of PT: NRL/PT-FV/2022/Curry leaf-1
पीटी की घोषणा: एनआरएल / पीटी-एफवी / 2022 / करी पत्ता -1
ANNOUNCEMENT of PT: NRL/PT-FV/2022/Curry leaf-1
कीटनाशक अवशेष विश्लेषण के लिए करी पत्ता होमोजेनेट में प्रवीणता परीक्षण कार्यक्रम
भाकृअनुप-राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र , पुणे में राष्ट्रीय रेफरल प्रयोगशाला को करी पत्ता होमोजेनेट में कीटनाशक अवशेषों के विश्लेषण के लिए प्रवीणता परीक्षण (पीटी) कार्यक्रम के आयोजन की घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है। इच्छुक प्रयोगशालाओं से अनुरोध है कि वे भुगतान विवरण के साथ विशिष्ट दिशानिर्देश दस्तावेज में उल्लिखित समय सीमा के भीतर पंजीकरण करें। भुगतान विवरण के बिना पंजीकरण फॉर्म स्वीकार नहीं किया जाएगा। परीक्षण आइटम (करी पत्ता होमोजेनेट , लगभग.100 ग्राम) पंजीकरण प्रपत्र में उल्लिखित "परीक्षण वस्तुओं के शिपमेंट के लिए पता" पर भेज दिया जाएगा।
Proficiency testing program in curry leaf homogenate for pesticide residue analysis
The National Referral Laboratory at ICAR-National Research Centre for Grapes, Pune is pleased to announce the organization of Proficiency Testing (PT) programme for analysis of pesticide residues in curry leaf homogenate. The interested laboratories are requested to register within the deadline mentioned in the specific guideline document along with the payment details. Registration form without the payment details will not be accepted. The Test Item (curry leaf homogenate, approx.100 g) will be shipped to the " Address for shipment of test items" mentioned in the registration form.
गतिविधि और समय सीमा /ACTIVITY AND DEAD LINE:
गतिविधि Activity समय सीमा Dead line
पंजीकरण अवधि खोलना Opening Registration period
11 th April, 2022
पंजीकरण के लिए समय सीमा Deadline for Registration
25 th April, 2022
परीक्षण आइटम का शिपमेंट Shipment of the Test Item
01 st May, 2022 to 5 th May,2022
प्रयोगशाला द्वारा परीक्षण आइटम प्राप्त करने की समय सीमा Deadline for receiving Test Item by the laboratory
08 th May ,2022
प्रयोगशाला से परिणाम प्राप्त करने की समय सीमा Deadline for receiving the result from the laboratory
15 th May, 2022
प्रारंभिक रिपोर्ट Preliminary Report
25 th May, 2022
प्रारंभिक रिपोर्ट Final Report
25 th June, 2022
विवरण के लिए कृपया अनुलग्नकों को देखें ; For details please refer the attachments;
विश्लेषण: क्या सचमुच संभव हो पाएगी अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की पूरी वापसी?
पिछले साल तत्कालीन अमेरिका राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप प्रशासन और तालिबान के बीच दोहा में हुए समझौत में एक मई की समय सीमा मुकर्रर की गई थी। फिलहाल, अफगानिस्तान में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के लगभग दस हजार सैनिक तैनात हैं। इनमें लगभग साढ़ तीन हजार अमेरिकी फौजी हैं।
अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन के अगले 11 सितंबर से पहले अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी के फैसले पर यहां सावधानी भरी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। इस बार के अमेरिकी एलान में ये खास है कि वापसी की बात बिना शर्त कही गई है। यानी अफगानिस्तान में उस समय तक चाहे जो परिस्थितियां हों, अमेरिका अपनी फौज वापस बुला लेगा। फिर भी ऐसा सचमुच हो पाएगा, इसको लेकर यहां शक है।
इसकी वजह यह है कि सैनिक वापसी की तैयारी में अमेरिका ने जो ‘शांति प्रक्रिया’ तय की है, उसमें नए पेच पड़ गए हैं। मंगलवार को ये खबर आई कि राष्ट्रपति बाइडन 11 सितंबर के प्रतीकात्मक महत्त्व (इसी तारीख को अमेरिका पर आतंकवादी हमले हुए थे) को देखते हुए उस तारीख को पूरी सैनिक वापसी की नई समयसीमा घोषित करेंगे। उसके कुछ ही देर बाद ये खबर आई कि तालिबान ने तब तक किसी शांति सम्मेलन में भाग ना लेने का फैसला किया है, जब तक अफगानिस्तान से सभी विदेशी सैनिकों की वापसी नहीं हो जाती।
विश्लेषकों के मुताबिक इस तरह तालिबान ने जो बाइडन प्रशासन की सैनिक वापसी की नई समयसीमा के साथ-साथ अमेरिका के कहने पर आयोजित होने वाली इंस्ताबुल कांफ्रेंस को भी ठुकरा दिया है।
ताजा एलान के मुताबिक तुर्की के शहर इंस्ताबुल में अफगानिस्तान में अगली व्यवस्था को लेकर सहमति बनाने के मकसद से सम्मेलन का आयोजन अगले 24 अप्रैल से होगा। तुर्की और कतर उसके सह-आयोजक होंगे। सम्मेलन में मौजूदा अफगान सरकार और तालिबान को आमंत्रित किया जाएगा। तुर्की की ओर से जारी बयान के मुताबिक इससे सभी संबंधित पक्षों को अफगानिस्तान की जनता के लिए शांति, स्थिरता और समृद्धि का रास्ता ढूंढने के लिए अपना समर्थन जताने का मौका मिलेगा।
संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को एक बयान में बताया कि इस्तांबुल सम्मेलन 24 अप्रैल से चार मई तक चलेगा। इसका मकसद तालिबान और अफगानिस्तान सरकार में न्यायपूर्ण और टिकाऊ राजनीतिक समाधान के लिए सहमति बनानी होगी। लेकिन अब साफ है कि तालिबान इस सम्मेलन का हिस्सा बनने को तैयार नहीं है। इससे इस सम्मेलन की पूरी प्रासंगिकता की संदिग्ध हो जाने का खतरा है। बताया जाता है कि तालिबान इस बात से खफा है कि अमेरिका एक मई तक अपने सभी सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुलाने के अपने वादे से मुकर गया है।
दरअसल, बाइडन प्रशासन के ताजा फैसले से यहां उत्साह इसलिए भी पैदा नहीं हुआ है कि इसका मतलब यहां नाटो फौजियों की वापसी को टालना समझा गया है। उधर यहां अमेरिका जताई जा रही ये राय भी चर्चित है कि अमेरिका अपनी फौज वापसी के बाद भी अफगानिस्तान में अपनी खुफिया और कूटनीतिक मौजूदगी बनाए रखनी चाहिए। उधर रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता सैनिक वापसी का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
उनमें पूर्व उप राष्ट्रपति डिक चेनी के बेटी लिज चेनी भी हैं, जो इस समय हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की सदस्य हैं। 2001 में अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमले और वहां नाटो सेना की तैनाती के मुख्य सूत्रधार डिक चेनी ही थे। लिज चेनी ने कहा है कि सैनिक वापसी से ऐसा खतरनाक संदेश जाएगा जिसे या तो अमेरिका समझता नहीं है या वह जानबूझ कर उससे नावाकिफ बना हुआ है।
अमेरिकी सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी के नेता मिच मैकॉनेल ने सेना वापसी के फैसले को गंभीर भूल कई समय सीमा विश्लेषण कहा है। उन्होंने कहा है कि इसका मतलब अभी भी मौजूद दुश्मन के सामने से भागना होगा। इसी पार्टी की सीनेटर लिंडसे ग्राहम कहा है कि सेना वापसी से अल-कायदा, इस्लामिक स्टेट (आईएस), हिज्बुल्ला, चीन, रूस और ईरान को ये संदेश जाएगा कि अमेरिका कमजोर है। डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ नेताओं ने भी सैनिक वापसी के बाद वहां महिला अधिकारों की रक्षा का सवाल उठाया है।
इन आलोचनाओं का मतलब यहां यह समझा गया है कि अभी भी ये तय नहीं है कि अमेरिकी सेना सचमुच वापस जाएगी। न ही यह भरोसा है कि 11 सितंबर के पहले कोई ऐसा समाधान निकल आएगा, जिससे अफगानिस्तान में आम सहमति की सरकार बन जाए।
विस्तार
अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन के अगले 11 सितंबर से पहले अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी के फैसले पर यहां सावधानी भरी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। इस बार के अमेरिकी एलान में ये खास है कि वापसी की बात बिना शर्त कही गई है। यानी अफगानिस्तान में उस समय तक चाहे जो परिस्थितियां हों, अमेरिका अपनी फौज वापस बुला लेगा। फिर भी ऐसा सचमुच हो पाएगा, इसको लेकर यहां शक है।
इसकी वजह यह है कि सैनिक वापसी की तैयारी में अमेरिका ने जो ‘शांति प्रक्रिया’ तय की है, उसमें नए पेच पड़ गए हैं। मंगलवार को ये खबर आई कि राष्ट्रपति बाइडन 11 सितंबर के प्रतीकात्मक महत्त्व (इसी तारीख को अमेरिका पर आतंकवादी हमले हुए थे) को देखते हुए उस तारीख को पूरी सैनिक वापसी की नई समयसीमा घोषित करेंगे। उसके कुछ ही देर बाद ये खबर आई कि तालिबान ने तब तक किसी शांति सम्मेलन में भाग ना लेने का फैसला किया है, जब तक अफगानिस्तान से सभी विदेशी सैनिकों की वापसी नहीं हो जाती।
विश्लेषकों के मुताबिक इस तरह तालिबान ने जो बाइडन प्रशासन की सैनिक वापसी की नई समयसीमा के साथ-साथ अमेरिका के कहने पर आयोजित होने वाली इंस्ताबुल कांफ्रेंस को भी ठुकरा दिया है।
ताजा एलान के कई समय सीमा विश्लेषण मुताबिक तुर्की के शहर इंस्ताबुल में अफगानिस्तान में अगली व्यवस्था को लेकर सहमति बनाने के मकसद से सम्मेलन का आयोजन अगले 24 अप्रैल से होगा। तुर्की और कतर उसके सह-आयोजक होंगे। सम्मेलन में मौजूदा अफगान सरकार और तालिबान को आमंत्रित किया जाएगा। तुर्की की ओर से जारी बयान के मुताबिक इससे सभी संबंधित पक्षों को अफगानिस्तान की जनता के लिए शांति, स्थिरता और समृद्धि का रास्ता ढूंढने के लिए अपना समर्थन जताने का मौका मिलेगा।
संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को एक बयान में बताया कि इस्तांबुल सम्मेलन 24 अप्रैल से चार मई तक कई समय सीमा विश्लेषण चलेगा। इसका मकसद तालिबान और अफगानिस्तान सरकार में न्यायपूर्ण और टिकाऊ राजनीतिक समाधान के लिए सहमति बनानी होगी। लेकिन अब साफ है कि तालिबान इस सम्मेलन का हिस्सा बनने को तैयार नहीं है। इससे इस सम्मेलन की पूरी प्रासंगिकता की संदिग्ध हो जाने का खतरा है। बताया जाता है कि तालिबान इस बात से खफा है कि अमेरिका एक मई तक अपने सभी सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुलाने के अपने वादे से मुकर गया है।
दरअसल, बाइडन प्रशासन के ताजा फैसले से यहां उत्साह इसलिए भी पैदा नहीं हुआ है कि इसका मतलब यहां नाटो फौजियों की वापसी को टालना समझा गया है। उधर यहां अमेरिका जताई जा रही ये राय भी चर्चित है कि अमेरिका अपनी फौज वापसी के बाद भी अफगानिस्तान में अपनी खुफिया और कूटनीतिक मौजूदगी बनाए रखनी चाहिए। उधर रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता सैनिक वापसी का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
उनमें पूर्व उप राष्ट्रपति डिक चेनी के बेटी लिज चेनी भी हैं, जो इस समय हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की सदस्य हैं। 2001 में अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमले और वहां नाटो सेना की तैनाती के मुख्य सूत्रधार डिक चेनी ही थे। लिज कई समय सीमा विश्लेषण चेनी ने कहा है कि सैनिक वापसी से ऐसा खतरनाक संदेश जाएगा जिसे या तो अमेरिका समझता नहीं है या वह जानबूझ कर उससे नावाकिफ बना हुआ है।
अमेरिकी सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी के नेता मिच मैकॉनेल ने सेना वापसी के फैसले को गंभीर भूल कहा है। उन्होंने कहा है कि इसका मतलब अभी भी मौजूद दुश्मन के सामने से भागना होगा। इसी पार्टी की सीनेटर लिंडसे ग्राहम कहा है कि सेना वापसी से अल-कायदा, इस्लामिक स्टेट (आईएस), हिज्बुल्ला, चीन, रूस और ईरान को ये संदेश जाएगा कि अमेरिका कमजोर है। डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ नेताओं ने भी सैनिक वापसी के बाद वहां महिला अधिकारों की रक्षा का सवाल उठाया है।
इन आलोचनाओं का मतलब यहां यह समझा गया है कि अभी भी ये तय नहीं है कि अमेरिकी सेना सचमुच वापस जाएगी। न ही यह भरोसा है कि 11 सितंबर के पहले कोई ऐसा समाधान निकल आएगा, जिससे अफगानिस्तान में आम सहमति की सरकार बन जाए।
विश्लेषकों की बैठक में प्रस्तुतीकरण की प्रति
This is to inform you that by clicking on continue, you will be leaving our website and entering the website/Microsite operated by Insurance tie up partner. This link is provided on our Bank’s website for customer convenience and Bank of Baroda does not own or control of this website, and is not responsible for its contents. The Website/Microsite is fully owned & Maintained by Insurance tie up partner.
The use of any of the Insurance’s tie up partners website is subject to the terms of use and other terms and guidelines, if any, contained within tie up partners website.
Thank you for visiting www.bankofbaroda.in
We use cookies (and similar tools) to enhance your experience on our website. To learn more on our cookie policy, Privacy Policy and Terms & Conditions please click here. By continuing to browse this website, you consent to our use of cookies and agree to the Privacy Policy and Terms & Conditions.
Earth
डेविड साह रिमोट सेंसिंग और वेब मैपिंग का इस्तेमाल करने के लिए छात्रों और संकाय को सशक्त बना रहे हैं.
भू-स्थानिक विश्लेषण प्रयोगशाला के निदेशक
डॉ डेविड साह सैन फ्रांसिस्को विश्वविद्यालय में एक सहयोगी प्रोफेसर हैं और Geospatial Analysis Lab (GsAL) के निदेशक हैं. उन्होंने लैंडस्केप ईकोलॉजी, ईकोसिस्टम ईकोलॉजी, जल विज्ञान, भूगर्भ विज्ञान, ईकोसिस्टम मॉडलिंग, प्राकृतिक खतरे मॉडलिंग, रिमोट सेंसिंग, भौगोलिक सूचना सिस्टम (GIS) और भू-स्थानिक विश्लेषण सहित कई क्षेत्रों में विशेषज्ञता के साथ एक पर्यावरण वैज्ञानिक के रूप में प्रशिक्षण लिया है. उनके अकादमिक शोध पर्यावरणीय स्थानिक विषमता के बहु-पैमाने मैपिंग, निगरानी और मॉडलिंग के लिए एकीकृत भू-स्थानिक विज्ञान का इस्तेमाल करते हैं.
डेविड के साथ सवाल-जवाब
सवाल: तो भू-स्थानिक विश्लेषण क्या है?
जवाब: यह वास्तव में कला और विज्ञान का मिश्रण होता है, जिसमें किसी स्थान का डेटा लिया जाता है--ऐसी चीजें जिन्हें मैप किया जा सकता है--और जिनका लोग विश्लेषण कर सकते हैं. आप इसका इस्तेमाल नज़दीकी किराने की दुकान पर जाने के लिए कर सकते हैं. आप घर बनाने के लिए सबसे अच्छी जगह ढूंढ़ सकते हैं. आप उस स्थान के बीच में वनों की कटाई की दर जान सकते हैं, जहां आप मुश्किल से पहुंच पाते हैं. सबसे सरल शब्दों में, भूगर्भीय विज्ञान यही है. प्रयोगशाला के मामले में [यूनिवर्सिटी ऑफ़ सैन फ्रांसिस्को में GsAL], मैं इकाई का निदेशक हूं. पर्यावरण विज्ञान विभाग में, हम पर्यावरण की कई समस्याओं का हल करने के लिए इसी भू-स्थानिक विज्ञान तकनीकी का इस्तेमाल करते हैं, जैसे जंगल में कई तरह की आग से निपटना, उस जगह का पता लगाना जहां बाढ़ आने की संभावना है, जहां आप कार्बन कम करने के प्रोजेक्ट लगा सकते हैं और बहुत कुछ.
सवाल: इस क्षेत्र में आपकी रुचि कहां से शुरू हुई?
जवाब: मेरी सांस्कृतिक पहचान फ़िलिस्तीनी है और हम ऐसे माहौल में बड़े हुए हैं जहां दुनिया में हमारी जगह की आलोचना होती थी, क्योंकि उसे हमेशा से उन जगहों में से एक के रूप में जाना जाता रहा है, जहां आपकी पहचान विवादों में रहती है. यह जगह हमेशा सुर्खियों में रहती थी. उस पर हमेशा राजनीति होती रही है. इसलिए मैं मैप देखते हुए बड़ा हुआ हूं और मैंने सीखा है: ये वो सीमाएं हैं जो आपके लिए खास हैं. इन सीमाओं के लिए युद्ध हो रहा है.
एक स्नातक [यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया, बर्कले] के तौर पर, मैंने सोचा कि मुझे एक चिकित्सीय शोधकर्ता बनना चाहिए और मैं हमेशा प्रयोगशाला में फंसा रहता था. मैंने सोचा, मैं क्या कर रहा हूं? मुझे यह पसंद नहीं है. मुझे एहसास हुआ कि मुझे मेरे मनपसंद प्रोजेक्ट में ज़्यादा मज़ा आता है. मुझे आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस जैसी चीज़ें पसंद थी. तंत्रिका नेटवर्क और इस तरह की चीज़ें. और उस समय, लैंड कवर वर्गीकरण के लिए रिमोट सेंसिंग पर तंत्रिका नेटवर्क लागू किए जा रहे थे. मैंने उस डिग्री से स्नातक की उपाधि हासिल की और लैंडस्केप ईकोलॉजी में स्नातकोत्तर और पीएचडी प्रोग्राम शुरू किया. बर्कले से स्नातक की उपाधि हासिल करने से पहले ही मैंने एक स्थानिक जानकारी समूह और एक पर्यावरण थिंक टैंक बना लिया था.
सवाल: आपको कौन सा Google जियो टूल सबसे काम का लगा?
जवाब: ऐसे कुछ टूल मौजूद हैं, लेकिन Google Earth Engine उनमें से एक है. मैं इस वेब-आधारित रिमोट सेंसिंग चीज़ का कायल हो गया हूं. इससे मैं शक्तिशाली विश्लेषण कर सकता हूं और बिना किसी चिंता के लोगों को भूगर्भीय जानकारी तकनीकी इंफ़्रास्ट्रक्चर बनाने का तरीका सिखा सकता हूं, और यह कह सकता हूं कि चलो बस इसे लागू करने पर फ़ोकस करते हैं. ये सब कर पाना सच में बेहतरीन अनुभव है.
हमें लगता है कि Google Earth Engine एक मिसाल पेश करने वाला टूल है. यह कभी एक नियत समय सीमा के लिए और किसी तय किए हुए प्रोजेक्ट के लिए, सिर्फ़ कुछ लोगों के लिए ही मौजूद रहा करता था, लेकिन अब यह हर उस व्यक्ति के लिए मौजूद है, जो इसका इस्तेमाल करना चाहता है. इसने हमें बराबरी पर ला दिया है.
सवाल: क्या इससे आपके काम करने का तरीका बदला है?
जवाब: हां, इससे सब कुछ ठीक से व्यवस्थित हो गया है. अगर हमारे पास Earth इंजन नहीं होता, तो हम कहां होते? मुझे हर उस जगह के लिए इंफ़्रास्ट्रक्चर बनाना पड़ता, जिसे हम मैप कर रहे हैं. मुझे बहुत सारा डेटा डाउनलोड करना पड़ता, जिससे हम इन जगहों के लिए इस डेटा को एक्सेस कर पाते (या नहीं कर पाते) और हम कुछ चुनिंदा लोगों को ही यह सिखा पाते कि उनका इस्तेमाल कैसे करना चाहिए. इसकी लागत भी बहुत ज़्यादा होती. Earth Engine में एक्सेस और पारदर्शिता दोनों हैं.
सवाल: पूरी दुनिया में आपकी पसंदीदा जगह कौन सी है?\ n \ n जवाब: मेरे परिवार ने बर्ज़ेट नाम के एक शहर में एक घर बनाया है. यह पश्चिमी इलाके में रामल्लाह नाम के शहर के बगल में है और इस घर को हम दस चचेरे भाइयों ने मिलकर बनाया है. मेरी पसंदीदा जगह यही है. मैं कई जगहों की यात्रा कर चुका हूं, लेकिन बस यहीं घर जैसा महसूस होता है.
सरकार ने Air India के लिए बोली लगाने की समय सीमा को दो महीने बढ़ाया, 30 जून तय किया
सरकार ने 2018 में भी एयर इंडिया को बेचने की कोशिश की थी लेकिन कामयाब नहीं हुई थी जिसके बाद जनवरी 2020 में इसके विनिवेश की प्रक्रिया एक बार फिर शुरू की गई.
By: एजेंसी | Updated at : 29 Apr 2020 08:23 AM (IST)
नई दिल्लीः सरकार ने एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की समय सीमा को 30 जून तक बढ़ा दिया है. कोविड-19 महामारी के चलते दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां रुकी हुई है और इसी के मद्देनजर यह फैसला किया गया है. एयर इंडिया की नीलामी में बोलियां लगाने की समयसीमा को दूसरी बार बढ़ाया गया है. कर्ज में डूबी इस सरकारी विमानन कंपनी को बेचने की प्रक्रिया 27 जनवरी को शुरू की गई थी. निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) ने एयर इंडिया की बिक्री के लिए अब संशोधित अभिरुचि पत्र (एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट) जारी करते हुए कहा है कि कोविड-19 के चलते बने मौजूदा हालात में ‘‘आईबी (इच्छुक बोलीदाताओं) के अनुरोध के मद्देनजर’’ बोली लगाने की समय सीमा को बढ़ा दिया गया है. इससे पहले जब जनवरी में अभिरुचि पत्र जारी किया गया था, तब बोली की समय सीमा 17 मार्च थी, जिसे बाद में 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया था. अब इसे 30 जून तक बढ़ा दिया गया है.
News Reels
डीआईपीएएम ने अपनी वेबसाइट पर बताया कि इसके अलावा बोली में योग्य पाये गए बोलीदाताओं (क्यूआईबी) को उसकी सूचना देने की तारीख को भी दो महीने के लिए बढ़ाकर 14 जुलाई कर दिया गया है. इसमें कहा गया, ‘‘महत्वपूर्ण तिथियों के संबंध में यदि आगे कोई और बदलाव होता है, तो इस बारे में इच्छुक बोलीदाताओं को सूचित किया जाएगा.’’ कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉकडाउन से दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां बाधित हुई हैं. इससे पहले सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए निवेशकों द्वारा बोली जमा करने की तारीख को 13 जून तक बढ़ा दिया था. पहले यह समयसीमा दो मई थी. सरकार ने 2018 में भी एयर इंडिया को बेचने की कोशिश की थी लेकिन कामयाब नहीं हुई . उसके बाद जनवरी 2020 में एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया एक बार फिर शुरू की गई. ये भी पढ़ें COVID-19: कोरोना से लड़ने के लिए ADB ने भारत को 1.5 अरब डॉलर का कर्ज मंजूर किया
Published at : 29 Apr 2020 08:23 AM (IST) Tags: Air India Auction Air India flights Airline air india हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi