फोरेक्स भावना

सार्वजनिक निवेदन- इस घटना के सभी पात्र वास्तविक हैं और ये इस धरती पर विचरण करते है। यदि आपको हमारे विचारों से आपत्ति है तो कोई समस्या नहीं। हमारा उद्देश्य है सत्य को प्रमाणित करना और यहां पर हम सबकी भावनाओं को समान रूप से आहत करेंगे। आज्ञा से, जनहित में जारी!
ऋषि सुनक और दुनियाभर की जांच एजेंसियों सबकुछ छोड़ो और साक्षी जोशी का बटुआ ढूंढों
RAW, CIA, M16 और Interpol कहां हो- कहां हो सब लोग, दुनिया की सभी समस्याओं को छोड़ो और साक्षी जी के साथ घटित हुई इस ऐतिहासिक घटना की जांच-पड़ताल में जुट जाओ, नहीं तो कल को मामला UN में पहुंच जाएगा।
सार्वजनिक निवेदन- इस घटना के सभी पात्र वास्तविक हैं और ये इस धरती पर विचरण करते है। यदि आपको हमारे विचारों से आपत्ति है तो कोई समस्या नहीं। हमारा उद्देश्य है सत्य को प्रमाणित करना और यहां पर हम सबकी भावनाओं को समान रूप से आहत करेंगे। आज्ञा से, जनहित में जारी!
हे देव गजब हो गया, अनर्थ हो गया! जोशी जी का पर्स चोरी हो गया। अरे नहीं, नहीं, मुरली मनोहर जोशी जी तो मार्गदर्शक मण्डल का सुख प्राप्त कर रहे हैं, हम बात कर रहे हैं साक्षी जोशी महोदया का। हां हां जानते हैं, वही ‘Independent Journalist, Digital News Editor, Producer’ जैसा ट्विटर बायो रखने वाली साक्षी जोशी, जिनके जीवन में प्रलय आ गया, भूचाल आ गया, जब ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट पर उनका बटुआ किसी ने टिप दिया, माने Somebody pickpocketed her।
हंसिये मत, ये अंतरराष्ट्रीय समस्या है, स्वयं साक्षी जी ने इसे चिह्नित किया है। साक्षी जोशी ने ट्वीट करते हुए कहा, “THIS IS EXTREMELY SHOCKING! मैं लंदन आई और पहले ही दिन मेरी जेब कट गई। फोरेक्स भावना ये हुआ भी तो सबसे सम्पन्न और सबसे समृद्ध जगह, Oxford Street पर। मैंने मेट्रोपॉलिटन पुलिस यूके से शिकायत की पर उन्होंने उत्तर में कुछ नहीं बताया। हाई कमीशन ऑफ इंडिया को मेल किया पर कोई प्रतिक्रिया नहीं। सादिक खान (@SadiqKhan), ऋषि सुनक (@RishiSunak), कुछ कीजिए। मेरा पर्स 3 नवंबर को 7:30 बजे ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट से चोरी हुआ। उसमें मेरे पैसे, फोरेक्स कार्ड, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, आधार, PAN, ड्राइविंग लाइसेंस सब था। न मेरे देश का उच्चायोग कुछ कर रहा है, न लंदन की पुलिस कर रही है। यह है आपका LONDON!” –
अब जेबकतरे की व्यथा पर बाद में प्रकाश डालेंगे, पहले साक्षी जी से कुछ प्रश्न पूछेंगे। ज़ुबैर भाईजान और ध्रुव राठी से क्लासेज़ नहीं ली थी का? अगर ली होती तो किसी की मजाल नहीं होती कि आपको ऐसे ही इग्नोर कर दे, आपका पर्स छोड़िए, बकिंगहम पैलेस में निमंत्रण दिलवाकर प्रशासन आपसे क्षमा मांगती! अब आपने ऋषि सुनक और सादिक खान को टैग किया ही था तो उतने पर नहीं रुकना चाहिए था। वामपंथियों में इतना नाम है आपका, मोदी एण्ड कंपनी के विरुद्ध अकेले दम पर भिड़ जाती हैं, कम से कम RAW, CIA, Interpol, Mossad इत्यादि को तो टैग कर ही देती, यहां तक तो आपकी पहुंच है न। अरे, ISI वालों को कैसे भूल गई? चीन और मिडिल ईस्ट के बाद लंदन में भी तो चौकस स्टेशन है। चुटकी में आपका वॉलेट वापस आ जाता। कौन बोला आपने घबराना नहीं है?
वैसे आप ट्विटर के सलाहकार मंडली से भी चेक करा लेती, कुछ ने बढ़िया सुझाव भी दिए हैं। एक व्यक्ति ने ट्वीट किया, “आपने ब्रिटिश संग्रहालय में चेक किया है? बहुत से चोरी हुए सामान संजोके रखे हैं उन्होंने अपने पास” –
एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “देखिए, अगर चोर किसी समुदाय से निकलता है तो क्या थ्योरी गढ़ी जाएगी? आप घबराइए नहीं, CIA और MI6 इस दुष्कर कार्य में लग चुका है ताकि अभियुक्त पकड़ा गए, आपका पर्स आपको वापिस मिले एवं मानवता आपके श्राप से मुक्त रहे।”
इतना ही नहीं, एक व्यक्ति ने यह भी पूछने का कष्ट किया, “Interpol अलर्ट क्यों नहीं है, UN की शांतिदूत सेना अलर्ट क्यों नहीं है?”
वैसे हम चोर महोदय से भी पूछना चाहते हैं, भाई ऐसी का दिक्कत आ गई थी जो इन्हीं का पर्स उड़ाना श्रेयस्कर समझा? भाईजान कोई दिक्कत हो तो सोशल मीडिया पर साझा करें, आप जानते भी हैं साक्षी जोशी कौन है? ये इतनी प्रभावशाली हैं कि इनकी एक फूंक से नोएडा के मीडिया स्टुडियो में पत्ता भी नहीं हिलता। ये इतनी शक्तिशाली हैं कि मोदी सरकार तो छोड़िए, जनता तक इनके BBC, इंडिया टीवी और न्यूज 24 से संबंधित होने के बाद भी घास तक नहीं डालती। इनकी पत्रकारिता का स्तर आप इस फोरेक्स भावना बात से समझ सकते हैं कि एक बार इन्होंने ममता बनर्जी से पूछा था कि “वो टॉयलेट जाने के लिए समय कैसे निकालती हैं।” अब ऐसी ‘पत्रकार’ का पर्स चोरी होगा तो हल्ला तो मचेगा ही। अब तो संयुक्त राष्ट्र तक इनकी चीखें गूंजेगी!
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मोदी ने कहा, बैंकों का NPA यूपीए की देन, हम पर भारी बोझ लाद दिया
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर किया हमला, कहा बैंकों की दुर्दशा के लिए मनमोहन सरकार जिम्मेदार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकों के एनपीए के सवाल पर कांग्रेस को घेरा है. उन्होंने कहा कि आज कल NPA का जो हल्ला मच रहा है यह पहले की सरकार में बैठे अर्थशास्त्रियों की ओर से मेरी सरकार को दिया गया सबसे बड़ा बोझ है.
उन्होंने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह पर हमले करते हुए कहा कि यह NPA यूपीए सरकार का सबसे बड़ा घोटाला था. यह कॉमनवेल्थ, टूजी, कोल से भी कहीं बड़ा घोटाला था. जब सरकार में बैठे कुछ लोगों की ओर से बैंकों पर दबाव डालकर खास लोगों को लोन दिलवाया जा रहा था, तब फिक्की जैसी संस्थाएं क्या कर रही थीं. पीएम फिक्की के 90 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. जानिये पीएम ने इस कार्यक्रम में और क्या बोला -
-लोगों को छोटी-छोटी चीजों के लिए संघर्ष करना पड़ा, बैंक अकाउंट, गैस कनेक्शन के लिए दस जगह चक्कर काटने पड़ता था. अपनी पेंशन बच्चों की स्कॉलरशिप के लिए चक्कर काटना पड़ता था.
- मेरी ये जानने की दिलचस्पी है कि जब पिछली सरकार के द्वारा कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को लोन दिलवाया जा रहा था तब क्या फिक्की जैसी संस्थाओं ने आवाज उठाई थी बताया था.
- सबको मालूम था कि कुछ ना कुछ घोटाला था. कोल स्कैम, कॉमनवेल्थ से ज्यादा बड़ा घोटाला बैंक घोटाला था.
- पहले की सरकार की नीतियों ने जिस तरह बैंकिंग सेक्टर की दुर्दशा की, उसपर फिक्की ने कोई सर्वे किया था या नहीं. आजकल एनपीए का जो हल्ला मच रहा है वो पहले की सरकार में बैठे अर्थशास्त्रियों के इस सरकार को दी गई सबसे बड़ी लायबिलिटी है.
- जनता की काली कमाई लूटी गई, क्या किसी सर्वे में इसकी तरफ इशारा किया गया था. क्या मौन रहकर सब देखने वाले लोगों को जगाने की कोशिश किसी संस्था ने की थी.
- बैंकों को मजबूत बनाने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है.
- बैंक सुरक्षित रहेंगे तभी देश का हित भी सुरक्षित रहेगा.
- फिक्की जैसी संस्थाओं की बड़ी भूमिका लोगों को जागरूक करने की है.
- पिछले कुछ दिनों से एफआरडीआई के बारे में अफवाह उड़ाई जा रही है. उद्योगजगत को इस बारे में लोगों को बताना चाहिए.
-हम ऐसे सिस्टम का निर्माण कर रहे हैं जो ट्रांसपेरेंट हो बल्कि लोगों को भावनाओं को समझे.
- जनधन योजना को शानदार रिस्पॉन्स फोरेक्स भावना मिला.
- 30 करोड़ लोगों ने जनधन अकाउंट खुलवाए हैं.
- ग्रामीण क्षेत्र में जहां खाते ज्यादा खुले हैं वहां महंगाई दर में भी कमी आई है.
- 3 करोड़ महिलाओं गैस कनेक्शन दिया है.
- गरीब को ईंधन के लिए कम पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं.
- मैं गरीबी की दुनिया से निकलकर आपके बीच आया हूं.
- सीमित संसाधन, सीमित पढ़ाई. दुनिया ने मुझे सिखाया कि गरीबों की जरूरतों को समझते हुए कार्य करें और फैसले करें.
- मुद्रा योजना युवाओं की जरूरतों को फायदा दे रही हैं.
- मुद्रा योजना के तहत सरकार गारंटी दे रही है. 3 साल में करीब पौने दस करोड़ लोन मुद्रा योजना से दिए गए हैं, बिना बैंक गारंटी 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा दिए जा चुके हैं.
- सरकार युवाओं की जरूरत के साथ खड़ी है. देश को तीन साल में तीन करोड़ नए एंटरप्रेन्योर मिले हैं.
- ये लोगों ने मुद्रा योजना के तहत बैंक से लोन लिया है.
- स्टार्ट अप के लिए पूंजी देने में मदद की गई.
- 3 साल में सरकार के नीतिगत फैसलों की वजह से निवेश में बहुत बढ़ोतरी हुई है.
- पिछली सरकार के दौरान कुछ बड़े बड़े उद्योगपतियों को लाखों करोड़ के लोन दिए गए. बैंकों पर दबाव डालकर पैसे दिलवाए गए.
-रेरा जैसे कानून पहले क्यों नहीं बने. मध्यम वर्ग की दिक्कत को सरकार ने समझा. बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगाई गई है
- हमने समझा कि मार्च में बजट पेश होने पर लंबे अरसे तक कोई काम नहीं हो पाता. बजट को हमने 1 महीने पहले कर दिया.
- इस साल तय समय से पहले पैसा मिला, योजनाओं पर काम करने का मौका मिला, सालभर काम हुआ
- यूरिया पर नई पॉलिसी बनी, टेक्सटाइल, एविएशन, ट्रांसपोर्ट, हेल्थ पर नई पॉलिसी बनाई
- हवाई चप्पल वाला भी हवाई जहाज में चलेगा
- फोरेक्स 40 हजार करोड़ डॉलर
- कंपिटीटिव इंडेक्स में 32 अंक का सुधार
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में 3 साल में 42 पायदान उछला
- कार, थ्री व्हीलर, कमर्शियल में भारी बिक्री दर्ज की गई है
- फोरेक्स 40 हजार करोड़ डॉलर
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- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में 3 साल में 42 पायदान उछला
- कार, थ्री व्हीलर, कमर्शियल में भारी बिक्री दर्ज की गई है
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बैंकिंग में है करियर के बेहतरीन मौके, बस इन बातों का रखें ध्यान
नई दिल्ली : बैंकिग हमेशा से ही युवाओं के लिए एक बेहतरीन करियर अॉप्शन रहा है और शायद यहीं कारण है कि हमेशा से बैकिंग को अच्छे करियर के रुप में देखा जाता हैं। इसलिए आप भी पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बैंकिंग एंड फाइनेंस करके आप बैंकिंग और फाइनेंस की दुनिया में शानदार कॅरियर बना सकते हैं। आज हर गांव को बैंक से जोडऩे की पहल हो रही है। इस तरह बैंकिंग सेक्टर तेजी के साथ कदम बढ़ा रहा है। इसमें अवसर भी उसी तेजी के साथ पैदा हो रहे हैं। अगर आप बैंकिंग व फाइनेंस में पीजी डिप्लोमा करना चाहते हैं तो पहले वित्तीय जानकारी एवं बाजार की परिस्थितियों की अच्छी समझ होना जरूरी है। चूंकि बैंकों व वित्तीय संस्थानों में पैसों का लेन-देन होता है, ऐसे में आपके अंदर पैसों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने की क्षमता होनी चाहिए। साथ ही आपके अंदर मजबूत विश्लेषणात्मक कौशल होना भी जरूरी है।
बैंकिंग और फाइनेंस में पीजी डिप्लोमा करने के लिए छात्र को स्नातक में किसी भी विषय के तहत 50 प्रतिशत अंक से उत्तीर्ण होना चाहिए। भले ही कैंडिडेट इस मानक को पूरा करके पढ़ाई कर सकता है, लेकिन छात्रों को सलाह दी जाती है कि वही कैंडिडेट इस तरफ रुझान करें, जिनकी दिलचस्पी फाइनेंस में हो। आजकल इस विषय में दो साल एमबीए करने के बजाय लोग पीजी डिप्लोमा को तरजीह दे रहे हैं। पीजी डिप्लोमा इन बैंकिंग एंड फाइनेंस का कोर्स फाइनेंस सेक्टर की पूरी समझ प्रदान करता है। पीजी डिप्लोमा इन बैंकिंग एंड फाइनेंस के तहत मूलभूत बैंकिंग प्रोफाइल जैसे धन जमा करना, डिमांड ड्राफ्ट बनाना और अन्य बैंकिंग कार्यों को संभालना सिखाया जाता है। विभिन्न बैंकों के बीच में बैंकिंग कार्य, आसान खाता बही, कॉर्पोरेट क्रेडिट, परियोजना क्रेडिट, वित्तीय क्रेडिट और उपभोक्ता क्रेडिट आदि कार्यों को भी इसके तहत सिखाया जाता है। पाठ्यक्रम के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के 30 और 50 निजी क्षेत्र के बैंक और फाइनेंशियल सेक्टर में काम करने की उम्मीदें बंधती हैं।
यूं मिलता है दाखिला
यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां काम समाप्त करने की कोई समय सीमा नहीं है। यहां जरूरत है इस बात कि है कि संबंधित व्यक्ति तुरंत चीजों को समझे आौर उसमें इस बात की योग्यता हो कि वह तर्क को समझ सके। बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में पीजी डिप्लोमा करने के लिए पहले तो एप्टीट्यूड टेस्ट में पास होना जरूरी है और इसमें निजी रूप से साक्षात्कार भी देना होगा। इसमें मूलत: अंग्रेजी, गणितीय योग्यता, लिखित परीक्षा में रीजनिंग आदि की जांच की जाती है। असल में यह जानने की कोशिश की जाती है कि छात्र को मूल ज्ञान है या नहीं। परीक्षा पूर्ण होने के बाद उन्हें इंटर्नशिप, शिक्षा लोन आदि के बारे में बताया जाता है।
करियर और प्लेसमेंट
इस क्षेत्र में कॅरियर के बेशुमार अवसर उपलब्ध हैं। कोर्स खत्म होने के बाद इंटरनेशनल बैंकिंग, फोरेक्स और ट्रेजरी, कॉर्पोरेट लोन्स, फाइनेंशियल रिसर्च से सम्बंधित संस्थानों में नौकरी के कई विकल्प खुल जाते हैं। कई अंतरराष्ट्रीय बैंक्स अलग-अलग स्किल्स के कैंडिडेट्स को अच्छी सैलेरी में प्लेसमेंट देते हैं। ज्यादातर सार्वजनिक बैंक अखिल भारतीय स्तर की परीक्षा के आधार पर क्लर्क और प्रोबेशनरी ऑफिसर्स के पदों के लिए वैकेंसी निकालते हैं। जो कैंडिडेट बदलते हुए वित्तीय परिवेश को समझने की कोशिश करते हैं, वे इस फील्ड में तेजी से सफल हो सकते हैं। कोर्स करने के बाद नौकरी की टेंशन नहीं रहती।
बेहतरीन मौके
मौजूदा समय में भारत का बैंकिंग, फाइनेंशियल और इंश्योरेंस सेक्टर आने वाले दस वर्षों में 20 लाख लोगों को रोजगार देने जा रहा है और ऐसा करके भारत का बीएफएसआई सेक्टर वॉल्यूम एंड एम्प्लॉयमेंट में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सेक्टर बन जाएगा। इसलिए वे छात्र जो अपना कॅरियर तय नहीं कर पाए हैं, उनके लिए यह सेक्टर बेहतरीन मौका लेकर आया है। बैंकिंग क्षेत्र में योग्य पेशेवर छात्रों की जरूरत होती है। ऐसे युवाओं की जरूरत होती है जो व्यावहारिक रूप से परिस्थितियों को संभाल सकें और जल्दी निर्णय ले सकें। उनमें चीजों को बारीकी से सोचने-समझने और उस पर सही तर्क करने की क्षमता हो।
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Why is the Indian Rupee falling against the US Doller: विदेशों में इस समय ग्रीनबैंक (Greenbank) की स्थिति मजबूत है वहीं घरेलू शेयर बाजारों में बिकवाली जारी है, इसके चलते फोरेक्स भावना अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रूपया 11 पैसे टूट गया और 70.85 (Provisional) पर बंद हुआ, इसका प्रभाव निवेशकों पर भी काफी पड़ा।
क्या कहना है फोरेक्स ट्रेडर्स का?
फॉरेक्स ट्रेडर्स की माने तो विदेशी पूंजी के लगातार आउटफ्लो (Outlooks) और कच्चे तेल की विश्व स्तरीय कीमतों में होने वाली बढ़ोतरी के साथ-साथ जोखिम से बचने की भावनाओं ने सभी तरह की घरेलू इकाई को बहुत अधिक प्रभावित किया है।
क्या रहा इंट्रा डे का स्तर?
मिल रही जानकारी के मुताबिक इंटरबैंक फोरेक्स मार्केट (I nterbank Forex Market ) में स्थानीय मुद्रा खुली 77.5 एक वही US dollar की अपेक्षा intra-day का उच्चतम स्तर था 77.79 और निम्नतम स्तर था 77.87।
क्यों हो रही है रुपए में गिरावट?
जानकारों के मुताबिक डॉलर इंडेक्स (Doller Index) में जो मजबूती आ रही है वही मुख्य कारण है रुपए में गिरावट का। इसके साथ-साथ जुलाई के महीने में जो रेपो रेट (Repo Rate) में बढ़ोतरी के संकेत आए थे उसकी वजह से भी रुपए में कमजोरी आती दिख रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि डॉलर के मुकाबले तो रुपए में कमजोरी आई है, लेकिन अन्य करेंसी के मुकाबले अभी भी रुपए ने अपनी मजबूत पकड़ बना कर रखी है।